
भारत को धर्मशाला बना डाला भारत के राजनेताओं ने
- कुमार चन्द्र भुषण तिवारी, ब्यूरो चीफ कैमूर
- Jun 21, 2025
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संवाददाता श्याम सुंदर पांडेय की रिपोर्ट
दुर्गावती (कैमूर)-- भारत अब तेरे कितने टुकड़े होंगे देखने का समय लगता है नजदीक आते जा रहा है भारतीय राजनेताओं की गंदी सोच जातिगत कानून बिना परमिशन के किसी देश से आए हुए नागरिकों को ठहरने का स्थान देना जो साक्षात काल को आमंत्रण देने के समान है, फिर भी कुंभकरण की निद्रा में सोया भारतीय राजनेता जागने का नाम नहीं ले रहा है। लाखों पुरुष महिला का नरसंहार हुए बलात्कार हुए देश के टुकड़े हुए फिर भी इतिहास के इन घटनाओं से सबक लेने की जगह उसी राह पर चलती भारत की राजनीति एक बार फिर लगता है अलगाववाद की तरफ बढ़ रही है। इतिहास से सबक लेने की जगह नए इतिहास बनाने के रास्ते की तलाश करने के सूरत में कुर्सी पाने के लिए राजनेता यहां की संस्कृति को विनाश करने पर तुला हुआ है। आज देश का कोई ऐसा राज्य नहीं जहां विदेशी घुसपैठी अपना डेरा नहीं डाले हुए हो। बंगाल या कर्नाटक में हो रहे कुकृत्य और हो रहे नरसंहार से लगता है कि यहां के राजनेताओं ने अपनी आंखें बंद कर ली है। लगता है धृतराष्ट्र की सभा द्रोपती का चीर हरण हो रहा है और भारतीय संसद में बैठे प्रतिनिधि इस विनाश लीला की नग्न तस्वीर देख रहे हैं, न शर्म न लज्जा न भारतीय संविधान का ख्याल, ख्याल तो एक ही है किसी तरह कुर्सी प्राप्त करना। कुर्सी प्राप्त करने की जो लड़ाई महाभारत में लड़ी गई उस इतिहास को देखकर के भी लोगों सबक नहीं ले रहे हैं जिसमें कौरव कुल का सारा विनाश हो गया और लाशों के ढेर से शमशान हो गया युद्ध का मैदान और कुर्सी भी चली गई। राजनीति की कुर्सी पर बैठकर भ्रष्टाचार का चादर ओढ़ संपत्ति अर्जित करने में जुटे यहां के राजनेताओं को क्या कहा जाए। जिस राजनेता के पास साधारण रहने के लिए मकान नहीं था वह आज कई फैक्ट्रियों का मालिक बन गया है जिनके पास आलीशान बंगले है और उसमें संरक्षण लिए हुए हैं और लोग से कहते हैं कि देश में भ्रष्टाचार हो रहा और सबसे पहले मंच से भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई की आवाज भी उठाते है। गरीबों और दलितों की बात करने वाले दलित नेता भी सरकारी सुविधा का लाभ स्वयं उठाते है और दलितों की बात करते हैं। भारतीय राजनेताओं को चाहिए कि सबसे पहले इतिहास से सबक लेते हुए कानून बनाना हो या कोई रणनीति तो पीछे मुड़कर अपने इतिहास को जरूर देख लेना चाहिए क्योंकि जब यह देश ही नहीं रहेगा तो कहां जाओगे राजनीति करने के लिए। इसीलिए तो स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेई ने कहा था सत्ता का खेल बनता और बिगड़ रहेगा लेकिन यह देश रहना चाहिए और देश की सुरक्षा के लिए कोई समझौता नहीं होना चाहिए। भारत को धर्मशाला बनाने का प्रयास नहीं होना चाहिए न जातीवाद का कानून बनाकर आग में धकेलना का प्रयास नहीं तो देश भी टूटेगा और राजनीतिक नैया भी डूबेगी।
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