क्या किसान आंदोलन को बदनाम करने और तोड़ने की प्रकिया चल रही है ??

मुंबई।। दिल्ली के बॉर्डर्स पर किसानों का आंदोलन जारी है और यह अन्य क्षेत्रों में भी प्रभाव दिखाने लगा है। पक्ष और विपक्ष के सभी राजनैतिक पार्टी मिलकर  किसान आंदोलन का क्रेडिट लेना चाहती है। कुछ लोग बदनाम, तोडऩे की साजिश, और कनफ्यूज भी कर रहे है।

केन्द्र सरकार चाहती है कि जैसे भी हो, एक बार तो किसान आंदोलन समाप्त हो जाए, बाद में फिर से आंदोलन करना, किसानों का जमावड़ा करना आसान नहीं रहेगा, तो उधर किसान भी समझ रहे हैं कि यदि वे सरकार के संशोधन के जाल में फस गए और कानून बचे रह गए तो इसमें फिर चुपचाप से संशोधन की संभावना बनी रहेगी और किसी एक शब्द के बदलाव से पूरी लाइन का अर्थ ही बदल जाएगा।

नए कृषि क़ानूनों को पूरी तरह वापस लेने की मांग पर अड़े किसान संगठनों के तेवर और भी कड़े हो गए हैं, वजह? जिस तरह से केन्द्र सरकार बार-बार समय काटने जैसे काम कर रही है और जैसे भी हो किसान आंदोलन को बदनाम करने और तोड़ने की प्रकिया चल रही है, उसने किसानों को चिढ़ाने का काम किया है।

किसान अब इतना आगे बढ़ चुके हैं कि पीछे पलट कर देखने की गुंजाईश नहीं हैं. यदि किसान कामयाब रहे तो केन्द्र सरकार को दोहरा नुकसान होगा, एक- कृषि क़ानूनों को लेकर दिखाई गई सारी सियासी चतुराई धरी रह जाएगी और दो- एक अनचाहा नया एमएसपी गारंटी कानून और देना पड़ जाएगा।

अभी तो किसानों का ही पलड़ भारी है, देखना दिलचस्प होगा कि केन्द्र सरकार अपने कितने कानून बचा पाती है?

रिपोर्टर

संबंधित पोस्ट