लड़के-लड़कियों का विवाह एक बड़ी समस्या बन गई है : श्री जीयर स्वामी जी महाराज


रोहतास।चातुर्मास्य व्रत स्थल पर भारत के महान मनीषी संत श्री लक्ष्मी प्रपन्‍न जीयर स्वामी जी महाराज ने कहा कि आज समाज में लड़के लड़कियों की शादी एक बड़ी समस्या बन गई है। पिता, भाई, परिवार के लोग शादी के लिए कई वर्षों से योग्य लड़का ढूंढ रहे हैं। फिर भी कहीं पर शादी सेट नहीं हो रहा है। लेकिन हमें इस पर गंभीरता से विचार करने की जरूरत है। आज शादी में इतनी ज्यादा समस्या क्यों हो रही है। 1 साल, 2 साल, 5 साल उससे भी अधिक वर्षों से अनेकों जगह जाने के बाद भी रिश्ता नहीं बन पा रहा है। उसमें सबसे बड़ी बाधा आज का रीति रिवाज हो गया है। 


जिस प्रकार से आज विवाह से पहले ही लड़कियों को अमर्यादित तरीके से देखा जा रहा है। यह भी एक बड़ी समस्या बन गई है। कहीं पर भी विवाह की थोड़ी बहुत बात आगे बढ़ती है, उसके बाद घर की जो महिलाएं, माताएं होती हैं। वह लड़की देखने की तैयारी करती हैं। साथ में कई और भी अपने जानने वाली महिलाओं को भी लेकर जाती हैं। अब विवाह से पहले ही लड़की को चलाकर, घूमाकर, बैठाकर इस प्रकार से निरीक्षण करती है, जैसे बाजार से किसी सामान या वस्तु को खरीदते समय निरीक्षण किया जाता है। हमारी माताओं को सोचना चाहिए कि जिस समय आपका विवाह हुआ था। उस समय क्या आपको इस प्रकार से यदि देखा गया होगा तो आपको कैसा महसूस हुआ होगा। 


वैसे आज से कुछ वर्ष पहले शादी विवाह विश्वास का एक बंधन हुआ करता था। जिसमें पिता अपनी स्‍वेक्षा से शादी विवाह का फैसला करते थे। उस समय लड़कियों को देखने का प्रचलन नहीं था। जब से इसमें महिलाओं का हस्तक्षेप बढ़ गया है। उसके बाद से ही विवाह एक बड़ी चुनौती बन गई है।


पिता कहीं जाकर शादी ठीक भी करते हैं। तब भी घर की महिलाएं अनेक प्रकार की कटुता निकालने लगती है। जिससे बना बनाया विवाह भी कट जाता है। विवाह काटने का काम यदि कोई करता है, तो उसमें सबसे ज्यादा बड़ा हाथ माता का ही है। माताएं अनेक प्रकार की नुक्स निकालती है। आंख छोटा है, नाक टेढ़ा है, ललाट छोटा है, चेहरा सुंदर नहीं है, चेहरा पर लाइट नहीं है, लड़की का लंबाई कम है। इतना ज्यादा कमी निकालती है, जिसके कारण विवाह अनेकों जगहों पर होते-होते रह जाता है।


लेकिन उन माता को समझना चाहिए विवाह विश्वास, मर्यादा का विषय होता है। विवाह केवल सुंदरता का विषय नहीं है। विवाह वैदिक परंपरा के अनुसार गृहस्थ जीवन जीने का एक माध्यम है। जिसमें पति और पत्नी के बीच विश्वास रूपी डोर ही पूरे जीवन को आगे बढ़ाती है। इसीलिए विवाह करते समय लड़का या लड़की में थोड़ा बहुत अंतर भी हो, तब भी भगवान का कृपा मान कर विवाह करना चाहिए।


क्योंकि जो चीज आप ढूंढ रहे हैं। जैसा लड़का आप ढूंढ रहे हैं। जैसी लड़की आप ढूंढ रहे हैं। वैसा खोजते खोजते पूरा जीवन बीत जाएगा, आप नहीं ढूंढ पाएंगे। क्योंकि हर चीज में कोई न कोई कमी है। यहां तक की भगवान को भी अनेक समय पर दोष और कमियों का सामना करना पड़ा था। हम तो साधारण मानव हैं, तो क्या हम मानव में कमी नहीं है। हर जीव, व्यक्ति, लड़का, लड़की में कुछ न कुछ अच्छाई भी है, कुछ ना कुछ कमियां भी हैं। लेकिन उन कमियों को भी भगवान की कृपा से पूरा किया जा सकता है। 


कई बार तो विवाह से पहले माता-पिता बहुत प्रयास करके अच्छा लड़का या लड़की ढूंढते हैं। लेकिन विवाह के बाद कई प्रकार की समस्याएं खड़ी हो जाती है। जबकि एक सामान्य माता-पिता अपने लड़के और लड़कियों को साधारण परिवार में भी शादी कर देते हैं। तब भी शादी के बाद उनके जीवन में धन, सुख, शांति, समृद्धि दिनों दिन बढ़ने लगता है। इसीलिए आपके खोजने से ही सब कुछ नहीं मिल सकता है। उन परम ब्रह्म भगवान श्री कृष्ण की कृपा होगी तो जीवन में सब कुछ मिल सकता है।


जीवन में कोई भी व्यक्ति यह नहीं चाहता है कि हमारे जीवन में दुख आए। लेकिन जीवन में दुख भी आता है। तब तक रहता है, जब तक दुख का मर्जी होता है। जीवन में सुख भी अपने आप आ जाता है। जिस प्रकार से दुख को आने से नहीं रोका जा सकता है। उसी प्रकार से आप कितना भी अच्छा घर, परिवार, नौकरी वाला, धन वाला लड़का ढूंढ लीजिए या बहुत सुंदर ज्ञानी लड़की ढूंढ लीजिए। जब तक भगवान का कृपा नहीं होगा तब तक आपके ढूंढने पर भी वह पूर्ण रूप से कारगर नहीं होगा। उसमें अनंत प्रकार की बाधाएं आपके भविष्य में देखने को मिलेगी। इसीलिए वैवाहिक संबंध का निर्धारण परमात्मा की आज्ञा मानकर विश्वास की डोर में बंधकर निश्चित करना चाहिए।


भगवान श्री कृष्णा गीता में अर्जुन से कहते हैं। अर्जुन कर्म करो फल की इच्छा मत करो। अच्छा कर्म अच्छा परिणाम देता है। इसीलिए विवाह करने के लिए आप प्रयत्न कीजिए। पिता को स्वतंत्र रूप से लड़के और लड़की का विवाह करने का अधिकार होना चाहिए। तभी विवाह में हो रही देरी का निवारण हो सकता है। क्योंकि जब तक विवाह में महिलाओं का हस्तक्षेप होता रहेगा। तब तक विवाह लड़के और लड़कियों का समय से नहीं हो पाएगा।


लड़कियों का विवाह करने का उचित उम्र 21 से 25 वर्ष तक बताया गया है। क्योंकि आज उच्च शिक्षा प्राप्त करने में थोड़ा अधिक समय लग जा रहा है। लेकिन लड़कियों का शादी 25 वर्ष तक जरूर कर देना चाहिए। यदि आप ऐसा नहीं करते हैं तो इसका परिणाम समाज संस्कृति पर नकारात्मक रूप से दिखाई पड़ता है। जिसके कारण समाज में भटकाव उत्पन्न होता है। इसीलिए माता और पिता की अपने बच्चे और बच्चियों के प्रति पूर्ण रूप से जवाबदेह होने की जरूरत है।


एक चीज और माता को विशेष रूप से कहना चाहते हैं। आप शादी विवाह में दूसरे के लड़की को भी अपनी लड़की की तरह आदर और सम्मान करें। क्योंकि समाज में हर व्यक्ति के लड़की और लड़के का शादी करना है। आज आपके लड़के का शादी करना है। आप दूसरे के यहां जाकर के लड़की को देखते हैं। एक दिन आपके लड़की को भी देखने के लिए दूसरे लोग आएंगे। जिस प्रकार से दूसरे के लड़की को आप देखते समय प्रताड़ित करते हैं। उसी प्रकार से आपकी लड़की के साथ भी विवाह में हो सकता है। इसीलिए हर माता-पिता के लड़के और लड़की का आदर सम्मान अपनों के जैसा होना चाहिए।


आगे स्वामी जी बोले कि श्रीमद् भागवत कथा अंतर्गत कपिल देव भगवान से उनकी माता देवहूति पूछ रही हैं। पुत्र व्यक्ति को अपना कल्याण करने के लिए क्या करना चाहिए। वही भगवान कपिल देव जी अपनी माता को नवधा भक्ति बता रहे हैं। जिसमें मानवों के कल्याण के लिए नौ प्रकार की भक्ति बताई गई है। मानव जीवन में व्यक्ति को अपने जीवन में सुख, शांति, समृद्धि, धन, कृति ऐश्वर्य, स्वस्थ जीवन के लिए जितने प्रकार की भक्ति को करना चाहिए। जिसकी व्याख्या स्वामी जी ने प्रवचन करते हुए विस्तार से बताया। नवधा भक्ति इस प्रकार हैं - श्रवणम्, कीर्तनम्, स्‍मरणम्, पादसेवनम्, अर्चनम्, वंदनम्, दास्‍यम्, साख्‍यम्, आत्‍मनिवेदनम् ।

रिपोर्टर

संबंधित पोस्ट