भिवंडी में नियमों की छुट्टी, अवैध इमारतों की धड़ल्ले से ढलाई

भिवंडी। शहर में अवैध निर्माण का खेल चरम पर है। हर प्रभाग में दो-दो बीट निरीक्षक,एक अभियंता तैनात हैं, फिर भी इमारतें बिना नक्शा, बिना अनुमति और बिना किसी डर के धड़ाधड़ खड़ी हो रही हैं। स्लैब पर स्लैब डाला जा रहा है और जिम्मेदार अधिकारी या तो आंखें मूंदे हैं, या जेबें खोल चुके हैं।

स्थानीय नागरिकों का कहना है कि नगर पालिका और झोला छाप बिल्डरों के बीच ‘बिना लिखित समझौता’ वर्षों से जारी है। दिन हो या रात, निर्माण कार्य बिना किसी रुकावट के चलता रहता है। ऐसा लगता है मानो शहर विकास विभाग और बिल्डरों के बीच एक ‘अघोषित गठबंधन सरकार’ चल रही है – जिसमें जनता सिर्फ मूक दर्शक है।

खुलेआम उड़ रही कानून की धज्जियां :

गली-मोहल्लों में बिना किसी वैध अनुमति के बहुमंजिला इमारतें खड़ी हो रही हैं। कोई रोक-टोक नहीं, कोई जांच नहीं। हैरत की बात तो यह है कि ये निर्माण कार्य पालिका कार्यालय से चंद कदमों की दूरी पर भी हो रहे हैं। सवाल यह उठता है कि क्या प्रशासन को इन गतिविधियों की जानकारी नहीं, या फिर जानकारी होने के बावजूद चुप्पी साधी गई है?

शहरवासी परेशान, जिम्मेदार मौन::

भिवंडी के रहवासी बढ़ते अवैध निर्माण को लेकर चिंतित हैं। उनका कहना है कि यदि यह स्थिति यूं ही बनी रही, तो भविष्य में बड़ी दुर्घटनाओं से इनकार नहीं किया जा सकता जब इस मुद्दे पर संबंधित अधिकारियों से सवाल किए गए, तो जवाब मिला – “हम जांच करेंगे।” मगर यह जांच कब होगी, और कार्रवाई कब तक पहुंचेगी, यह बताने को कोई तैयार नहीं।

जनता का सवाल – क्या बिल्डरों पर है विभाग की मेहरबानी?

भिवंडी में जो दृश्य बन चुका है, वह कानून व्यवस्था पर एक बड़ा सवालिया निशान है। एक तरफ सरकार ‘स्मार्ट सिटी’ की बात करती है, दूसरी ओर ज़मीनी हकीकत यह है कि यहां बिना नियमों के ‘स्मार्ट बिल्डिंग्स’ बन रही हैं – वो भी पूरी तेजी से।

????️ "यहाँ ज़मीर से नहीं, ज़मीन से रिश्ता मज़बूत होना चाहिए!" – स्थानीय नागरिक का तंज।

रिपोर्टर

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