
महाराष्ट्र नामकरण के प्रथम सूत्रधार थे आदिगुरु शंकराचार्य — स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती
- Rohit R. Shukla, Journalist
- Jul 15, 2025
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मुंबई : उत्तराम्नाय ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी श्री अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती जी महाराज के दर्शन व आशीर्वाद हेतु आज दिनभर श्रद्धालुओं का जनसैलाब उमड़ता रहा। परम पूज्य परमाराध्य महाराजश्री के सान्निध्य में श्रीविष्णु पूजन के पश्चात १०८ कुंडीय गौ प्रतिष्ठा यज्ञ का विधिवत शुभारंभ हुआ।
सुबह ८ बजे आरंभ हुए इस दिव्य यज्ञ में १०८ वैदिक ब्राह्मणों ने गौमाता की रक्षा हेतु ३३ कोटि देवताओं को समर्पित आहुतियाँ प्रदान कीं। यह अनुष्ठान संध्या ७ बजे तक चला और भक्तों ने इसमें श्रद्धापूर्वक भागीदारी की।
इस दौरान धर्मसभा को संबोधित करते हुए परमाराध्य स्वामीश्री ने महाराष्ट्र और शिवाजी महाराज के गौरवपूर्ण इतिहास का स्मरण कराया। उन्होंने एक प्रेरणादायक प्रसंग सुनाया कि बालक शिवाजी जब तलवार लेकर बाजार से गुजर रहे थे, तभी उन्होंने देखा कि एक कसाई गौमाता को जबरन खींचते हुए ले जा रहा है। वह शासकीय संरक्षण प्राप्त व्यक्ति था, जिससे कोई उसे रोकने का साहस नहीं कर पा रहा था।
किन्तु शिवाजी ने बिना डरे उसे ललकारा — "यह गौमाता है, छोड़ दो इसे!" परंतु जब वह नहीं माना, तब शिवाजी ने तलवार खींची और एक ही प्रहार में उसका वध कर गौमाता को मुक्त कर दिया। यह घटना उनकी धर्मनिष्ठा व साहस का प्रतीक बनी और यहीं से उन्हें जनमान्यता मिली।
स्वामीजी ने आगे कहा, “छत्रपती शिवाजी महाराज ने भारतभूमि की रक्षा करते हुए मुगल सत्ता को उखाड़ फेंका और धर्म की स्थापना की। वे महाराष्ट्र के आदर्श व सर्वश्रेष्ठ शासक माने जाते हैं।”
परमाराध्य महाराजश्री ने यह भी बताया कि महाराष्ट्र शब्द का प्रथम प्रयोग आदिगुरु शंकराचार्य जी ने ही किया था। उन्होंने लगभग २५०० वर्ष पूर्व संपूर्ण भारतवर्ष की चार बार परिक्रमा कर चारों दिशाओं में पीठों की स्थापना की और ‘मठाम्नाय अनुशासन’ नामक संविधान के माध्यम से सनातन धर्म को संगठित किया। भारत की एकता व सांस्कृतिक पहचान में उनका योगदान अद्वितीय है।
कार्यक्रम में पादुका पूजन राजकोट के शास्त्री गोपाल जी, शास्त्री हरदीप जी, जयेश जी, सूरत के शास्त्री गोपाल जी, मुंबई से शिवाजी नवटके व दीपेश दवे द्वारा किया गया। वैदिक मंगलाचरण जगद्गुरुकुलम के छात्र अंश पाण्डेय व अनंत बाबू झा ने प्रस्तुत किया, वहीं पौराणिक मंगलाचरण व स्वागत गीत आनंद पाण्डेय द्वारा भावपूर्ण तरीके से प्रस्तुत किया गया।
मेरठ के आनंद प्रकाश गुप्ता ने गुरुदेव चरणों में भक्ति गीत अर्पित किया, जबकि गौध्वज यात्रा के प्रभारी श्री देवेन्द्र पाण्डेय जी ने अपने विचार साझा किए।
मंच पर दंडी स्वामी श्री अम्बरीषानंद जी महाराज, दंडी स्वामी श्री अप्रमेयशिवसाक्षातकृतानंद गिरी जी महाराज, विजय प्रकाश जी, मानव देवेन्द्र पाण्डेय जी व नरोत्तम पारीक जी सहित सैकड़ों श्रद्धालु, ब्रह्मचारी व बटुकगण उपस्थित रहे। कार्यक्रम पूर्णतः धर्म, परंपरा और राष्ट्र की भावना से ओतप्रोत रहा।
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