लाखों रूपए खर्च करने के बाद भी सरकारी योजनाओं का धरातल पर नहीं दिख रहा असर

सचिव व ग्राम प्रधान मिलकर कर रहे खेल...

अयोध्या ।। सरकार के द्वारा करोड़ों रुपए खर्च कर लोगों के लिए अनेक योजनाएं बनाई एवं चलाई जा रही है किन्तु कुछ लापरवाही एवं कमीशनखोरी के चक्कर में योजनाओं का धरातल पर क्रियान्वयन ना होने से लोगों को लाभ नहीं मिल पा रहा। मौजूदा समय में जिले के कई अमृत सरोवरों में पानी नहीं है जिससे लोगों को जो सरकार ने वाटर लेवल मेनटेन,पशुओं को पीने के लिए जल आदि की सुविधा मिलनी चाहिए थी नहीं मिल पा रही है। सामुदायिक शौचालय बन तो गये लेकिन कहीं पानी नहीं तो कहीं कोई समस्या, अधिकांशतः शौचालय करोड़ों रुपए खर्च करने के बाद धूल फांक रहे हैं,जबकि शौचालय में शिफ्ट वाइज सफाईकर्मी नियुक्त हैं जिन्हें 6000 रूपए दिए जा रहे हैं ।कमोवेश बृक्षारोपड़ की स्थिति में पेड़ लगाए गए लेकिन लगाने के बाद ना तो उन्हें पानी दिया गया और ना उन्हें अन्ना जानवरों से बचाने की ब्यवस्था की गयी और आज सब फिर से वही हालत बन गयी। सरकार द्वारा किसानों के अनाज एम एस पी पर लेने के लिए पर्याप्त सुविधाएं दी गयी लेकिन बीच केंद्र पर जब किसान पहुंचे तो ज्यादातर सचिवों ने कभी बोरे ना होने का बहाना तो कभी स्टाक फुल तो कभी कुछ लेकिन अंदर से रसूखदारों के अनाज लिए जाते रहे। जनसुनवाई में भी ज्यादातर कर्मचारी खानापूर्ति करते ही नजर आ रहे हैं, अमानीगंज बि खं तो सबसे आगे निकल गया। यहां एक अन्ना जानवरों के समस्या समाधान पर लिखा गया तो समाधान अधिकारी ने नाली और चकमार्ग से संबंधित दूसरे की फर्जी रिपोर्ट अपडेट कर दी।बिद्युत बिभाग भी कम नहीं है, यहां आपको कोई समस्या होने पर शिकायत दर्ज कराने पर आपकी शिकायत का निस्तारण हो या ना हो पर बिभाग जबरदस्ती एक मैसेज लिखकर भेज देगा की आपकी समस्या का समाधान हो गया है। स्वास्थ्य बिभाग दावा करता है कि एक रूपए के पर्चे पर दवा वा इलाज होगा लेकिन ऐसा हो नहीं पा रहा। स्वास्थ्य केंद्र पर जनरल दवाइयां दी जाती हैं, लेकिन डा साहब कहते हैं जल्दी ठीक होना है तो पर्चे के पीछे या दूसरे पर्चे पर बाहर से दवाइयां लिखकर कहते हैं इसे ले लेना। डिलीवरी केस में सी एच सी पर नार्मल डिलीवरी भी हो जानी हो तो कमीशन के चक्कर में बता दिया जाता है कि सरकारी में जाओगे तो सुबिधा नहीं है और प्राइबेट अस्पताल को धीरे से जहां सेटिंग होती है बता दिया जाता है।बड़ा सवाल यह है कि आखिर लोग इतना सरकारी बेतन पाने के बाद भी क्यों जनता के दर्द को नहीं समझते, एवं जिम्मेदार अधिकारी क्यों ऐसे लोगों पर कार्रवाई नहीं करते।

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