कब रुकेगा बिहार से युवाओं का पलायन,

संवाददाता श्याम सुंदर पांडेय की लेखनी से 

दुर्गावती (कैमूर)-- आजादी के बाद से ही युवाओं का पलायन बिहार से बंद नहीं हो रहा है आज भी बिहार मजदूरों के प्रदेश के रूप में पूरे विश्व में जाना जाता है। जिस बिहार को खनिज संपदा से भरा क्षेत्रफल बिहार की जनता को मिला आखिरकार वहां की जनता आजादी के बाद से आज तक क्यों अपने पेट को भरने के लिए या शिक्षा प्राप्त करने के लिए अन्य राज्यों की तरफ रुख करना पड़ रहा है यह एक बहुत बड़ा सवाल यहां के राजनेताओं से। बिहार के राजनेताओं ने केवल बिहार में अपनी कुर्सी के लिए राजनीति की लेकिन बिहार की जनता के विषय में लगता है कभी सोचा ही नहीं। न यहां कोई उद्योग लगे न कल कारखाने बल्कि जो उद्योग विहार में लगे थे वह भी बंद हो गये। शिक्षा के क्षेत्र में अग्रगणीय विश्व में जाने जाना वाला बिहार आज शिक्षा के लिए अन्य राज्यों की तरफ देख रहा है और अपनी शिक्षा या तो अन्य राज्यों में या दूसरे देशों में प्राप्त करने के लिए बाध्य है। जहां आजादी के बाद दूसरे राज्य अपने राज्यों में उद्योग लगाए तकनीकी यूनिवर्सिटी खोली वहीं बिहार के राजनेता केवल अपनी कुर्सी की राजनीति करते रहे। आज भी बिहार में जातिवाद की राजनीति से तो कभी वंशवाद की राजनीति से सत्ता खेल शुरू है और आज अप्सर शाही का खेल चल रहा है।

कब टूटेगी बिहार के राजनेताओं की तंद्रा कुछ कह पाना मुश्किल है। आज भी राजनेताओं के द्वारा वोट को प्राप्त करने का खेल चल रहा है लेकिन उद्योग और तकनीकी युक्त यूनिवर्सिटी खोलने पर सबके जुबान बंद है। अब देखना यह है कि जनता कब तक राजनीतिक नेताओं के कुत्सिक मानसिकता का शिकार बनती हैं या कोई राजनेता बिहार को मजदूरो का प्रदेश बनने से रोक पाता है और बिहार से युवाओं के पलायन पर रोक लगाने की रणनीति पर काम कर सकता है यह आने वाला समय वैसे रजाताओं का इंतजार कर रहा है।

रिपोर्टर

संबंधित पोस्ट