पूर्णाआहुति के साथ पंचकुंडीय महायज्ञ व महाआरती के पश्चात श्रीमद् भागवत कथा का हुआ समापन


तलेन । नगर तलेन के मनकामेश्वर महादेव मंदिर पर चल रहे पंचकुडीय महायज्ञ व सात दिवसीय भागवत कथा का समापन हुआ । 28 मार्च से प्रारंभ हुई श्रीमद् भागवत कथा व  30 मार्च से प्रारंभ हुआ पंचकुंडीय महायज्ञ  गुरुवार को समापन हुआ। पंचुकुंडीय  यज्ञाचार्य दुर्गा प्रसाद जी शर्मा के सानिध्य में विधि विधान पूर्वक  यजमानों द्वारा पूर्ण आहुति के साथ संपन्न हुआ। वही भागवत कथा के अंतिम दिन परम पूज्य गुरुदेव गोविंद भारद्वाज जी द्वारा श्री कृष्ण सुदामा का प्रसंग सुनाया।

कृष्ण सुदामा का  प्रेम संबंध प्रसंग सुनकर श्रोतागण भाव विभोर हो गए। ने कहा कि जब कृष्ण बालपन में ऋषि संदीपन के पास शिक्षा ग्रहण कर रहे थे तो उनकी मित्रता सुदामा से हुई थी। कृष्ण एक राजपरिवार में और सुदामा ब्राह्मण परिवार में पैदा हुए थे। शिक्षा-दीक्षा समाप्त होने के बाद भगवान कृष्ण राजा बन गए वहीं दूसरी तरफ सुदामा के बुरे दौर की शुरुआत हो चुकी थी। बुरे दिन से परेशान होकर सुदामा की पत्नी ने उन्हें राजा कृष्ण से मिलने जाने के मजबूर किया।पत्नी के जिद को मानकर सुदामा अपने बाल सखा कृष्ण से मिलने द्वारिका गए। तब कृष्ण अपने मित्र सुदामा के आने का संदेश पाकर नंगे पैर ही उन्हें लेने के लिए दौड़ पड़े।

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