भिवंडी में खड्डों की मार, मानवाधिकार आयोग ने उठाया सख्त कदम

भिवंडी। भिवंडी शहर की सड़कों पर खड्डों की समस्या ने मानो स्थायी रूप ले लिया है।सड़कें और खड्डे जैसे एक दूसरे में घुल-मिल गए हों। नागरिकों की इस पीड़ा को लेकर राज्य मानवाधिकार आयोग ने खुद सुओ मोटो याचिका दर्ज कर इस मामले की गंभीरता को उजागर किया है। याचिका पर सुनवाई के दौरान यह स्पष्ट हुआ कि हर प्राधिकरण अपनी जिम्मेदारी दूसरों पर डालने में लगा है। इस पर आयोग के अध्यक्ष के.के. तातेड ने राज्य के मुख्य सचिव को भी प्रक्रिया में शामिल कर सभी संबंधित विभागों की बैठक बुलाने और इस समस्या का स्थायी समाधान निकालने का निर्देश दिया।

तथ्य यह है कि आयोग की सख्ती के बावजूद भिवंडी की सड़कें बदहाल स्थिति में हैं। याचिकाकर्ता अशोक जैन ने 7 अगस्त 2024 को नया शपथ-पत्र दाखिल कर शहर की सड़कों की दयनीय स्थिति को उजागर किया। उन्होंने खड्डों की तस्वीरों के साथ-साथ शहर की विभिन्न संस्थाओं जैसे इंडियन मेडिकल एसोसिएशन, भिवंडी बार एसोसिएशन और अन्य संगठनों द्वारा आयोग को भेजे गए पत्र भी प्रस्तुत किए.25 नवंबर को अशोक जैन ने खड्डों की नई तस्वीरें आयोग को सौंपीं। इन तस्वीरों पर भिवंडी नगर पालिका प्रशासन ने सवाल उठाते हुए कुछ तस्वीरों को पुराना बताया। इस पर आयोग ने दोनों पक्षों को संयुक्त निरीक्षण कर सच्चाई पर आधारित रिपोर्ट सौंपने के आदेश दिए। बुधवार को नगर पालिका के शहर अभियंता जमील पटेल, याचिकाकर्ता अशोक जैन और अन्य अधिकारियों ने शहर के खड्डों का निरीक्षण किया। निरीक्षण के बाद यह साफ हो गया कि समस्या जस की तस बनी हुई है।

आयोग के हस्तक्षेप और नगर पालिका द्वारा करोड़ों रुपये खर्च करने के बावजूद खड्डों की समस्या का समाधान नहीं हुआ है। नागरिकों ने इस लापरवाही पर चिंता जताई है और सवाल किया है कि आखिर कब तक उनकी जान जोखिम में डालकर इस मुद्दे को टाला जाएगा। क्या अब भी प्रशासन अपनी जिम्मेदारी से बचने का प्रयास करेगा, या भिवंडी के नागरिकों को इन खड्डों से राहत मिलेगी? सवाल गंभीर है और जवाब का इंतजार पूरा शहर कर रहा है।

रिपोर्टर

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