
मोहर्रम के अवसर पर हुआ शांति समिति की बैठक दिया गया विभिन्न दिशा निर्देश
- कुमार चन्द्र भुषण तिवारी, ब्यूरो चीफ कैमूर
- Jul 03, 2025
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कैमूर-- थाना परिसर में इस्लामी त्योहार मोहर्रम के अवसर पर हुआ शांति समिति की बैठक दिए गए विभिन्न दिशा निर्देश।मुहर्रम इस्लामिक कैलेंडर का पहला महीना है और यह हिजरी नववर्ष की शुरुआत का प्रतीक है। लेकिन यह सिर्फ एक नए साल की शुरुआत नहीं है, बल्कि त्याग, शहादत और आत्मबलिदान की याद दिलाने वाला पवित्र अवसर भी है। इस दिन केवल इमाम हुसैन की कुर्बानी को याद हि नहीं करते, बल्कि यह भी सीखते हैं कि सच्चाई, न्याय और धर्म की राह कभी आसान नहीं होती पर वही सबसे पवित्र होती है। यह महीना इस लिए भी खास है, क्योंकि मुहर्रम के 10वें दिन आशूरा का दिन होता है। इस दिन का इस्लाम धर्म में धार्मिक महत्व है। यह महीना इस्लाम के चार सबसे पवित्र महीनों में से एक है। जिस अवसर पर शांति व्यवस्था बनाए रखें हेतु थाना परिसर में प्रखंड विकास पदाधिकारी धर्मेंद्र कुमार, अंचल पदाधिकारी अंकिता कुमारी,व थाना अध्यक्ष विकास कुमार के संयुक्त अध्यक्षता शांति समिति की बैठक किया गया। उपस्थित पदाधिकारी द्वारा दिशा निर्देश देते हुए यह बताया गया की मोहर्रम के जुलूस में डीजे पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध रहेगा पूर्व से जिन रास्तों का जुलूस के लिए प्रयोग किया जा रहा है जुलूस उसी रास्ते से निकलेगा। पर्व त्यौहार शांति व सौहार्द का प्रतीक है इसे मिलजुल कर मनाएं कहीं से किसी भी प्रकार का कुछ संदेहास्पद नजर आए तो प्रशासन को तत्काल सूचित करें प्रशासन से सहयोग लें और प्रशासन को सहयोग दें। उक्त अवसर पर कुदरा नगर पंचायत कार्यपालक पदाधिकारी उजाली राज, विद्युत विभाग का जेई क्रांति सिंह, मेउड़ा पंचायत के मुखिया सुदर्शन पासवान,नेवरास पंचायत के पूर्व मुखिया नीरज सिंह, नेवरास पंचायत के सरपंच राजेश कुमार सहित ताजिया समिति के अध्यक्ष सचिव व दर्जनों की संख्या में सदस्य उपस्थित रहें।
कब है मुहर्रम और आशूरा
भारत में 26 जून 2025 को चांद दिखाई दिया था। जिसके बाद मुहर्रम-उल-हराम का पहला दिन 27 जून शुक्रवार से शुरू हुआ वहीं मुहर्रम के 10वें दिन यानी यौम-ए-आशूरा 6 जुलाई 2025 रविवार को मनाया जाएगा।
जानते हैं मुहर्रम क्यों मनाया जाता है?
मुहर्रम के 10वें दिन को यौम-ए-आशूरा कहते हैं। इसी दिन पैगंबर मोहम्मद साहब के नवासे इमाम हुसैन और उनके परिवार को करबला के युद्ध में शहीद कर दिया गया था। इमाम हुसैन ने अन्याय के खिलाफ खड़े होकर सच्चाई और इंसानियत की रक्षा की और यही उनका बलिदान आज भी याद किया जाता है।
कैसे मनाया जाता है मुहर्रम?
सुन्नी मुस्लिम इस दिन रोज़ा रखते हैं, दुआ करते हैं और कुरान पढ़ते हैं।शिया मुस्लिम इमाम हुसैन की शहादत को याद करते हुए मातम करते हैं, जुलूस निकालते हैं और ताजिए बनाकर उन्हें दफनाते हैं।कई लोग भोजन, पानी, दूध और मिठाइयों का वितरण कर पुण्य अर्जित करते हैं।
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