अनुमंडलीय व्यवहार न्यायालय मोहनियां तपती गर्मी और उमस के बीच न्याय की गुहार, जज चेंबर के बाहर जमीन पर बैठे लोग

जिला संवाददाता संदीप कुमार की रिपोर्ट 

कैमूर-- जिला के अनुमंडलीय व्यवहार न्यायालय मोहनियां में न्याय की आस में आए लोग भीषण गर्मी और उमस के बीच बेबस नजर आ रहे हैं। आलम यह है कि जज के चेंबर के बाहर फरियादियों को जमीन पर बैठकर अपनी बारी का इंतजार करना पड़ रहा है। यह स्थिति न्यायपालिका के समक्ष मौजूद चुनौतियों और आम आदमी की मुश्किलों को उजागर करती है।


मंगलवार को मोहनियां में तापमान 94 डिग्री फ़ारेनहाइट तक पहुंच गया, जबकि आर्द्रता का स्तर भी काफी ऊंचा रहा। ऐसे में बिना किसी उचित व्यवस्था के, खुले में इंतजार करना लोगों के लिए किसी सजा से कम नहीं है। विशेषकर दूर-दराज के गांवों से आए बुजुर्ग और महिलाओं को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

हालांकि, मोहनियां अनुमंडलीय न्यायालय में लोगों की भीड़ और लंबी कतारें कोई नई बात नहीं है। पहले भी कोर्ट फीस और वेलफेयर टिकट के लिए लोगों को लंबी लाइनों में लगने की खबरें सामने आ चुकी हैं, जहां अक्सर नोकझोंक की स्थिति भी बन जाती है। भूमि सर्वे से संबंधित कार्यों और वंशावली बनवाने जैसे मामलों के कारण हाल के दिनों में न्यायालय में भीड़ और भी बढ़ी है।

न्यायालय परिसर में मौजूद लोगों का कहना है कि मामलों की सुनवाई में देरी और कोई निश्चित समय-सारणी न होने के कारण उन्हें घंटों इंतजार करना पड़ता है। बैठने की पर्याप्त व्यवस्था न होने के कारण वे जमीन पर ही बैठने को मजबूर हैं। एक फरियादी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, "सुबह से आए हैं, पता नहीं नंबर कब आएगा। गर्मी से बुरा हाल है, लेकिन न्याय तो चाहिए ही।"

यह स्थिति न केवल आम लोगों के लिए कष्टदायक है, बल्कि यह न्याय की प्रक्रिया में भी बाधा डालती है। गर्मी और थकावट से बेहाल व्यक्ति अपनी बात प्रभावी ढंग से कैसे रख सकता है, यह एक बड़ा सवाल है।

गौरतलब है कि भभुआं और मोहनियां की अदालतों में मामलों के त्वरित निष्पादन के लिए राष्ट्रीय लोक अदालतों का आयोजन भी किया जाता है, जिसमें हजारों पक्षकारों को नोटिस भेजे जाते हैं। इसके बावजूद, नियमित दिनों में न्यायालयों में भीड़ और अव्यवस्था की स्थिति बनी रहती है।

यह मामला न्यायपालिका के बुनियादी ढांचे पर भी सवाल खड़े करता है। जब तक न्यायालयों में पर्याप्त सुविधाएं और बेहतर प्रबंधन नहीं होगा, तब तक आम आदमी के लिए न्याय की राह आसान नहीं होगी। संबंधित अधिकारियों को इस मामले पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है ताकि न्याय की दहलीज पर आए लोगों को इस तरह की कठिनाइयों का सामना न करना पड़े।

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