कोपरखैरने के खाड़ी किनारे झोपड़पट्टियों के बारे में कमण्डलवन विभाग अज्ञान

नवी मुंबई ।। (सचिन श्रीवास्तव) कोपरखैरने की अनधिकृत झोपड़ियों में बिजली, पानी कनेक्शन के बारे में कारवाई करते हुए हाथ झटक कर कमण्डलवन विभाग अज्ञानी है।

कोपरखैरने में खाड़ी के समीप जगह पर बनाई गई अवैध झोपड़ियों के बारे में कमण्डलवन विभाग को जानकारी नहीं थी ऐसा खुलासा हुआ है। बीते अनेक वर्षों से इन झोपड़पट्टियों में बिजली, पानी की सप्लाई की जाती थी। इसके साथ ही वहां के रहवासियों के लिए सार्वजनिक शौचालय और गैस सिलेंडर कनेक्शन भी दिया गया था। इन सारे सुविधाओं को नियम के बाहर देने पर भी इन सुविधाओं की जवाबदारी लेने के लिए कोई भी सरकारी विभाग आगे नही आया है।

पालिका ने बताया कि झोपड़पट्टी बनाई गई जगह हमारी नहीं है, इस कारण कारवाई का कोई प्रश्न ही नही ऐसा कहते हुए हाथ झटक लिया है। कानूनी प्रणाली में, नगरपालिका और MSEDCL आम लोगों को बिजली या पानी को जोड़ने के लिए सख्त नियम लागू करती है। तो कुछ लोग सवाल कर रहे हैं कि ये सभी नियम नगरपालिका की सीमा के बाहर क्यों पारित किए गए।

कोपरखैरने खाड़ी किनारा ये भाग कमण्डलवन विभाग में आता है ये कारण नवी मुम्बई महानगरपालिका ने आगे करते हुए बताया है। जिसके कारण यहाँ के दुकान, भंगार गोदाम पर कारवाई नहीं कि गई। वहीं, नगर निगम का पानी प्रतिदिन इन झोपड़ियों को मिल रहा है। 13 जनवरी के दिन इन अवैध झोपड़ियों में आग लगी थी जिसे नियंत्रण कर लिया गया था। हालांकि, यह इस तथ्य से स्पष्ट है कि क्षेत्र के चारों ओर सुरक्षा मुद्दों की अनदेखी की गई थी। किसी भी अवैध झोपड़ियों में रहने वालों की पुष्टि नहीं की गई है। नवी मुंबई पुलिस ने भी इसके लिए कड़ी मेहनत नहीं की है। कमण्डलवन की जगह अवैध झोपड़ियों के लिए ही है। लेकिन स्थानीय मछुआरों ने 'संवाददाताओं' से बात की, कि यहां के मछुआरों के लिए भी यही सवाल था।

हमें तो झोपड़पट्टी का भी पता नहीं है। यहां इसका निरीक्षण करके और उचित कारवाई किया जाएगा।

- पी.आर.घोडके, वनरक्षक कमण्डलवन विभाग

प्रकृति का नुकसान

झोपड़पट्टियों के कारण सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है वो खाड़ी किनारा है। यहाँ की प्राकृतिक सम्पदा मलिन बस्तियों से नष्ट हो रही है। इसके अलावा विविध प्रकार की रंग बिरंगी पछी भी गायब है। 2012 में इसी परिसर में मधुबन सोसायटी में रहने वाले रत्नाकर शेट्टी द्वारा निकाला गया फोटो प्रचंडता का विषय बनाया गया था। खाड़ी से कुछ अंतर पर सोनेरी मछलियों और डॉल्फिन का अस्तित्व था, ऐसा दावा स्थानिक मच्छिमरों ने किया है।

प्रकृति खो गई

कुछ समय पहले कोपरखैरने खाड़ी के पास प्रकृतिसौंदर्य देखने को मिलता था। इसी जगह कोयल की कू कू सुनने को मिलता था।इसके साथ रंगबिरंगी पछियों आगमन होता था। यहां आने के बाद शांतता का लाभ मिलता था परंतु वो आज भंग हो गई है ऐसी प्रतिक्रिया नागरिकों ने व्यक्त की है।

पानी कनेक्शन जोड़ने का कार्य ग्रामपंचायत थी ये उस समय का है। सागरी नियमन छेत्र कायदानुसार (सीआरझेड) इस परिसर में किसी को भी पानी कनेक्शन नहीं दिया गया है।

-  संजय देसाई, कार्यकारी अभियंता परिमंडल-२

निवासियों को मूल अधिकार के रूप में बिजली कनेक्शन प्रदान किया जाएगा लेकिन अगर इसका व्यावसायिक उपयोग किया जाता है, तो इसका निरीक्षण किया जाएगा और कारवाई की जाएगी।

- प्रवीण अन्नछत्रे, कार्यकारी अभियंता महावितरण

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