
भिवंडी बाईपास पर सड़क धंसी, छह किलोमीटर तक जाम
- महेंद्र कुमार (गुडडू), ब्यूरो चीफ भिवंडी
- Aug 21, 2025
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भिवंडी। मुंबई-नासिक राजमार्ग पर भिवंडी बाईपास के पिंपलास रेलवे पुल के पास सड़क धंसने की घटना ने यातायात व्यवस्था पूरी तरह चरमरा दी है। बुधवार देर रात हुए इस हादसे में पुल के पास करीब पाँच मीटर तक सड़क के नीचे की मिट्टी धंस गई, जिससे यह मार्ग बेहद खतरनाक हो गया है। परिणामस्वरूप गुरूवार सुबह से ही वाहनों की लंबी कतारें लग गईं और भिवंडी से ठाणे की ओर लगभग छह किलोमीटर का इलाका भीषण जाम की चपेट में आ गया।
दरअसल, वसई-दिवा रेलवे लाइन के लिए बाईपास पर पहले से ही एक पुल मौजूद है। फिलहाल इस मार्ग को आठ लेन का बनाने का काम चल रहा था और इसके लिए अतिरिक्त पुल का निर्माण भी जारी था। इसी निर्माण कार्य के दौरान सड़क के नीचे की मिट्टी अचानक धंसने लगी। समय रहते मामला सामने आने पर बड़े हादसे से तो बचा लिया गया, लेकिन हजारों यात्रियों को घंटों तक जाम में फंसे रहना पड़ा। यातायात विभाग ने तत्काल कदम उठाते हुए प्रभावित हिस्से को बैरिकेड्स लगाकर बंद कर दिया और सिर्फ एक लेन से गाड़ियों की आवाजाही शुरू की। सहायक पुलिस आयुक्त शरद ओव्हाल और कोनगांव ट्रैफिक शाखा के वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक सुधाकर यादव ने मौके पर पहुंचकर यातायात नियंत्रित किया। बावजूद इसके, पिंपलास रेलवे पुल से लेकर येवई नाका तक गाड़ियों की लंबी कतारें लगी रहीं। जाम का असर ठाणे से भिवंडी आने वाले मार्ग पर भी दिखाई दिया।
गाड़ियों में फंसे नागरिकों का कहना है कि सड़क निर्माण की गुणवत्ता और निगरानी पर गंभीर सवाल उठते हैं। अगर सड़क धंसने का यह मामला किसी व्यस्त समय पर हुआ होता, तो बड़े हादसे की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता। स्थानीय नागरिकों का आरोप है कि राजमार्ग प्राधिकरण और ठेकेदार की लापरवाही इस स्थिति के लिए जिम्मेदार है।
विशेषज्ञ मानते हैं कि जब राजमार्ग को आठ लेन बनाने का काम चल रहा है, तो मिट्टी की मजबूती और आधारभूत संरचना की गुणवत्ता की जांच अनिवार्य थी। लेकिन इस दिशा में गंभीर चूक हुई है। अब सवाल उठ रहा है कि आखिर सरकार और एनएचएआई इस मामले में किसके खिलाफ कार्रवाई करेगी। भिवंडी जैसे औद्योगिक और व्यावसायिक केंद्र में इस तरह की घटनाएँ न केवल यातायात को प्रभावित करती हैं, बल्कि व्यापार, उद्योग और आम नागरिकों की रोज़मर्रा की जिंदगी को भी ठप कर देती हैं। अब जनता सरकार से मांग कर रही है कि इस मामले की उच्च स्तरीय जांच कर जिम्मेदार अधिकारियों और ठेकेदारों पर कठोर कार्रवाई की जाए, ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोका जा सके।
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