जानिए उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव मे दल बदलने वाले 21 दलबदलुओं ने अपनी लाज बचाई या गवाई।

मुंबई।। प्रदेश में अधिकतर दलबदलुओं को मतदाताओं ने इसबार क्लीन बोल्ड कर दिया है। हालांकि, भाजपा ने लगातार दूसरी बार शानदार प्रदर्शन किया है, लेकिन फिर भी उसने जितने दलबदलुओं को टिकट दिया था, उनमें से ज्यादातर ने पार्टी को निराश ही किया है।उत्तर प्रदेश में इसबार विभिन्न दलों ने कुल 21 दलबदलुओं को चुनावों में टिकट दिया था। इनमें से 10 पर समाजवादी पार्टी और 9 पर भारतीय जनता पार्टी ने दांव लगाया था। कुल मिलाकर सिर्फ चार दलबदलुओं को ही जीत का स्वाद मिला है, बाकी 17 ने अपनी-अपनी नई पार्टियों को निराश किया है। जिन बड़े दलबदलू चेहरों को यूपी के वोटरों ने धूल जटाई है, उनमें पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य, धरम सिंह सैनी और बरेली की पूर्व मेयर सुप्रिया ऐरन शामिल हैं। मौर्य और सैनी तो चुनाव के ऐलान होने के बाद बहुत ही बड़ी-बड़ी बातें कहकर सपा में शामिल हुए थे।

इन सभी दलबदलुओं की लुटिया डूब गई- बीजेपी के टिकट पर हार का मजा चखने वाले दलबदलू नेताओं में राकेश सिंह- हरचंदपुर, नरेश सैनी-बेहट, बंदना सिंह- सागरी,रामवीर उपाध्याय-सादाबाद, सुभाष पासी-सैदपुर और हरि ओम यादव-सिरसागंज शामिल हैं। समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़कर हारने वाले दलबदलुओं में ब्रजेश प्रजापति- टिंडवारी, रोशन लाल वर्मा-तिलहर, भगवती सागर- घाटमपुर, दिग्विजय नारायण- खलीलाबाद, माधुरी वर्मा- नानपारा और विजय शंकर त्रिपाठी- चिल्लूपार भी शामिल हैं।

दूसरे दलों में गए दलबदलुओं की भी हार- सी तरह हैदर अली खान ने तब अपना दल (सोनेलाल) का टिकट थाम लिया था, जब कांग्रेस स्वार सीट से उनकी उम्मीदवारी का ऐलान कर चुकी थी। यहां सपा के प्रत्याशी और आजम खान के बेटे अब्दुल्ला आजम ने उन्हें 61,000 से ज्यादा वोटों से हराया है। इसी तरह से सुरेंद्र सिंह को जब बीजेपी ने बैरिया से टिकट नहीं दिया तो उन्होंने विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) का टिकट ले लिया। वह तीसरे नंबर पर रहे और 28,615 वोट लेकर बीजेपी के उम्मीदवार की जीत की राह में रोड़ा जरूर अटका दिया।

लेकिन, फिर भी हर चुनाव की तरह भले ही ज्यादातर दलबदलुओं को वोटरों ने नकार दिया है तो भी चार को जीत दिलाकर विधानसभा भेज दिया है। इनमें अदिति सिंह-रायबरेली, अनिल कुमार सिंह- पुरवा, मनीष कुमार- पडरौना शामिल हैं। तीनों भाजपा की लाज बचाने में सफल रहे हैं और इस तरह से भाजपा दलबदलुओं से ज्यादा फायदा मिला है। जबकि, समाजवादी पार्टी के खाते में सिर्फ घोसी विधानसभा से सिर्फ दारा सिंह चौहान की जीत गई है। ये चुनाव के ऐलान के बाद योगी सरकार से इस्तीफा देकर आए थे। अदिति सिंह बहुत पहले से ही कांग्रेस की बागी हो चुकी थीं, लेकिन औपचारिक तौर पर पिछले नवंबर में ही में भाजपा में शामिल हुई थीं।

रिपोर्टर

संबंधित पोस्ट