
अधिकारियों द्वारा घटनाओं से संबंधित खबरों की खंडन का जल्दबाजी हास्यप्रद, तो तथाकथित पत्रकारों की स्थिति संदिग्ध
- कुमार चन्द्र भुषण तिवारी, ब्यूरो चीफ कैमूर
- Aug 19, 2025
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शराब पीने के बाद एक 58 वर्षीय व्यक्ति की स्वास्थ्य खराब होने के बाद मौत के संदर्भ में मृतक के परिजनों सहित ग्रामीणों की आरोप पर प्रकाशित हुई थी खबर
कैमूर-- जिला के प्रशासनिक पदाधिकारीयों द्वारा किसी भी घटनाओं की खंडन का जल्दबाजी बहुत ही हास्यप्रद है,तो तथाकथित पत्रकारों की स्थिति भी संदिग्ध है। यदि धरातल से देखा जाए तो जिला सहित प्रदेश में आए दिन चोरी, तस्करी, भ्रष्टाचार, सहित घूसखोरी की घटनाएं आम बात है। वरीय पदाधिकारियों द्वारा अपने कर्तव्यों का निर्वहन न कर, सिर्फ खाता पूर्ति कर समय पास कर लिया जाता है। यदि कोई छोटी घटनाएं हो तो उसे अनदेखा करने की वजह से ही अधिकांश तौर पर आज तक देखने को मिला है की बड़ी घटनाएं जन्म लिया है, फिर भी चंद लोभ में अधिकारियों द्वारा खाता पूर्ति कर दिया जाता है। अभी मामले जिला अंतर्गत मोहनियां अनुमंडल के कुदरा थाना स्थित पचपोखरी गांव के, तथाकथित बातें शराब पीने के बाद स्वास्थ्य खराब होने, इलाज के लिए सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचने पर चिकित्सीय जांच में मृत पाए जाने, के मामले में प्रशासन द्वारा जानकारी न देने, मिडिया में खबर प्रकाशित होने के बाद बिना भेसरा जांच व बिना पोस्टमार्टम रिपोर्ट आये, अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी के द्वारा प्रेस विज्ञप्ति जारी कर खबर का खंडन करना, परिजनों सहित स्थल से प्राप्त जानकारी के अनुसार हास्यप्रद है।
अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी द्वारा मीडिया में प्रकाशित खबरों का खंडन करते हुए स्पष्ट किया गया है की भेसरा सुरक्षित रखा गया है, यानी जांच किया जाएगा। मृतक के दोनों पुत्रों द्वारा लिखित आवेदन में किसी भी प्रकार के आरोप से इंकार किया गया है-
जबकि मृत्यु के दूसरे दिन विगत 15 अगस्त प्रशासन के माध्यम से शव पोस्टमार्टम करा सौंपे जाने बाद, मृतक के पुत्रों सहित परिजनों द्वारा दिन 11:30 बजे से 02:00 बजे के मध्य थाना परिसर में पहुंच ओ.डी. पदाधिकारी मंटु कुमार को सौंपे आवेदन में स्पष्ट किया गया है, की कुछ खाने पीने की वजह से संदिग्धावस्था स्वास्थ्य बिगड़ा और चिकित्सकों द्वारा स्वास्थ्य सेवा देने के पूर्व ही मृत पाया गया-
हां आवेदन में दिनांक 14 अगस्त का विवरण होने की वजह से आवेदन को अमान्य किया गया, चूंकि आवेदन सौंपने का दिनांक 15 अगस्त था-
जिस वजह से मृतक के दोनों पुत्रों सहित परिजन प्रशासन को बिना आवेदन सौंपें ही शव का दाह संस्कार करने चलें गए। वही सूत्रों की माने तो खबर मीडिया में प्रकाशित होने के बाद दूसरे दिन प्रशासन द्वारा, आवेदन अपने इच्छा अनुसार लिखवा वरीय पदाधिकारी के समक्ष प्रस्तुत किया गया। यदि 15 अगस्त को थाना परिसर में लगे वर्णित समय का सीसीटीवी फुटेज देखा जाए तो उपरोक्त आवेदन से,या समाचार के माध्यम से कुछ संदिग्ध खाने पीने की आरोप संबंधित बातें स्पष्ट होना ही है, क्योंकि वर्णित समय में एक दो नहीं अनेकों मिडिया कर्मि भी उपस्थित थे, जिनके द्वारा मृतक के पूत्रों द्वारा ओ.डी. पदाधिकारी को सौंपें जा रहे आवेदन का कॉपी अपने मोबाइल में सुरक्षित किया गया-
अब सवाल यह उठता है की मिडिया के माध्यम से प्रदर्शित न्यूज में मृतक के भाइयों द्वारा स्पष्ट किया जा रहा है की शराब पीने के उपरांत स्वास्थ्य बिगड़ा।
तो क्या खबरों का खंडन करने से पहले अनुमंडल पदाधिकारी द्वारा घटना की जांच करना जरूरी नहीं है?
क्या भेसरा रिपोर्ट आने की प्रतीक्षा करना जरूरी नहीं है?
भेसरा रिपोर्ट आने से पहले संबंधित घटनाओं की पूर्ण जानकारी लिये बिना खबरों का खंडन अनुमंडल पदाधिकारी द्वारा या स्थल से जांच किये बिना पूर्व में प्रकाशित खबरों का खंडन सिर्फ प्रेस विज्ञप्ति को आधार मान मिडिया द्वारा किसी मिडिया में प्रकाशित खबर का खंडन करना-
कही न कही अपराधों की बढ़ोतरी में अपराधियों के लिए सहायक हो सकती है। वही नाम गोपनीयता की शर्त पर ग्रामीणों के द्वारा बताया गया की प्रशासन के सहयोग से मृतक के परिजनों को आर्थिक लोभ दें मामले को रफा-दफा करने का कार्य किया जा रहा है।यह बहुत ही सोचनीय विषय है की क्या मरने के बाद प्रशासनिक अधिकारियों की मिलीभगत से शव का भी कीमत लग सकता है।
यदि यह कहा जाए कि अधिकारियों की लापरवाही से बिहार सरकार द्वारा जारी शराबबंदी कानून धरातल पर नगण्य दिखने का कारण प्रशासनिक पदाधिकारी ही है तो गलत नहीं होगा।
तथाकथित पत्रकारों की स्थिति संदिग्ध
पत्रकारिता लोकतंत्र का चौथा स्तंभ माना जाता है,जिसका कार्य है सच्चाइयों को प्रमाणित कर समाज व राष्ट्र हित में नियमों के पालन हेतु पत्र में आकार देना। पर जिला में देखा जाए तो 5% ही पत्रकार हैं, जो अपने माध्यम से किसी घटना दुर्घटना का विस्तृत जानकारी प्राप्त कर समाचार पत्र को आकार देते हो। अधिकांश मामलों में यही देखने को मिलता है की भेड़ की चाल में चल मिडिया से संबंधित बंधुओ द्वारा प्रेस विज्ञप्ति को सर्वोपरि माना जाता है। जबकि मिडिया यानी खुफिया विभाग का एक कार्य होना चाहिए। स्थल से जानकारी सहित साक्ष्य रखना जरूरी है, पर आज के मिडिया कर्मियों द्वारा प्रेस विज्ञप्ति को ही साक्ष्य मान पत्र को आकार दिया जाता है, और तो और साक्ष्यों के साथ प्रदर्शित खबर का खंडन कर दिया जाता हैं, जो की शर्मनाक है, जिससे मिडिया की स्थिति संदिग्ध नजर आता है।
एक नजर इधर भी
जिला अंतर्गत मोहनियां थाना क्षेत्र स्थित टोल प्लाजा के सामेकित जांच चौकी पर वर्षों वर्षों से जारी अवैध वसूली का खेल जारी है, पर लगातार वहां से गुजरने के बावजूद भी अवैध वसूली मिडिया कर्मियों को नजर नहीं आता है। वही सूत्रों की माने तो इस अवैध वसूली के कार्य में कई अधिकारियों सहित मिडिया के लोग भी संलिप्त हैं। वही सूत्रों से जानकारी के अनुसार यदि सामेकित जांच चौकी से अवैध वसूली सहित अन्य जगहों से अवैध वसूली की खेल यदि बंद हो जाय, तो अधिकारियों की उजूल फिजूल खर्चों पर तो रोक लगेगा ही, साथ ही जिला के 90 % पत्रकार पत्रकारिता छोड़ रोजगार के लिए भटकते फिरेंगे।
रिपोर्टर