पुलिस लिखी स्कॉर्पियो से शराब की तस्करी, सिपाही समेत दो गिरफ्तार

सूत्रों की माने तो पुलिस, प्रेस, बिहार, सरकार, भारत सरकार, का बोर्ड लगा काफी मात्रा में तस्कर है सक्रिय 

जिला संवाददाता संदीप कुमार की रिपोर्ट 

कैमूर--  जिले से एक ऐसी खबर सामने आई है जहां  खाकी वर्दी की आड़ में शराब का काला कारोबार चल रहा था। पुलिस ने एक ऐसी स्कॉर्पियो गाड़ी को पकड़ा है जिस पर "पुलिस" का स्टीकर लगा था और उससे शराब की तस्करी की जा रही थी। इस मामले में एक पुलिस सिपाही समेत दो लोगों को गिरफ्तार किया गया है। यह घटना भभुआंं थाना क्षेत्र के सुवरन नदी पुल के पास की है। पुलिस टीम वाहन जांच प्रक्रिया के तहत गाड़ियों की तलाशी ले रही थी। तभी उनकी नजर एक संदिग्ध स्कॉर्पियो पर पड़ी, जिस पर "पुलिस" का बोर्ड लगा हुआ था। पुलिस को अपनी ओर आता देख स्कॉर्पियो का ड्राइवर गाड़ी छोड़कर मौके से फरार हो गया। जब पुलिस ने गाड़ी की तलाशी ली तो वे हैरान रह गए। गाड़ी के अंदर से 478 बोतल ऑफिसर चॉइस और 6 बोतल बीयर बरामद हुई, जो कुल मिलाकर 89 लीटर अंग्रेजी शराब है। पुलिस ने गाड़ी में सवार दो लोगों को मौके पर ही दबोच लिया। गिरफ्तार लोगों में से एक की पहचान गौतम कुमार के रूप में हुई है, जो बेगूसराय जिला बल में तैनात एक सिपाही है। उसके पास से एक सरकारी पिस्तौल और जिंदा कारतूस भी बरामद किए गए हैं। दूसरा गिरफ्तार व्यक्ति खगड़िया जिले का रहने वाला विद्या चरण है। यह घटना कई गंभीर सवाल खड़े करती है। विगत वर्ष ही जिला उप चुनाव पदाधिकारी की बोर्ड लगे इनोवा गाड़ी से भी शराब बरामद हुआ था। क्या शराब तस्करों के हौसले इतने बुलंद हो गए हैं कि वे पुलिस का स्टीकर लगाकर तस्करी कर रहे हैं? और जब रक्षक ही भक्षक बन जाए तो आम जनता किस पर भरोसा करें?

                            क्या कहते हैं सूत्र 

वही सूत्रों की माने तो बिहार में शराब बंदी होने की वजह से मोटी कमाई देखकर पुलिस, प्रेस, बिहार, सरकार, भारत सरकार,या अन्य पदाधिकारियों के नाम पर बोर्ड लगा काफी मात्रा में तस्कर सक्रिय हैं, इतना ही नहीं अनेकों मामले ऐसे भी आ चुके हैं की प्रशासनिक कर्मी भी शराब के धंधे में सक्रिय हैं, साथ ही जिला के मीडिया कर्मियों द्वारा भी दो वर्ष भारी मात्रा में गांजे के उपज कारों के विरुद्ध स्थानीय उच्च अधिकारियों पदाधिकारियों समेत प्रदेश के उच्च पदाधिकारीयों तक साक्ष्य दिया गया, पर प्रशासन द्वारा टाल मटोल करते हुए कुछ फसल नष्ट कर अपनी कार्य सूची में उपलब्धियां जोड़ने की कोशिश किया गया।


सूचक द्वारा सूचना देने के बावजूद भी धंधेबाजों से जब कुछ राशि नहीं मिलता है तो कसूरवार साबित करते हैं, अन्यथा ले देकर मामला रफा-दफा किया जाता है और उल्टा सूचक को ही आरोपी बनाने सहित न्यायालय का चक्कर लगवाए जाते हैं।

पुलिस अब फरार ड्राइवर की तलाश कर रही है और इस मामले की गहराई से जांच में जुट गई है। पुलिस ने गिरफ्तार आरोपियों को स्वास्थ्य जांच के उपरांत न्यायिक हिरासत में भेज दिया है।

रिपोर्टर

संबंधित पोस्ट