भिवंडी मनपा के 4 मनोनीत नगरसेवक निलंबित

 भिमंडी ।। भिवंडी निजामपुर शहर महानगरपालिका में महासभा के द्वारा नियुक्त 5 में से 4 मनोनीत नगरसेवकों की नियुक्ति को नगर विकास विभाग ने गैरकानूनी व नियम के विरुद्ध बताते हुए निलंबित कर दिया है। नगर विकास विभाग ने निलंबित चारों नगरसेवकों को अपना पक्ष रखने के लिए 30 दिन का समय दिया है। निलंबित चार नगरसेवकों में साजिद अशफाक खान, सिद्धेश्वर कामूर्ति, राहुल पाटिल तीनों कांग्रेस के तथा देवानंद थले शिवसेना का समावेश है।महानगरपालिका में मनोनीत 5 नगरसेवकों में से केवल भाजपा के एडवोकेट हर्षल पाटिल की नियुक्ति को नियमानुसार बताते हुए वैध ठहराया गया है। 4 मनोनीत नगरसेवकों के पद को रद्द करने का समाचार मिलते ही भिवंडी महानगरपालिका की राजनीति में उबाल आ गया है। इस मुद्दे पर तरह-तरह की चर्चाओं का बाजार राजनीतिक गलियारे में गर्म है।

ज्ञात हो कि अपने अस्तित्व काल से ही मनपा संबंधी तमाम तरह के कार्यों में सरकारी दिशा-निर्देशों अथवा कायदा-क़ानून को ठेंगे पर रखने वाली मनपा में सत्तासीन कांग्रेस और शिवसेना द्वारा मनपा आयुक्त मनोहर हिरे के सुझावों और गाईड लाईन को दर किनार करते हुए 12 जुलाई 2018 को हुई महासभा में मनमाने ढंग से मनोनीत नगरसेवकों की घोषणा कर दी गई थी। इस प्रकार भिवंडी मनपा के 16 वर्षों के इतिहास में सरकारी दिशा-निर्देशों का घोर उलंघन कर मनोनीत नगरसेवकों के चयन बाबत अपनाई गयी महासभा की इस प्रक्रिया में महासभा की कार्रवाई एवं निष्पक्षता पर अंगुलियां उठनी शुरू हो गई थी।  उल्लेखनीय है कि 90 सदस्यीय मनपा में नगरसेवकों की संख्या बल के आधार पर नियमतः पांच मनोनीत नगरसेवकों का चयन होना था। मनपा के आम चुनाव के लगभग एक वर्ष बीतने के बाद लगभग पांच माह पूर्व पांच मनोनीत नगरसेवकों को चयनित करने के लिए 12 प्रत्याशियों द्वारा नामांकन पत्र मनपा के नगर सचिव के समक्ष प्रस्तुत किये गये थे। जिसमें कांग्रेस के तीन, शिवसेना का एक और भाजपा का एक दलगत प्रत्याशी सहित अन्य कई निर्दल प्रत्याशी शामिल थे। जिसमें कांग्रेस के गट नेता द्वारा मोहम्मद साजिद अशफाक खान, सिद्धेश्वर कामूर्ति और राहुल छगन खटके। भाजपा गट नेता की ओर से एडवोकेट हर्षल पाटिल और शिवसेना की ओर से देवानंद रूपचंद थले को अपनी-अपनी पार्टी का अधिकृत उम्मीदवार घोषित किया गया था।  उक्त दलगत नामांकन पत्रों में भाजपा को छोड़कर कांग्रेस और शिवसेना के उम्मीदवारों का नामांकन पत्र मनोनीत नगरसेवकों के चयन हेतु निर्धारित कायदा कानून और मापदंडों के मुताबिक़ दुरूस्त नहीं था। जिसके चलते मनपा आयुक्त मनोहर हिरे ने नामांकन पत्रों की जांच के बाद खुलासा किया था कि कांग्रेस द्वारा दाखिल तीन प्रत्याशियों का नामांकन एक ही श्रेणी/वर्ग गैर सरकारी संस्था (एनजीओ) के हैं। जबकि नियमानुसार इस श्रेणी/वर्ग से एक ही सदस्य नामित हो सकता है। इसी प्रकार शिवसेना के प्रत्याशी का भी नामांकन पत्र मनपा क्षेत्र से बाहर का निवासी होने के कारण निरस्त कर दिया गया था। इस प्रकार केवल भाजपा के प्रत्याशी एडवोकेट हर्षल पाटिल के नामंकन पत्र को वैध करार दिया गया था। इसके बाद कांग्रेस और शिवसेना ने मनपा प्रशासन पर दबाव बनाने के लिए तमाम तरह के हथकंडा अपनाया था और आखिरकार नियम बाह्य जाकर महासभा में कांग्रेस और शिवसेना के नगरसेवकों ने कांग्रेस के तीन और शिवसेना के एक सदस्य को मनोनीत करने का प्रस्ताव मंजूर कर लिया था। जिसे महाराष्ट्र सरकार के अवर सचिव अजीत कवड़े द्वारा 27 नवंबर को जारी शासनादेश क्रमांक-भिनिम-2018/वीआईपी.76/नवि-23 के जरिए बताया गया है कि भिवंडी मनपा की 12 जुलाई 2018 को हुई महासभा में पारित प्रस्ताव क्रमांक 76 को प्रचलित नियम के खिलाफ पांच नगरसेवकों की नियुक्ति की गई थी। जिसके चलते महाराष्ट्र महानगरपालिका अधिनियम की धारा 451 (1) के मुताबिक़ एक हर्षल पाटील को छोड़कर बाकी अन्य चार की सदस्यता निलंबित की जाती है।

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