
गुप्ताधाम: प्राकृतिक सौंदर्य, आस्था और रहस्यों से परिपूर्ण शिवधाम, जहाँ उमड़ती है श्रद्धालुओं की भीड़
- सुनील कुमार, जिला ब्यूरो चीफ रोहतास
- Jul 13, 2025
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रोहतास। जिला मुख्यालय सासाराम जिला मुख्यालय से लगभग 65 किलोमीटर दक्षिण तथा चेनारी प्रखंड के पनियारी घाट से लगभग 15 किलोमीटर दूर प्रकृति की गोद में बसा विंध्य पर्वतमला की श्रृंखला कैमूर पहाड़ी पर अवस्थित एक अद्भुत गुफा है, जिसे गुप्ताधाम के नाम से जाना जाता है। इस गुफा की प्राचीनता के संदर्भ में कोई ठोस प्रमाण नहीं मिलता। इसकी बनावट देखकर यह भी अंदाजा नहीं लगाया जा सकता कि यह मानव-निर्मित है या फिर प्राकृतिक। गुप्ताधाम में बने गुप्तेश्वर महादेव मंदिर की ख्याति शैव-केंद्र के रूप में है। इस गुफा की पौराणिक मान्यता है कि देवाधिदेव महादेव को प्रसन्न करने के लिए पराक्रमी महाराक्षस भस्मासुर ने घोर तपस्या कर उन्हें वरदान देने के लिए विवश कर दिया। महादेव ने भस्मासुर से वरदान माँगने को कहा, तब उसने वर माँगा कि वह जिस किसी के सिर पर हाथ रखे, वह भस्म हो जाये। महादेव ने कहा-तथास्तु। तत्पश्चात देवी पार्वती की रूप-लावण्य पर मोहित होकर भस्मासुर ने महादेव के ही सिर पर हाथ रखना चाहा। इससे भयभीत होकर महादेव ने छिपकर इसी गुफा में शरण ली थी। यद्यपि कि यह सब देखकर भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धारण कर बड़ी चतुराई से भस्मासुर का हाथ उसी के सिर पर रखवाकर उसे भस्म कर दिया।
गुप्तेश्वर धाम तक पहुँचने के लिए चेनारी प्रखंड के उगहनी घाट, पनियारी घाट तथा पचौरा घाट से जाया जा सकता है। इन तीनों घाटों से धाम की दूरी लगभग 10-15 किलोमीटर है। गुफा के द्वार के पास 18 फीट चौड़ा तथा 12 फीट ऊँचा मेहराबनुमा दरवाजा है। गुफा से लगभग तीन सौ फीट अंदर जाने पर बहुत बड़ा गड्ढा है, जिसमें सालों भर पानी भरा रहता है, जिसे "पतालगंगा"के नाम से जाना जाता है। गुफा के अंदर शिवलिंग पर गुफा की छत से पानी टपकते रहता है। आज तक पानी टपकने का राज का पता नहीं चल पाया कि आख़िर यह पानी कहाँ से आता है। गुप्ताधाम से लगभग डेढ़ किलोमीटर दक्षिण में एक जलप्रपात है, जिसे "सीता-कुंड" के नाम से जाना जाता है,जिसका पानी हमेशा शीतल ही रहता है। इस कुंड में स्नान कर श्रद्धालु अपने को धन्य मानते हैं। यहाँ स्नान करने का अपना एक अलग आनंद है। धाम पर सावन के महीने तथा वसंत पंचमी में श्रद्धालु बक्सर से गंगा का पवित्र जल काँवर में भरकर शिवलिंग पर जलाभिषेक करते हैं। जलाभिषेक और दर्शन के लिए यहाँ श्रद्धालु बिहार के अलावे उत्तरप्रदेश, छत्तीसगढ़ तथा झारखण्ड से भी काफी संख्या में आते हैं। हलाँकि धर्मशाला, शौचालय तथा गुफा के अंदर रौशनी और ऑक्सीजन पर्याप्त नहीं है। मेले के दौरान जिला प्रशासन इसके प्रति गंभीर दिखता है, फिर भी कई समस्याएँ यहाँ दिखती हैं। गुप्ताधाम विकास कमिटी हरसम्भव प्रयास करती है कि आने वाले श्रद्धालुओं को कोई दिक्कत नहीं हो।फिर भी सरकार की ओर से कोई विशेष तरह की सुविधा नहीं दिये जाने की वजह से कई तरह की समस्याएँ हैं, इसे नकारा नहीं जा सकता। यदि सरकार इस धाम के विकास में समुचित योगदान दे तो यहाँ से लाखों रूपये राजस्व की प्राप्ति हो सकती है। यह धाम प्राकृतिक छटाओं से परिपूर्ण है। इसके मनोरम दृश्य को एक बार निश्चित तौर पर देखा जा सकता है। यह केदारनाथ से कतई कम नहीं दिखता। रामचरितमानस की पंक्तियों में तो हम यही कहेंगे कि-
बरनत छबि जहँ-तहँ सब लोगू।
अवसि देखिअहिं देखन जोगू।।
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