
अन्धे पिता की लाठी व गूंगी माता का सहारा बना पांच वर्षीय मासूम विशाल
- देवराज मिश्र, ब्यूरो चीफ अयोध्या
- Jun 02, 2021
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अब तक इस गरीब परिवार पर नहीं पड़ी तथाकथित समाजसेवियों की नज़र
अमानीगंज, अयोध्या ।। अयोध्या जनपद की मिल्कीपुर तहसील अंतर्गत विनायकपुर गांव के पूरे पांडे निवासी सत्यनारायण के परिवार पर कुदरत ने ऐसा कहर ढाया कि हंसने खेलने की उम्र में पांच वर्षीय मासूम विशाल अंधे की लाठी बन गया । दोनों आंखों से अंधे पिता और गूंगी मां का एकमात्र सहारा पांच वर्षीय विशाल अपने बाप को लेकर लाठी पकड़ कर रास्ता दिखाते हुए दो किलोमीटर दूर विनायकपुर गांव से जा कर राशन लाने का काम भी करता है । पिता के साथ यह मासूम ठेला चलाते समय भी रहता है, जिससे परिवार का पालन पोषण होता है । मां गूंगी है और बाप दोनों आंखों का अंधा । पुराना घर गिर चुका है और भाई के पन्नी और तिरपाल ताने हुए फूस के घर में यह परिवार गुजर बसर करता है । इस परिवार के घर में प्रवेश करते ही आपको कुछ टूटी हुई लकड़ियां और कुछ बर्तन दिखाई पड़ेंगे लेकिन घर में राशन का एक धेला भी नहीं है । ऐसा नहीं है कि सत्यनारायण और आशा की जिंदगी ऐसे ही थी । कुदरत का कारनामा कुछ ऐसा हुआ की एक आंख से अंधे सतनारायण की दूसरी आंख दो वर्ष पहले खराब हो गई और उसे दिखाई देना बंद हो गया । गत एक जून को हमारे प्रतिनिधि उनके घर पहुंचे तो बरसात समाप्त हो चुकी थी । घर के अंदर तिरपाल से पानी आ रहा था जो मिट्टी पर फैला हुआ था । पांच वर्ष का मासूम विशाल अपने पिता सत्यनारायण की लाठी को पकडकर आगे - आगे चल रहा था और उसके पीछे थे बेबस लाचार और समय की मार से आहत ३५ वर्षीय सत्यनारायण गुप्ता तथा उनके पीछे उनकी पत्नी ३३ वर्षीय आशा थी, जो देख तो सकती हैं लेकिन बोल नहीं सकती आशा जन्मजात गूंगी है ।
सरकार द्वारा भले ही दिव्यांग कल्याण की अनेकों योजनाएं चलाई गई हो लेकिन इस परिवार को अब तक किसी भी योजना का लाभ नहीं मिल सका है । कुछ मिलता है तो बस १० किलो सरकारी राशन वह भी सरकारी रेट पर तन को ढकने के लिए कपड़े सब्जी दवाई व रोजमर्रा की आवश्यकताओं के लिए यह परिवार भगवान के भरोसे ही रहता है । गांव के युवा समाजसेवी बबलू दीक्षित और पंकज मिश्रा ने बताया कि इस परिवार के पास ८ बिस्वा जमीन है । जमीन के इस टुकड़े पर खेती और मजदूरी करके सत्यनारायण अपने परिवार का पालन पोषण करता था, और पूरा परिवार खुश था लेकिन २ वर्ष पूर्व एक हादसे में उसकी दूसरी आंख भी चली गई । ऐसा भी नहीं है कि आंखों के इलाज के लिए लोगों ने प्रयास नहीं किया लेकिन धन की कमी के कारण इलाज नहीं हो सका । इस परिवार को सरकारी मदद के नाम पर अब तक कुछ नहीं मिला है समाज सेवा के नाम पर लंबे चौड़े दावे करने वाले समाजसेवियों और जनप्रतिनिधियों की निगाह इस परिवार पर अब तक नहीं गई है । स्थानीय लोगों ने जिला प्रशासन से परिवार के लिए आवास एवं इलाज की व्यवस्था कराने की अपील की है जिससेे पांच वर्षीय विशाल अपने जीवन को आगे बढा सके ।
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