जो दल पूर्वांचल जीतेगा वही यूपी मे सत्ता स्थापित करेगा - राजनैतिक मंत्र

मुंबई।। यूपी विधानसभा चुनाव 2022 में भले ही कुछ वक्त बाकी हो लेकिन चुनाव से पहले ही सियासी सरगर्मियां काफी तेज हो गई हैं। पूर्वांचल जीता तो यूपी जीता और यूपी जीता तो समझो दिल्ली जीत लिया के फॉर्मूले पर अमल करते हुए सभी राजनैतिक पार्टियां पूर्वांचल में सक्रिय हैं।

नवंबर को सीएम योगी आदित्यनाथ के गढ़ गोरखपुर को अपना चुनावी अखाड़ा बनाते हुए अखिलेश यादव वहां से रथ यात्रा निकालेंगे।गौरतलब है कि समाजवादी पार्टी की ओर से चरणवद्ध तरीके से समाजवादी विजय यात्रा निकाली जा रही है। जिसका तीसरा चरण पूर्वांचल में होगा। अखिलेश 13 नवंबर से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गढ़ गोरखपुर से रथयात्रा निकालेंगे। यह रथयात्रा गोरखपुर से कुशीनगर जाएगी। इसके जरिए अखिलेश यादव पूर्वांचल में अपनी पार्टी के लिए हुंकार भरेंगे। दरअसल, पूर्वांचल में पिछड़ों और अति पिछड़ों की संख्या बहुत ज्यादा है। जिन पर सभी पार्टियों की निगाहें हैं। कहा जा रहा है कि ओपी राजभर से गठबंधन और समाजवादी पार्टी में शामिल हुए बसपा के पूर्व नेता लाल जी वर्मा और राम अचल राजभर सपा को फायदा पहुंचा सकते हैं।

केंद्रीय गृहमंत्री बनने बाद आजमगढ़ के पहले दौरे पर जा रहे अमित शाह सपा का गढ़ में चुनावी समीकरण को साधने की कोशिश करेंगे। इस दौरान अमित शाह जहां विश्वविद्यालय की नींव रखेंगे वहीं कई अन्य योजनाओं का भी तोहफा जिले को देंगे। साथ ही सीधे तौर पर अखिलेश यादव को निशाने पर लेकर एक बार फिर पूर्वांचल में पार्टी की जीत का खाका खींचेंगे। अमित शाह का पूर्वांचल दौरा काफी अहम माना जा रहा है, क्योंकि 2017 में बीजेपी के साथ मिलकर चुनाव लड़ने वाले ओम प्रकाश राजभर ने हाल ही में सपा प्रमुख अखिलेश यादव के साथ हाथ मिला लिया। ऐसे में अब बीजेपी को अब पूर्वांचल में अपना समीकरण नए तरीके के बनाना है। ऐसे में शाह ने सपा के गढ़ आजमगढ़ से मिशन-पूर्वांचल का आगाज करने का प्लान बनाया है ताकि एक बड़ा सियासी संदेश दिया जा सके।

सियासी दलों के फोकस में क्यों रहता है पूर्वांचल? दरअसल, यूपी के पूर्वांचल में 28 जिलों की 164 विधानसभा सीटें हैं। पूर्वांचल को 2017 से पहले तक सपा का गढ़ माना जाता था। माना जाता है कि जिस भी पार्टी ने यहां बड़ी बढ़त बनाई, उसे सत्ता आसानी से हासिल होती है। 2017 में भाजपा को पूर्वांचल की 28 जिलों की 164 विधानसभा सीट में से 115 सीट मिली थीं जोकि भाजपा का अब तक का रिकॉर्ड है।

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