ओला-उबर ड्राइवरों की अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू, कहा - "हम पार्टनर नहीं, कर्मचारी बनना चाहते हैं"

भिवंडी। भिवंडी में ओला और उबर टैक्सी सेवाओं से जुड़े सैकड़ों ड्राइवरों ने कंपनियों की मनमानी और आर्थिक शोषण के खिलाफ शुक्रवार से अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू कर दी है। खंडू पाड़ा क्षेत्र में बड़ी संख्या में ड्राइवरों ने अपनी गाड़ियां सड़क किनारे खड़ी कर "ओला-उबर बंद करो" जैसे नारों के साथ विरोध दर्ज कराया। इस हड़ताल का नेतृत्व कर रहे ड्राइवर असलम शेख ने बताया कि कंपनियां उन्हें "पार्टनर" कहकर जिम्मेदारियों से बच निकलती हैं, जबकि वास्तविकता यह है कि वे पूरी तरह कंपनी के निर्देशों पर ही काम करते हैं। उनका कहना है कि जब मुनाफा नहीं मिलता, सुविधाएं नहीं मिलतीं, तो उन्हें पार्टनर क्यों कहा जाता है। ड्राइवरों ने आरोप लगाया कि कंपनियां शुरुआत में ज्यादा कमाई का सपना दिखाकर जोड़ती हैं, लेकिन कुछ ही महीनों में उनकी आमदनी इतनी गिर जाती है कि रोज़मर्रा का खर्च निकालना मुश्किल हो जाता है। असलम शेख के अनुसार, आज 80 फीसदी ड्राइवर घाटे में काम कर रहे हैं। कई ड्राइवर कर्ज लेकर गाड़ियां खरीदते हैं, लेकिन बढ़ते खर्च और घटती कमाई के कारण अब उन्हें चलाना असंभव हो गया है। ड्राइवरों का कहना है कि 2018 से कंपनियां किराया बढ़ाने का वादा कर रही हैं, लेकिन अब तक कोई बदलाव नहीं हुआ। उल्टा हर साल सरकार को करीब 50 हजार रुपये टैक्स देना पड़ता है, जिससे आर्थिक बोझ और बढ़ता जा रहा है। हड़ताल कर रहे ड्राइवरों का कहना है कि लॉकडाउन के दौरान कंपनियों ने उनकी कोई मदद नहीं की, जबकि अमेरिका जैसे देशों में ओला-उबर जैसी कंपनियों को अपने ड्राइवरों को राहत न देने पर जुर्माना भरना पड़ा। वहां ड्राइवरों को कर्मचारी का दर्जा मिला हुआ है और कंपनियां उन्हें न्यूनतम आमदनी की गारंटी देती हैं। ड्राइवरों की मांग है कि उन्हें भी कर्मचारी का दर्जा मिले, आमदनी की न्यूनतम गारंटी हो और उनके काम को कानूनी सुरक्षा दी जाए। जब तक इन मांगों पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं होती, तब तक उनका आंदोलन जारी रहेगा। अब देखना यह है कि सरकार और कंपनियां इन टैक्सी चालकों की आवाज़ सुनती हैं या यह संघर्ष और लंबा खिंचता है।

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