भक्तों में लेशमात्र अहंकार भी प्रभु को स्वीकार नहीं है-आचार्य श्री राघव जी

समोधपुर, जौनपुर 


जनपद जौनपुर के सुइथाकला विकास खण्ड के समोधपुर गाँव में चल रही श्रीमद्भागवत महापुराण कथा सप्ताह ज्ञानयज्ञ के छठवें दिन की कथा में श्रीकृष्ण गोपी महारास , कंस वध, उद्धव व्रज गमन और श्रीकृष्ण रुक्मणी विवाह का प्रसंग कथा आचार्य श्री राघव जी के मुखरविंद से सुनकर वातावरण कृष्णमय हो गया। आचार्य जी ने बताया कि प्रभु अपने भक्तों में लेशमात्र भी अहंकार नहीं देख सकते हैं। अतः भक्त को भगवान का प्रेम तभी प्राप्त होता है जब उसका हृदय पूर्णतः निर्मल हो। 


जनपद मऊ के श्री राम जानकी मंदिर शिवपुर के महंत परम् पूज्य गुरूेव श्री मुरली मनोहर मिश्र (जो  ज्योतिष के प्रकांड विद्वान एवं कर्मकांड  भास्कर है ) जी ने पधारकर अपने शिष्यों को आशीर्वाद प्रदान किया । 


श्रीकृष्ण रुक्मणी विवाह की मनोहर झाँकी आयोजक मंडल के सदस्यों द्वारा सजाई गई जिसमें सभी भक्त श्रोताओं ने श्रीकृष्ण रुक्मणी के पाँव धोकर अपने जीवन को धन्य अनुभव किया। कथा के विश्राम पर सभी भक्तों द्वारा भागवत भगवान की आरती  की गई और उसके बाद प्रसाद ग्रहण कर सभी लोगों ने अपने घर को प्रस्थान किया।

रिपोर्टर

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