हादसों के बाद ही क्यों जागरूक होते सांसद, विधायक और सरकारी तंत्र के आला अधिकारी- खतरे मे 22,483 परिवार।

मुंबई।। जब भी हमारे देश मे कोई हादसा होता है तब उस क्षेत्र के सांसद, विधायक तथा तमाम सरकारी आला अधिकारी पहुंच जाते हैं। सोशल मीडिया और चैनलों पर हादसे की तस्वीर डालने की होड़ मच जाती है। कुछ दिनों के सभी भूल जाते है।

मुंबई में भूस्खलन के कारण जानमाल का नुकसान कोई नई बात नहीं है। राज्य सरकार ने पिछले 10 वर्षों से भूस्खलन के हादसे को नियंत्रित करने के कोई प्रयास नहीं किए हैं। मुंबई में 22,483 ऐसे परिवार हैं जो खतरनाक जगहों पर रह रहे हैं।मुंबई की 36 में से 25 विधानसभा क्षेत्रों में 257 जगहों को पहाड़ी इलाकों में हैं जिन्हें खतरनाक श्रेणी में रखा गया है। आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने कहा कि मुंबई स्लम इम्प्रूवमेंट बोर्ड ने राज्य सरकार को प्राथमिकता के आधार पर 22,483 झोपड़ियों में से 9657 झोपड़ियों को स्थानांतरित करने की सिफारिश की थी। पहाड़ियों के चारों ओर सुरक्षा दीवार बनाकर शेष झोपड़ियों की सुरक्षित करने का प्रस्ताव किया गया था।

वहीं, मानसून के दौरान 327 जगहों पर भूस्खलन का खतरा था। गलगली ने कहा कि वर्ष 1992 से 2021 के बीच भूस्खलन के हादसे में 290 लोगों की मौत हुई और 300 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। मुंबई स्लम इम्प्रूवमेंट बोर्ड ने स्थानांतरण करने की सिफारिश के तहत 2010 में एक व्यापक सर्वेक्षण किया था। अगर उसी समय गंभीरता से विचार किया गया होता तो पहाड़ी इलाकों में रहने वाले लोगों की मौत को रोका जा सकता था। बोर्ड की रिपोर्ट के बाद, तत्कालीन मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने शहरी विकास विभाग को 1 सितंबर, 2011 को एक कार्य योजना तैयार करने का आदेश दिया था। दस साल बीत चुके हैं, लेकिन शहरी विकास विभाग ने अभी तक इस पर काम शुरू नही किया है।

रिपोर्टर

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