
गाय सनातन धर्म का प्रतीक, उसकी रक्षा से ही धर्म की रक्षा संभव : शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद
- Rohit R. Shukla, Journalist
- Jul 16, 2025
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मुंबई । “यदि सनातन धर्म को बचाना है तो सबसे पहले गाय को बचाइए, क्योंकि गाय केवल एक पशु नहीं, वह स्वयं धरती का चलता-फिरता रूप है जो हमारी हर इच्छा की पूर्ति कर सकती है।” यह गूढ़ और प्रभावशाली वाणी उत्तराम्नाय ज्योतिषपीठाधीश्वर परमधर्माधीश परमाराध्य जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी श्री अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने बोरीवली स्थित कोरा केंद्र में चल रहे अपने चातुर्मास के दौरान दिव्य प्रवचन में दी।
उन्होंने कहा कि ब्रह्मा जी ने मनुष्यों के समस्त भौतिक और आध्यात्मिक कल्याण के लिए गौमाता को रचा। गाय केवल दूध ही नहीं देती, वह तन, मन, संतान, आरोग्य और समृद्धि सब कुछ देती है। वह सबको अपने में समेट लेने वाली देवी है। गाय ही यज्ञ की मूल प्रेरणा है – उससे मिलने वाला दूध, घी, गोबर, लकड़ियाँ, जौ, तिल, गुड़ आदि समिधा के रूप में यज्ञ में उपयोग होती हैं। गाय का बछड़ा खेत जोतता है और उसी से अन्न उपजता है। इसलिए यज्ञ और गाय सनातन संस्कृति की आत्मा हैं।
शंकराचार्य जी ने श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए यज्ञ की महिमा पर विशेष प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, “जब ब्रह्मा ने हमें सृजित किया तो हमारे साथ हमारा भाई यज्ञ भी प्रकट हुआ। यज्ञ में ब्राह्मणों द्वारा उच्चारित मंत्रों और गौसम्भूत सामग्री से धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष की प्राप्ति संभव होती है।” उन्होंने स्पष्ट किया कि गौ और ब्राह्मण सनातन धर्म के दो प्रमुख स्तंभ हैं, जिनका सम्मान और संरक्षण प्रत्येक धर्मप्रेमी का कर्तव्य है।
शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद जी ने कहा कि आज जो लोग सनातन धर्म को समाप्त करना चाहते हैं, वे सबसे पहले गाय पर प्रहार कर रहे हैं। अतः जो भी सत्य सनातन धर्म में आस्था रखते हैं, उनके लिए गौ माता की रक्षा और प्रतिष्ठा सर्वोपरि होनी चाहिए। इसी भाव से उन्होंने गाय को 'राष्ट्रमाता' घोषित कराने हेतु राष्ट्रव्यापी जनअभियान का श्रीगणेश किया है, जिसे व्यापक जनसमर्थन प्राप्त हो रहा है।
इस अभियान के अंतर्गत वे 33 करोड़ गौ प्रतिष्ठा महायज्ञ का संकल्प लेकर देशभर में व्यापक धर्मजागरण चला रहे हैं। वर्तमान में बोरीवली के चातुर्मास में 108 यज्ञ कुंडों पर वैदिक आचार्यों और ब्राह्मणों द्वारा वैदिक मंत्रोच्चार के साथ महायज्ञ अनवरत जारी है। इसमें मुंबई समेत देशभर से श्रद्धालु, धर्मसेवी और गौभक्त बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं और आहुतियां अर्पित कर रहे हैं।
चातुर्मास के इस पवित्र अवसर पर रुद्र महाभिषेक, गौ प्रतिष्ठा यज्ञ, पादुका पूजन, चंद्रमोलीश्वर पूजा सहित अनेक धार्मिक अनुष्ठान सुबह से देर रात तक सम्पन्न हो रहे हैं। आयोजकों ने समस्त श्रद्धालुओं से आग्रह किया है कि वे चातुर्मास स्थल पर पहुंचकर इन पुण्य आयोजनों में सहभागी बनें और गौ माता की प्रतिष्ठा में भागीदार होकर सनातन धर्म की रक्षा में योगदान दें।
“गाय को बचाइए, यही सनातन धर्म की सच्ची सेवा है” – शंकराचार्य जी का यह उद्घोष अब जनआंदोलन बनता जा रहा है।
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