
सुविधा के अभाव में गंभीर मरीजों को रेफर करने के सिवाय डॉक्टरो के पास कोई दुसरा विकल्प नहीं
- कुमार चन्द्र भुषण तिवारी, ब्यूरो चीफ कैमूर
- Jun 16, 2025
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बिहार के राजनेताओं पर यह कहावत सटीक बैठती है बाहर लंबी लंबी धोती धरे पटुवा की रोटी
संवाददाता श्याम सुंदर पांडेय की रिपोर्ट
दुर्गावती (कैमूर)-- आजादी के बाद से अब तक स्वास्थ्य के क्षेत्र में मूलभूत सुविधा नहीं होने के कारण घायल हो या रोग से ग्रसित मरीज बिहार से रेफर करने के अलावा डॉक्टरो के पास कोई विकल्प नहीं है । गंभीर स्थिति या दुर्घटनाओं में समाचार पत्र की पहली सुर्खी बनती है मरीज को किया गया रेफर आखिरकार ऐसा क्यों क्या कमी है बिहार में कि यहां के राजनेताओं ने कोई बड़ा स्वास्थ्य केंद्र या मेडिकल रिसर्च सेंटर जैसे हॉस्पिटल नहीं बना पाए। आजादी के बाद से इन सुविधाओं के अभाव में जूझता मरीज कभी-कभी वाराणसी या पटना जाते समय बीच रास्ते में ही दम तोड़ देता है। बिहार के राजनेताओ ने बिहार को मजदूर का प्रवेश बनाने के साथ-साथ यहां की जनता को स्वास्थ्य की समुचित सुविधा देने में भी आज तक असफल रहे। बिहार में उद्योग विहीन धरातल उद्योग विहीन शिक्षा आधुनिक सुविधाओं से लैश चिकित्सालय आईटी सेक्टर और तकनीकी की यूनिवर्सिटी वैज्ञानिक अनुसंधान केंद्र जैसे सुविधाओं पर कभी काम करना ही नहीं चाहा जिसका परिणाम है कि रोजगार की तलाश हो या नौकरी की या तकनीकी शिक्षा की या बेहतर इलाज की दूसरे राज्यों में जाने के सिवा कोई रास्ता हैं ही नहीं । हां बिहार में राजनेताओं ने एक काम पर काफी जोर डाला और किया भी जो आज भी जारी है। जैसे जात-पात की राजनीति जाति आधारित सुविधा जातीय अपराधियों को टिकट देना भ्रष्टाचार कर संपत्ति अर्जित करना बिहार के राजनेताओं का मुख्य फोकस इन्हीं सब बिंदुओं पर रहा जो आज भी जारी है। रोजगार के लिए जनता कहीं बाहर जाए या स्वास्थ्य के लिए कही रेफर हो इसकी चिंता किसी भी राजनेताओं को नहीं है न थी। बिहार की जनता की आपसी फूट के चलते बिहार की राजनीति जात पात में उलझी हुई है और मूल भूत सुविधाओं से वंचित होकर जीवन व्यतीत करने के लिए विवश है यह जनता की सबसे बड़ी कमी है।
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