
अस्थायी साधनों का प्रयोग कर पहले व दूसरे बच्चे के उम्र में रख सकते हैं तीन साल का अंतर
- रामजी गुप्ता, सहायक संपादक बिहार
- Jun 29, 2021
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- तीन साल से कम अंतराल से बढ़ता जाती है कुपोषण की संभावना
- बच्चों के उम्र में कम अंतर होने से मातायें हो सकती हैं एनीमिया की शिकार
बक्सर, 29 जून | परिवार नियोजन पखवाड़ा का उद्देश्य केवल अस्थायी और स्थायी निरोधक साधानों को बढ़ावा देना ही नहीं हैं, बल्कि लोगों को इसके फायदों और नुकसान की मुकम्मल जानकारी देना भी है। ताकि, लाभुक ‘छोटा परिवार, सुखी परिवार’ के महत्व को समझ सकें। आज के परिवेश में अधिकांश लोग दो बच्चे पैदा करना पसंद करते हैं, लेकिन बच्चे के जन्म के अंतर के विषय में उन्हें पूरी जानकारी नहीं होती है। जानकारी के अभाव में यदि बच्चे के जन्म का अंतर सही नहीं हुआ, तो इसके कारण कई बार मां को स्वास्थ्य से जुड़ी हुई समस्याएं भी हो जाती हैं। साथ ही, जच्चा व बच्चा दोनों संकट में आ सकते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन का भी मानना है कि दो बच्चों के जन्म में कम से कम तीन साल का अंतर रखा जाये। ऐसा न करने से महिलाएं उच्च जोखिम वाली गर्भावस्था में पहुंच जाती हैं। वहीं बच्चों के भी कुपोषित होने की पूरी संभावना रहती है। बच्चों के जन्म में तीन साल से कम अंतर रखने वाली करीब 62% महिलाएं एनीमिया की गिरफ्त में आ जाती हैं।
7.2 % किशोरियां 15 से 19 वर्ष के बीच हो जाती हैं गर्भवती :
एनएफएचएस-4 (2015-16) के आंकड़े बताते हैं कि जिले में करीब 5.5% किशोरियां 15 से 19 साल की उम्र में गर्भवती हो जाती हैं या मां बन चुकी होती हैं। वहीं, एनएफएचएस-5 के आंकड़ों को देखा जाये, तो यह संख्या 7.2% तक पहुंच गयी है। इस वर्ग की किशोरियों को असुरक्षित गर्भपात और किशोरावस्था में गर्भ धारण को टालने के लिए अंतराल विधियों के बारे में जागरूक करना और उपलब्धता सुनिश्चित कराने पर पूरा ज़ोर दिया जा रहा है। यह वह अवस्था होती है जब किशोरियों को उच्च जोखिम वाली गर्भावस्था का सामना करना पड़ता है, जो कि मातृ एवं शिशु मृत्यु का प्रमुख कारण भी बनता है। इसलिए सही मायने में मातृ एवं शिशु मृत्यु दर पर काबू पाने के लिए पहले इस वर्ग तक परिवार नियोजन के मौजूद विकल्पों को पहुंचाना बहुत जरूरी है।
दंपतियों के लिये अस्थायी साधानों का प्रयोग होगा कारगर :
जिला स्वास्थ्य उत्प्रेरक (डीसीएम) संतोष कुमार राय ने बताया, शादी के कितने साल बाद नवदंपति बच्चा प्लान करते हैं, वो उनके उम्र पर निर्भर करता है। लेकिन, पहले बच्चे के बाद दूसरे बच्चे के जन्म में तीन साल का अंतर रखना जरूरी है। बच्चों के जन्म में अंतर रखना बेहद आसान है। इसके लिये दंपतियों को अस्थायी नियोजन के साधानों का इस्तेमाल करना चाहिये। जो काफी अधिक कारगर हैं। फिलवक्त परिवार नियोजन के लिए मौजूद आधुनिक साधनों में ज़्यादातर लोगों को अस्थाई साधन पसंद आ रहे हैं। इन अस्थाई साधनों में इंट्रायूट्राइन कोंट्रासेप्टिव डिवाइस (आईयूसीडी), पोस्टपार्टम इंट्रायूट्राइन कोंट्रासेप्टिव डिवाइस (पीपीआईयूसीडी), अंतरा, कंडोम, कोंट्रासेप्टिव पिल्स (ओसीपी) और छाया आते हैं। लेकिन, इसके लिसे किसी भी दंपति को स्वयं जागरूक होना जरूरी है। तभी वह सही निर्णय ले पाएंगे और सही समय पर बच्चा प्लान कर पायेंगे। लेकिन, इसके लिये उनकी काउंसलिंग बहुत जरूरी है। जिससे वह छोटी मोटी बातों को ठीक से समझ सकें।
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