
बिड़ला महाविद्यालय में राष्ट्रीय परिसंवाद संपन्न, संस्कृति और राष्ट्रवाद पर हुआ व्यापक मंथन
- Rohit R. Shukla, Journalist
- Mar 22, 2025
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कल्याण । कल्याण स्थित बी. के. बिड़ला महाविद्यालय में ‘हिन्दी साहित्य में संस्कृति और राष्ट्रवाद’ विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय परिसंवाद का आयोजन किया गया। यह आयोजन महाराष्ट्र राज्य हिन्दी साहित्य अकादमी, मुंबई और अखिल भारतीय साहित्य परिषद् के संयुक्त तत्वावधान में संपन्न हुआ, जिसमें देशभर के साहित्यकारों, विद्वानों और शोधार्थियों ने हिस्सा लिया।
परिसंवाद का उद्घाटन मुंबई विश्वविद्यालय के पूर्व कुलगुरु एवं महाविद्यालय के शिक्षा निदेशक डॉ. नरेश चन्द्र, महाराष्ट्र राज्य हिन्दी साहित्य अकादमी के अध्यक्ष प्रो. शीतला प्रसाद दुबे, वरिष्ठ निबंधकार डॉ. श्रीराम परिहार, अखिल भारतीय साहित्य परिषद् के राष्ट्रीय महामंत्री ऋषिकुमार मिश्र, प्राचार्य डॉ. अविनाश पाटील, समीचीन पत्रिका के संपादक डॉ. सतीश पाण्डेय, उप प्राचार्य डॉ. हरीश दुबे एवं डॉ. महादेव यादव की उपस्थिति में हुआ। परिसंवाद का संयोजन डॉ. श्यामसुंदर पाण्डेय ने किया।
साहित्य, राष्ट्र और संस्कृति का आपसी संबंध
परिसंवाद में मध्यप्रदेश, गुजरात, दिल्ली, गोवा सहित विभिन्न राज्यों के विश्वविद्यालयों से प्राध्यापक और शोधार्थी विशेष रूप से शामिल हुए। उद्घाटन सत्र में डॉ. श्रीराम परिहार ने संस्कृति और राष्ट्रवाद की गहन व्याख्या करते हुए साहित्य की समाज में भूमिका को स्पष्ट किया। डॉ. नरेश चन्द्र ने साहित्य को युवा पीढ़ी में संस्कार, नैतिकता और राष्ट्रीय चेतना विकसित करने का प्रभावी माध्यम बताया। प्राचार्य डॉ. अविनाश पाटील ने स्वागत भाषण दिया, जबकि डॉ. बालकवि सुरंजे ने कार्यक्रम का परिचय प्रस्तुत किया।
छह सत्रों में हुआ गहन विमर्श
परिसंवाद को छह सत्रों में विभाजित किया गया, जिसमें विभिन्न विधाओं में ‘राष्ट्र और संस्कृति’ के अंतर्संबंधों पर गहन मंथन हुआ। विद्वानों ने इस बात पर बल दिया कि भविष्य का साहित्य सांस्कृतिक मूल्यों और राष्ट्रवाद की भावना को मजबूती से संजोकर आगे बढ़े। समापन सत्र में मुंबई विश्वविद्यालय के कला संकाय के डीन डॉ. अनिल सिंह एवं गुजरात केंद्रीय विश्वविद्यालय के हिन्दी विभागाध्यक्ष प्रो. संजीव दुबे ने अपने विचार रखे।
प्रसिद्ध विद्वानों की सहभागिता
परिसंवाद में देशभर से आए प्रतिष्ठित विद्वानों ने अपने विचार रखे, जिनमें प्रमुख रूप से डॉ. करुणाशंकर उपाध्याय, डॉ. शशिकला राय, डॉ. मनोज पाण्डेय, डॉ. अजित राय, सुश्री सची नायक, डॉ. उषा मिश्र, डॉ. मिथिलेश शर्मा, डॉ. महात्मा पाण्डेय, डॉ. गजेन्द्र मीणा, डॉ. सत्यवती चौबे, डॉ. उषा दुबे, डॉ. संतोष मोटवानी और डॉ. ऋषिकेश मिश्र शामिल थे। इनके विचार शोधार्थियों और छात्रों के लिए प्रेरणादायक सिद्ध हुए।
कवि सम्मेलन बना आकर्षण का केंद्र
परिसंवाद के पहले दिन सांध्यकालीन सत्र में भव्य कवि सम्मेलन आयोजित किया गया, जिसमें 32 कवियों ने भाग लिया। प्रवीण देशमुख, संजय द्विवेदी, सत्यदेव विजय, कृति पाण्डेय, नंदा कोकाटे, अनुष्का, आर्ना मिश्रा और मदन उपाध्याय सहित कई प्रतिष्ठित कवियों ने अपनी उत्कृष्ट रचनाएँ प्रस्तुत कीं, जिन पर श्रोताओं ने खूब सराहना की।
आयोजन की सफलता में महाविद्यालय का योगदान
इस सफल आयोजन को संपन्न कराने में डॉ. ग्रीष्म खोब्रागड़े, डॉ. मेघा देवले, डॉ. सीताराम म्हस्के, डॉ. मनीषा पाटील, विशाखा, अखिलेश, ज्योति, संतोष, ललित सहित महाविद्यालय के प्राध्यापकों और छात्रों का महत्वपूर्ण योगदान रहा।
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