जौनपुर के रामघाट पर सुखदेव राजभर पंचतत्व में विलीन, बेटे ने दी मुखाग्नि, अंतिम विदाई में उमड़ा जनसैलाब

पूर्व विधानसभा अध्यक्ष और बसपा विधायक सुखदेव राजभर का अंतिम संस्कार आज जौनपुर के रामघाट पर हुआ। मंगलवार देर शाम उनका पार्थिव शरीर लखनऊ से आजमगढ़ के पैतृक आवास पर लाया गया था। बुधवार सुबह शव यात्रा निकाली गई। 

जौनपुर के रामघाट पर उमड़ा जनसैलाब


जौनपुर के रामघाट पर उमड़ा जनसैलाब 

पूर्व विधानसभा अध्यक्ष और बसपा विधायक सुखदेव राजभर बुधवार दोपहर जौनपुर के रामघाट पर पंचतत्व में विलीन हो गए। पुत्र कमलाकांत उर्फ पप्पू ने मुखाग्नि दी।  पूर्व विधानसभा अध्यक्ष को अंतिम विदाई देने के लिए घाट पर जनसैलाब उमड़ा। आजमगढ़ के बड़गहन स्थित पैतृक आवास से निकली शव यात्रा करीब एक बजे रामघाट पहुंची। जिसके बाद विधि-विधान से अंतिम संस्कार किया गया।

इस दौरान सुरक्षा के भी व्यापक प्रबंध किए गए। घाट पर कैबिनेट मंत्री अनिल राजभर, पूर्व मंत्री रामअचल राजभर, दारा सिंह चौहान, पूर्व मंत्री जगदीश नारायण राय, सपा के विधायक व पूर्व मंत्री शैलेंद्र यादव ललई समेत कई दिग्गज नेता मौजूद रहे।  

 विश्व राजभर भर फाउंडेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष एडवोकेट प्रकाश राजभर राष्ट्रीय प्रमुख महासचिव हरीश राजभर हरीलाल राजभर राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अच्छेलाल राजभर उत्तर प्रदेश मीडिया प्रभारी ने भी श्रद्धांजलि अर्पित की।

कई दिनों से बीमार चल रहे सुखदेव राजभर का सोमवार को लखनऊ स्थित एक अस्पताल में निधन हो गया था। मंगलवार शाम उनका पार्थिव शरीर आजमगढ़ के बड़गहन स्थित पैतृक आवास पर लाया गया था। जिसके बाद से श्रद्धासुमन अर्पित करने और अंतिम दर्शन करने के लिए शुभचिंतकों और समर्थकों का जमावड़ा लग गया था। बुधवार सुबह शवयात्रा निकाली गई। जौनपुर के रामघाट पर अंतिम संस्कार हुआ। 

पांच बार चुने गए विधायक

लोगों ने कहा कि गरीब, शोषित और मजलूमों के लिए लीक से हटकर कार्य करने के कारण इस वर्ग के लोग सुखदेव राजभर को काफी सम्मान देते थे। वह हर व्यक्ति को साथ लेकर चलने में विश्वास रखते थे। उनकी किसी से भी कोई वैमनस्यता नहीं थी। अपने इसी व्यवहार के कारण वह तीन बार लालगंज और दो बार दीदारगंज विधानसभा क्षेत्र से विधायक चुने गए। 


सुखदेव राजभर का ऐसा रहा राजनीतिक सफर

जौनपुर के रामघाट पर उमड़ा जनसैलाब

बड़गहन स्थित पैतृक आवास के बाहर जुटी भीड़ 


गरीबों, शोषितों और मजलूमों की लड़ाई ने सुखदेव राजभर को उस मुकाम तक पहुंचाया जहां पहुंचने का हर कोई सपना देखता है। राममंदिर निर्माण को लेकर 1991 में भाजपा के पक्ष में चली बयार के बीच उन्होंने लालगंज सामान्य सीट से चुनाव लड़ने का फैसला किया। यहां उन्होंने भाजपा के दिग्गज नेता नरेंद्र सिंह को हराते हुए पहली जीत दर्ज की।


इसके बाद उन्होंने 1993 के हुए चुनाव में भी जीत दर्ज की। लेकिन 1996 में हुए चुनाव में नरेंद्र सिंह के सामने उन्हें हार का सामना करना पड़ा। लेकिन इसके बाद भी वह मैदान में डटे रहे। जिसका परिणाम रहा कि 2002 और 2007 के चुनाव में लालगंज विधानसभा सीट से विधायक रहे।

इसके बाद 2012 में हुए चुनाव में नए परिसीमन के बाद बनी दीदारगंज सीट से चुनाव लड़े लेकिन सपा के आदिल शेख से उन्हें हार का सामना करना पड़ा। लेकिन 2017 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने आदिल शेष को हराकर इस सीट पर कब्जा जमाया।

किसी का भला नहीं कर सकते तो उसका बुरा भी मत करो'

उनके करीबियों में शामिल जिला पंचायत सदस्य अशोक राजभर ने बताया कि पूर्व मंत्री हमेशा गरीबों और मजलूओं की लड़ाई को लड़ते थे। वह हमेशा कहते थे कि अगर किसी का भला नहीं कर सकते तो उसका बुरा भी मत करो। उनके मन में किसी के प्रति कोई वैमनस्यता नहीं थी। वह सभी को साथ लेकर चलते थे। वह लीक से हटकर भी समाज के लिए काम करते थे।

रिपोर्टर

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