
यूक्रेन मे हो रही युद्ध का सबसे बडा जिम्मेदार रुस नहीं है तो फिर कौन है ❓
- रामसमुझ यादव, ब्यूरो चीफ मुंबई
- Mar 06, 2022
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मुंबई।। विश्व के सबसे बडे दो चौधरियों के चक्कर मे फस गया यूक्रेन। देश के एक पूर्व प्रंधानमंत्री ने कहा था। ‘हजारों जवाबों से अच्छी है मेरी खामोशी, न जानें कितने सवालों की आबरू रख ली.‘ आज अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन पर उसी तरह की चुप्पी और हाथ पर हाथ रखकर बैठने के आरोप लगाए जा रहे हैं। पूरी दुनिया इस समय अमेरिका और उसके राष्ट्रपति की चुप्पी को कोस रही है और यह आरोप लगा रही है कि यूक्रेन को युद्ध की आग में झोंककर अमेरिका और उसके राष्ट्रपति मौन साधे हुए हैं। लेकिन लोग शायद यह भूल रहे हैं कि अमेरिका और उसके राष्ट्रपति जो बाइडेन अपनी चुप्पी से तीसरा विश्वयुद्ध रोके हुए हैं। यह अलग बात है कि ऐसे हालात के लिए जिम्मेदार अमेरिका भी कम नहीं है।
अमेरिका के अंदर से राष्ट्रपति जो बाइडेन की चुप्पी पर सवाल खड़े हो रहे हैं। जो बाइडेन की डेमोक्रेटिक पार्टी की नेता तुलसी गबार्ड ने आरोप लगाया है कि रूस और युक्रेन युद्ध के पीछे अमेरिका की रणनीति अपनी हथियार लॉबी को मजबूत करा है। तुलसी गबार्ड का कहना है कि अमेरिका को यह भलीभांति पता था कि यूक्रेन को नाटो का सदस्य नहीं बनाया जा सकता पर वह लगातार रूस को उकसाने में लगा रहा। ऐसा इसलिए किया गया कि रूस यूक्रेन पर हमला कर दे और यूक्रेन को अमेरिका से हथियार सप्लाई की जा सके, ताकि अमेरिकी हथियार कंपनियों को फायदा हो सके। तुलसी गबार्ड ने यह भी आरोप लगाया कि यूरोपीय यूनियन के जो देश यूक्रेन के राष्ट्रपति के भाषण पर खड़े होकर तालियां बजा रहे थे, उनकी रूस को घेरने की चाह ने दुनिया की शांति को आग लगा दी है।
अफगानिस्तान मसले पर भी बाइडेन चुप्पी साधे रहे । अब सवाल यह है कि क्या जो बाइडेन हर बड़े मसले पर चुप्पी साध लेते हैं। यह सवाल इसलिए क्योंकि पिछले साल 15 अगस्त को जब तालिबान ने अफगानिस्तान पर फतह किया था, तब भी जो बाइडेन ने दो दिनों तक चुप्पी साध रखी थी।17 अगस्त को वे दुनिया के सामने आए थे और देश-दुनिया को संबोधित किया था। उस समय भी उनके रुख की कड़ी आलोचना की गई थी। उनके घोर विरोधी डोनाल्ड ट्रंप ने तो उन्हें कायर तक करार दिया था। इसके अलावा दुनिया के अधिकांश देशों ने तालिबान के सामने घुटने टेकने को लेकर अमेरिका की खिंचाई की थी. पूरी दुनिया पर अमेरिका की चौधराहट को भी तालिबान की मजबूती ने ठेस पहुंचाई थी।
अमेरिका ने कुछ किया तो छिड़ जाएगा विश्वयुद्ध - जो बाइडेन की चुप्पी से मतलब यहां हाथ पर हाथ धरे रहने से है। वैसे तो रूस के यूक्रेन पर हमले के बाद बाइडेन कई बार बयान दे चुके हैं पर अपनी दखल बढ़ा नहीं रहे हैं। दरअसल, इस समय अमेरिका की एक कार्रवाई दुनिया को तीसरे विश्वयुद्ध की आग में झोंक सकती है और अमेरिका की यही कमजोर नस रूस ने दबा दिया है। रुस जानता है कि उसके सामने दुनिया का कोई देश नहीं आएगा, इसलिए वह यूक्रेन पर अपनी मनमानी कर रहा है। हालांकि रूस को उकसाने में जितना जिम्मेदार यूक्रेन है उतना ही अमेरिका और पश्चिमी देश भी हैं। इसलिए अमेरिका सहित पश्चिमी देश कोई सैन्य कार्रवाई करने के बदले प्रतिबंध-प्रतिबंध खेल रहे हैं। जबकि रूस ने यह जाहिर कर दिया है कि वह इन प्रतिबंधों के आगे झुकने वाला नहीं है।
बाइडेन ने किया था यूक्रेन में सेना भेजने से इनकार- यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा था- हमें पहले से अंदेशा था कि यूक्रेन पर रूस हमला करेगा। बाइडेन ने व्लादिमीर पुतिन को हमलावर करार देते हुए कहा कि उन्होंने युद्ध को चुना है और इसके भयानक परिणाम भुगतने होंगे। बाइडेन का यह भी कहना था कि दुनिया के ज्यादातर देश रूस के खिलाफ हैं और हम रूस पर कड़े प्रतिबंध लगाएंगे। बाइडेन ने यह भी कहा था कि अमेरिका पर भी इस युद्ध का असर पड़ सकता है। हालांकि बाइडेन ने साफ कर दिया कि वे यूक्रेन में अपनी सेना नहीं भेजेंगे और नाटो देश के जमीन की इंच भर की भी रक्षा की जाएगी। उन्होंने पुतिन से बातचीत की किसी भी संभावना से इनकार किया था।
यूक्रेन को अकेला छोड़ने की क्या है अमेरिकी मजबूरी- दरअसल, रूस और यूक्रेन की लड़ाई के बीच अमेरिका कई तरह के संकटों से घिर गया है। उस पर यूक्रेन को उकसाने और मंझधार में उसका साथ न देने के आरोप लग रहे हैं। इसके अलावा अमेरिका की यह मजबूरी है कि वह यूक्रेन का सैन्य तरीके से साथ न दे, क्योंकि अगर गलती से भी उसने ऐसा किया तो तीसरा विश्वयुद्ध टालना मुश्किल हो जाएगा। और अगर वह हाथ पर हाथ धरे बैठा रहता है तो उसकी चौधराहट को नुकसान होगा और पुतिन और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग नए चौधरी बन जाएंगे। रूस के खिलाफ उसकी कोई भी छोटी सी कार्रवाई चीन और उत्तर कोरिया को मौका दे देगी। फिर तो विश्वयुद्ध को रोकना मुश्किल ही नहीं, नामुमकिन हो जाएगा।
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