
तेईस वर्ष बाद आया डॉ रामप्रसन्न सिंह हत्याकाण्ड का फैसला
- देवराज मिश्र, ब्यूरो चीफ अयोध्या
- Aug 29, 2019
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पूर्व जिला पंचायत सदस्य एकादशी सिंह, सगे भाई हरिश्चंद्र सिंह व घनश्याम को न्यायिक हिरासत में जेल
अयोध्या ।। जनपद के बहुचर्चित डॉ रामप्रसन्न सिंह हत्याकाण्ड का फैसला तेईस वर्ष बाद आया है । सप्तम अपर सत्र न्यायाधीश सुरेशचंद शर्मा ने बुधवार को पूर्व जिला पंचायत सदस्य एकादशी सिंह के साथ सगे भाइयों हरिश्चंद्र सिंह व घनश्याम सिंह को दोषसिद्ध पाते हुए न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया । गुरुवार को उन्हें खुली अदालत में सजा सुनाई जाएगी । इसके लिए तीनों को जेल से तलब किया गया है ।
इस घटना में अन्य अभियुक्त अजय कुमार सिंह की दौरान मुकदमा मौत हो गई । पांचवें अभियुक्त के घटना के दौरान नाबालिग होने के कारण मामला किशोर न्याय बोर्ड को भेज दिया गया ।
हत्या की वारदात १३ दिसम्बर १९९६ को महराजगंज थाना क्षेत्र के सरायरासी गांव के निकट हुई थी । सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता रमेश तिवारी के अनुसार हत्या राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता को लेकर की गई थी । अभियुक्त एकादशी सिंह जिला पंचायत सदस्य का चुनाव लड़ रहे थे । उनके प्रतिद्वंदी गुट के शमशेर बहादुर सिंह अपने भाई डॉ. रामप्रसन्न सिंह, अरविद कुमार सिंह व रणधीर सिंह के साथ जीप से क्षेत्र में जा रहे थे । सरायरासी से दशरथसमाधि मोड़ पर अभियुक्तों ने बंदूकों व राइफल की नोक पर जीप रोक ली । जीप में बैठे लोग अनहोनी को भांपकर जीप छोड़ कर जाने लगे । उसी दौरान डॉ रामप्रसन्न सिंह को गोलियों से छलनी कर दिया गया था ।
मुम्बई में प्राध्यापक थे डॉ रामप्रसन्न सिंह ...
१९९६ के दशक में सरायरासी से कई माफिया पनपे और गिरोह बनाया । गैंगवार की वारदातें हुईं । डॉ रामप्रसन्न सिंह इससे अलग मुम्बई में बस गए । वह मुम्बई के एक डिग्री कॉलेज में प्रोफेसर थे । १९९६ में उनके भाई शिवबचन सिंह जिला पंचायत चुनाव में प्रत्याशी थे । उन्हीं की मदद में वह मुम्बई से गांव आए थे । इस चुनाव में रामप्रसाद सिंह व राधेश्याम यादव भी प्रत्याशी थे । जीत राधेश्याम यादव की हुई थी, जो इस समय कुढ़ाकेवशपुर के ग्राम प्रधान हैं ।
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