
"मांडना" महिलाओं की सृजनात्मकता- समाज में बदलाव लाने की इच्छाशक्ति पारंपरिक "मांडना" से बाल विवाह मिटाने का संदेश
- राजेंद्र यादव, ब्यूरो चीफ, मध्यप्रदेश
- Jan 24, 2025
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राजगढ । ग्राम नेसडी की महिलाओं ने बाल विवाह के खिलाफ़ एक अनूठी और सराहनीय पहल करते हुए अपने आंगनों में "मांडना" बनाकर एक महत्वपूर्ण संदेश दिया है। "मांडना" ग्रामीण संस्कृति की पारंपरिक कला है, जिसे महिलाएं अपने आंगनों को गोबर से लीपने के बाद सजाती हैं। इस बार इस पारंपरिक कला को महिलाओं ने सामाजिक बदलाव का माध्यम बनाया है।
नेसडी की महिलाओं ने अहिंसा वेलफेयर सोसायटी के युवामंच के सहयोग से मांडना के जरिए गांव को बाल विवाह मुक्त बनाने का संकल्प लिया है। इस पहल के तहत महिलाओं ने मांडना बनाते हुए संदेश दिया कि "बाल विवाह गलत है और इसे समाप्त करना समाज की ज़िम्मेदारी है। यह कदम बच्चों और युवाओं को बेहतर भविष्य और सुरक्षित जीवन प्रदान करने की दिशा में उठाया गया है।
बाल विवाह जैसी प्रथा के कारण बच्चों का बचपन छिन जाता है और उनका शारीरिक व मानसिक विकास बाधित होता है। लड़कियों को खासतौर पर इस प्रथा का खामियाजा भुगतना पड़ता है, जो उनकी शिक्षा, स्वास्थ्य और आत्मनिर्भरता को प्रभावित करता है। नेसडी की महिलाएं, जो अब तक केवल अपने आंगनों को सजाने के लिए मांडना बनाती थीं, अब इसे सामाजिक जागरूकता का माध्यम बना रही हैं।
यह पहल न केवल महिलाओं की सृजनात्मकता को दर्शाती है, बल्कि उनके भीतर की जागरूकता और समाज में बदलाव लाने की इच्छाशक्ति को भी उजागर करती है। महिलाएं इस मांडना के माध्यम से पूरे गांव एवं देशभर में यह संदेश फैलाने की कोशिश कर रही हैं कि बाल विवाह जैसी कुरीतियों को समाप्त करना आवश्यक है।
ग्रामीण क्षेत्रों में बाल विवाह के खिलाफ इस प्रकार का अनूठा प्रयास परिवर्तन का संकेत है। नेसडी की महिलाओं ने यह साबित कर दिया है कि जब महिलाएं अपनी ताकत को पहचानती हैं और एकजुट होकर कदम उठाती हैं, तो समाज में बड़े बदलाव संभव हैं।
नेसडी का यह मांडना केवल एक पारंपरिक कलाकृति नहीं, बल्कि एक प्रतीक है, जो गांव के हर व्यक्ति को यह याद दिलाता है कि बाल विवाह जैसी प्रथाओं को खत्म कर समाज को प्रगतिशील और बच्चों के लिए सुरक्षित बनाना हमारी जिम्मेदारी है। यह पहल ग्रामीण क्षेत्रों में सामाजिक जागरूकता का आदर्श उदाहरण बना है।
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