भिवंडी मनपा में अधिकारियों और ठेकेदारों की मिलीभगत से विकास कार्यों में बड़ा घोटाला !

काम से पहले बंटता है कमीशन, विभागीय मंजूरी से पहले जारी हो जाते हैं ठेके


भिवंडी। भिवंडी-निजामपुर महानगरपालिका में लागू प्रशासनिक राजवट के बीच भ्रष्टाचार की परतें एक-एक कर सामने आ रही हैं। मनपा में काम करवा रहे कुछ ठेकेदारों और वरिष्ठ अधिकारियों की सांठगांठ का ऐसा जाल बिछा है कि बिना विभागीय मंजूरी के भी कामों के ठेके दिए जा रहे हैं। आरोप है कि अधिकारी पहले ही ठेकेदारों से हिस्सा तय कर लेते हैं और फिर उन्हें मनमाने ढंग से काम सौंप दिया जाता है।

सूत्रों के अनुसार, मनपा के विभिन्न विभागों खासकर स्वास्थ्य व स्वच्छता, जल आपूर्ति और सफाई में छोटे-बड़े कामों में भी अधिकारियों की 'हिस्सेदारी' पक्की रहती है। झाड़ियां काटने से लेकर सड़कों की मरम्मत और गटर सफाई तक के छोटे-छोटे कार्यों में भी पहले "कमीशन" का सौदा होता है, उसके बाद आदेश जारी किए जाते हैं।

चौंकाने वाली बात यह है कि मनपा की निधि मंजूर होने से पहले ही अधिकारी आपस में काम और बजट का बंटवारा कर लेते हैं। इस कारण शहर में कई जरूरी विकास कार्य ठप पड़े हैं। आधे-अधूरे निर्माण कार्य, जर्जर सड़कें और बदहाल सफाई व्यवस्था इसका प्रत्यक्ष प्रमाण हैं।

कुछ ठेकेदारों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि समय पर बिल भुगतान नहीं मिलने के कारण वे भारी आर्थिक संकट में हैं और कर्ज लेकर काम कर रहे हैं। वहीं, मनपा प्रशासन की ओर से उन्हें लगातार नए कामों के लिए दबाव भी बनाया जाता है। इस पूरे मामले में सबसे गंभीर बात यह है कि मनपा में कोई ठोस निगरानी व्यवस्था नहीं है, जिससे अधिकारी और ठेकेदार मिलकर करोड़ों रुपये के कामों में मनमानी कर रहे हैं। ठेकेदारों से जबरिया हिस्सेदारी वसूलना अब ‘नियम’ बन चुका है।

नगरसेवक विहीन इस व्यवस्था में आम जनता की शिकायतें सुनने वाला कोई नहीं है। शहरवासी बुनियादी सुविधाओं के लिए संघर्ष कर रहे हैं, लेकिन मनपा प्रशासन अपनी अंदरूनी साजिशों में ही उलझा हुआ है। जरूरत है कि राज्य सरकार और नगर विकास विभाग इस भ्रष्ट तंत्र की गहन जांच करवाए और दोषी अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई सुनिश्चित करे, ताकि भिवंडी शहर को उसका वाजिब विकास मिल सके।

रिपोर्टर

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