भिवंडी मनपा में 954 पद रिक्त, राम भरोसे चल रहा प्रशासन सफाईकर्मी बने प्रभारी अधिकारी

भिवंडी। भिवंडी-निजामपुर महानगरपालिका (मनपा) की कार्यप्रणाली इन दिनों पूरी तरह राम भरोसे चल रही है। कुल 4189 स्वीकृत पदों में से 954 पद अब भी खाली पड़े हैं। हालत यह है कि वर्ग-1 से लेकर वर्ग-4 तक के अधिकारियों और कर्मचारियों की भारी कमी के कारण सफाईकर्मी और कनिष्ठ लिपिकों को प्रभारी अधिकारी बनाकर विभाग चलाए जा रहे हैं। इसका सीधा असर विकास कार्यों पर पड़ रहा है और भ्रष्टाचार को भी खुली छूट मिल रही है।

नाममात्र के अधिकारी, मनमानी की छूटछूट ::

मनपा में इस समय 3231 कर्मचारी कार्यरत हैं, जिनमें से कई को उनकी योग्यता और अनुभव से परे जिम्मेदारियां सौंपी गई हैं। शहर अभियंता, विधी अधिकारी, नगर सचिव, शिक्षणाधिकारी और अन्य विभागीय प्रमुखों जैसे अहम पद वर्षों से खाली हैं। इन पदों पर कनिष्ठ लिपिक या सफाईकर्मी कार्यभार संभाल रहे हैं। सूत्रों की मानें तो कर्मचारियों को न तो उनके पदानुसार वेतन मिल रहा है और न ही अधिकार। इससे न केवल वे असंतुष्ट हैं, बल्कि मानसिक तनाव में भी हैं। कई कर्मचारी सालों से पदोन्नति की प्रतीक्षा में प्रभारी भूमिका निभा रहे हैं।

प्रभारी सिस्टम बना भ्रष्टाचार का रास्ता ::

मनपा में स्वीकृत 45 वरिष्ठ लिपिकों में से सिर्फ एक ही कर्मचारी कार्यरत है, जो अगले महीने रिटायर होने वाला है। वहीं कनिष्ठ लिपिक के 433 पदों में से 188 खाली हैं। प्रभाग समितियों के प्रभारी पदों पर भी सफाईकर्मियों या लिपिकों को प्रमोट करके अतिरिक्त चार्ज देकर काम चलाया जा रहा है।1996 के बाद से किसी भी कर्मचारी को पदोन्नति नहीं दी गई है। शासन के नियमों के अनुसार वर्ग-1 के पदों पर सरकारी और मनपा सेवा के अधिकारियों का संतुलन होना चाहिए, लेकिन वर्षों से यह संतुलन पूरी तरह बिगड़ चुका है। 

शहर के जागरूक नागरिकों का कहना है कि प्रभारियों के हाथ में प्रशासन की बागडोर होने से जनप्रतिनिधियों को फायदा है, क्योंकि ये अधिकारी उनके इशारे पर काम करते हैं। इससे पारदर्शिता खत्म हो गई है और भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिल रहा है।

सरकार से बार-बार मांगी मदद, नहीं मिली सुनवाई ::::::

मनपा के जिम्मेदार अधिकारियों ने बताया कि प्रशासन के पास कर्मचारियों की भारी कमी है। सरकार से बार-बार मांग के बावजूद मनपा को आवश्यक अधिकारी और कर्मचारी नहीं मिल रहे हैं, जिससे विवश होकर प्रभारी पदाधिकारियों के माध्यम से काम चलाना पड़ रहा है।

22 साल से शिक्षणाधिकारी नहीं, विभाग राम भरोसे :::

शहर के शिक्षण विभाग में पिछले 22 वर्षों से कोई स्थायी शिक्षणाधिकारी नहीं है। यह विभाग फिलहाल प्रशासन अधिकारी के हवाले है। प्रभाग समितियों के प्रमुख पदों पर भी स्थायी नियुक्तियां नहीं हुई हैं। इन पदों पर लिपिकों या सफाईकर्मियों को प्रमोट कर जिम्मेदारी दी गई है।

पूर्व नगरसेवकों और अधिकारियों की मनमर्जी के चलते मनपा की हालत लगातार बदतर होती जा रही है। स्थानीय नागरिकों का कहना है कि यदि सरकार वास्तव में शहर का विकास चाहती है तो जल्द से जल्द योग्य और स्थायी अधिकारियों की नियुक्ति की जाए। तभी मनपा में पारदर्शिता आएगी और विकास कार्यों को गति मिलेगी।

रिक्त पदों की स्थिति

वर्ग -    स्वीकृत पद - कार्यरत - रिक्त

क्लास 1 - 34      -      19   -   15

क्लास 2 - 60      -      10     - 50

क्लास 3 - 1077  -    468   - 609

क्लास 4 - 3018   - 2734.  - 280

कुल -         4189 - 3231 - 954

शहर के जागरूक नागरिकों का मानना है कि जब तक सरकार स्थायी और अनुभवी अधिकारियों की नियुक्ति नहीं करती, तब तक मनपा का प्रशासन यूं ही राम भरोसे चलता रहेगा और शहर का विकास अधर में लटका रहेगा।

रिपोर्टर

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