
पेयजल संकट पर फिर मचा हाहाकार
- सुनील कुमार, जिला ब्यूरो चीफ रोहतास
- Jun 17, 2025
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रोहतास। जिला मुख्यालय सासाराम शहर एक बार फिर पेयजल संकट के गहरे साये में है। जून की चिलचिलाती गर्मी और आसमान से बरसती धूप के बीच शहर के कई वार्डों में बूंद-बूंद पानी को तरस रहे लोग अब सड़कों पर हैं। नलों में पानी नहीं, टैंकर अनियमित, और प्रशासनिक दावे हवा में—यह वही तस्वीर है जो हर साल इस मौसम में सामने आती है।
शहर की निवासी शकुंतला देवी कहती हैं, "सुबह से लाइन में खड़े रहो, और जब बारी आती है तो नल खाली हो जाता है। हमारे बच्चे, बूढ़े—सब परेशान हैं।" स्थानीय लोगों का आरोप है कि पेयजल संकट अब एक नियमित राजनीतिक मुद्दा बन चुका है, जिस पर चुनाव लड़े जाते हैं, लेकिन हल नहीं होता।
यह कोई नया संकट नहीं है। दशकों से सासाराम की पहचान पानी की किल्लत से जुड़ी रही है। शहर के कई जनप्रतिनिधि, विधायक और नगर परिषद अध्यक्ष इस मुद्दे पर जनता का विश्वास खो चुके हैं। पिछले चुनावों में भी पेयजल एक केंद्रीय मुद्दा था, कई नेता इसी मुद्दा पर हार भी चुके हैं । लेकिन अब तक कोई स्थायी समाधान नहीं निकल सका है।
पेयजल संकट को लेकर भाकपा माले के जिला सचिव अशोक बैठा ने नगरवासियों के एक प्रतिनिधिमंडल के साथ जिला पदाधिकारी से मुलाकात की। उन्होंने ठेकेदार, कार्यकारी एजेंसियों और निजी कंपनियों की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े करते हुए प्रशासन से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की।
अशोक बैठा ने कहा, "यह सिर्फ पानी का सवाल नहीं, यह गरिमा और जीवन का सवाल है। जो एजेंसियां करोड़ों रुपये का बजट लेकर भी समय पर आपूर्ति नहीं कर पा रही हैं, उनकी जवाबदेही तय होनी चाहिए।"
सासाराम में पेयजल संकट एक वार्षिक त्रासदी बन चुका है, जो केवल बयानबाजी और अस्थायी उपायों से नहीं सुलझेगा। जब तक जनप्रतिनिधियों, एजेंसियों और प्रशासनिक ढांचे की जवाबदेही सुनिश्चित नहीं होती, तब तक 'हर साल यही होता है' की पीड़ा यूं ही दोहराई जाती रहेगी।
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