
अनन्त फल देने वाला है ये व्रत-प0 अतुल शास्त्री
- अंकित पांडेय
- Sep 22, 2018
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*अनंत फल देने वाला उत्तम व्रत*
अनंत चतुर्दशी भगवान विष्णु के अनंत रूप की आराधना के लिए मनाई जाती है। प्रभु अनंत हैं, वह कण कण में व्याप्त हैं, और अनंत चतुर्दशी इन्हीं प्रभु की अनंतता का बोध कराती है। यह व्रत भाद्रपद मास के शुक्लपक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है और वर्ष में केवल एक ही बार आता है। इस दिन भक्त अनंत भगवान के नाम का रक्षासूत्र हाथ में बांधते हैं, जिसे अनंत सूत्र कहा जाता है। माना जाता है, यह अनंत सूत्र भक्तों की विपत्ति में रक्षा करता है, तथा भक्तो की सारी परेशानियां दूर कर देता है।
शुभ मुहुर्त
अनंत चतुर्दशी = 23 सितम्बर 2018 (रविवार)
अनंत चतुर्दशी पूजा मुहूर्त = 06:13 से 31:17+ (25 घंटे 4 मिनट)
चतुर्दशी तिथि प्रारम्भ = 05:43 (23 सितम्बर 2018)
चतुर्दशी तिथि समाप्त = 07:17 (24 सितम्बर 2018
अनंत चतुर्दशी का महत्व :-
अनंत चतुर्दशी के व्रत का महत्व श्री कृष्ण द्वारा युधिष्ठिर को बताया गया था जब वे तेरह वर्ष का वनवास भोग रहे थे। श्री कृष्ण ने उन्हें बताया अनंत चतुर्दशी का व्रत करने से उन्हें उनका मान-सम्मान तथा खोया हुआ राज्य वापस मिल जायगा। अनंत चतुर्दशी के व्रत का माहत्म्य जान कर सभी पांडवों ने द्रौपदी सहित यह व्रत निष्ठापूर्वक किया, जिसके फलस्वरूप युद्ध में उन्हें विजय प्राप्त हुई और उन्हें उनका राज्य तथा मान सम्मान फिर से प्राप्त हुआ। अनंत चतुर्दशी के दिन बांधा गया अनंत सूत्र चौदह गांठों का होता है, जिसे स्त्रियां अपने बाएं हाथ पर और पुरुष अपने दाहिने हाथ पर बांधते हैं।
अनंत चतुर्दशी की पूजन विधि :-
पूजन के लिए स्नान के पश्चात् व्रत का संकल्प लें। तत्पश्चात पूजन स्थान को शुद्ध कर वहां पर कलश स्थापना करें। कलश के ऊपर शेषशय्या पर विराजित श्री हरी विष्णु की मूर्ति रखें। मूर्ति के सम्मुख चौदह गाँठ वाला अनंत सूत्र (डोरा) रखें, और 'ॐ अनन्ताय नमः' कहकर डोरे का और अनंत भगवान का षोडशोपचार पूजन करें। पूजन के पश्चात् उस डोरे को स्त्रियां अपने बाएं हाथ में तथा पुरुष अपने दाहिने हाथ में बाँध लें तथा ब्राह्मण को नैवेद्य देकर स्वयं भी ग्रहण करना चाहिए। पूजा के बाद व्रत कथा सुननी चाहिए तथा दिनभर भगवान अनंत का ध्यान करना चाहिए।
अनंत चतुर्दशी पर गणेश विसर्जन :-
अनंत चतुर्दशी का महत्व बढ़ाता है इस दिन होने वाला गणेश विसर्जन। गणेश जी को लोग चतुर्थी के दिन हर्षोल्लास से अपने अपने घर लाते हैं और आने वाले दस दिनों तक उनकी पूजा अर्चना और सेवा करते हैं। दस दिन पूर्ण होने पर चतुर्दशी के दिन उनको घर से विदा किया जाता है और नदी अथवा सागर में विसर्जित किया जाता है।
ज्योतिष सेवा केंद्र मुंबई संस्थापक पंडित अतुल शास्त्री सम्पर्क क्रमांक 09594318403/9820819501
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