
भिवंडी पालिका के अपात्र अभियंता की नियुक्त प्रस्ताव पर उठा विवाद
- महेंद्र कुमार (गुडडू), ब्यूरो चीफ भिवंडी
- Jun 22, 2025
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नगर विकास विभाग में शिकायत दर्ज
भिवंडी। भिवंडी- निजामपुर शहर महानगरपालिका में एक कनिष्ठ अभियंता की नियुक्ति ने शासन और प्रशासनिक प्रक्रिया पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। आरोप है कि चंद्रशेखर लक्ष्मण चौधरी, जो वर्तमान में भिवंडी पालिका के वाहन विभाग में कार्यरत हैं, जिन्हें पूर्व आयुक्त अजय विलास वैद्य ने पदोन्नत प्रस्ताव ( DPC) मे उप - अभियंता (वर्ग-1) पद पर पदोन्नति मिलने के लिए शासन मान्यता हेतु नगर विकास विभाग में प्रस्ताव सादर किया है,जो कि चौधरी इस पद के लिए शैक्षणिक और प्रशासनिक रूप से अपात्र है। इसके बावजूद, पदोन्नति के लिए प्रस्ताव सादर किया गया है। इस मुद्दे को लेकर भिवंडी के सामाजिक कार्यकर्ता परमेश्वर संपतराव अंभोरे ने महाराष्ट्र शासन के नगरविकास विभाग, मंत्रालय (मुंबई) को एक लिखित पत्र सौंपा है। पत्र में उन्होंने स्पष्ट रूप से मांग की है कि शासन द्वारा नियुक्ति की वैध प्रक्रिया की अनदेखी कर जिस अपात्र अभ्यर्थी को सेवा में लेने का प्रस्ताव दिया गया है, इस प्रस्ताव को रद्द किया की जाए और पात्र अभियंता को पुनः सेवा में बहाल किया जाए।
सामाजिक कार्यकर्ता अंभोरे ने अपने पत्र में उल्लेख किया है कि शेखर लक्ष्मण चौधरी न तो विभागीय सेवा परीक्षा में उत्तीर्ण हुए हैं, न ही उनके पास शासन द्वारा मान्य तकनीकी योग्यता के पूरे प्रमाण हैं। चौधरी वर्तमान में वाहन विभाग में कार्यरत हैं। जिन्होंने पालिका के स्वामित्व वाले वाहनों का फर्जी इन्शुरेन्स विमा तैयार कर पालिका के लाखों रूपये का राजस्व को नुकसान पहुंचाया है। पूर्व में वाहन विभाग प्रमुख की जिम्मेदारी इनके पास थी। जिसमे इनकी मुख्य भुमिका संदिग्ध मानी जा रही है।
अंभोरे के पत्रानुसार यह विषय विभागीय पदोन्नति समिति (DPC) की बैठकों में भी रखा गया था, पूर्व में बनी सेवा जेष्ठता पदोन्नति की यादी में इनके नाम का उल्लेख था। किन्तु भिवंडी पालिका के पूर्व आयुक्त अजय वैद्य ने लाखो रूपये का भष्ट्राचार करके DPC के बैठक में इनका नाम निकालकत पदोन्नति यादी में शामिल कर यह प्रस्ताव मंत्रालय के नगर विकास विभाग में भेज दिया है। इस पूरे मामले ने शासन की नियुक्ति प्रक्रिया पर सवाल खड़े कर दिए हैं। यदि सेवा परीक्षा अनिवार्य है, तो बिना परीक्षा के व्यक्ति की नियुक्ति कैसे हुई? क्या यह प्रशासनिक लापरवाही है या जानबूझकर किया गया अपवाद ? अंभोरे ने नगरविकास विभाग से मांग की है कि तत्काल इस मामले की जांच कर अपात्र नियुक्ति रद्द की जाए और न्यायसंगत निर्णय लेकर पात्र अभियंताओं को उनका हक दिलाया जाए। सूत्रों की मानें तो इस विषय को लेकर अब लोकायुक्त स्तर पर शिकायत दाखिल करने की तैयारी की जा रही है। यदि शासन ने शीघ्र निर्णय नहीं लिया, तो यह मामला जल्द ही कानूनी कार्रवाई की दिशा में बढ़ सकता है।
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