एक स्पेशल कोर्ट ड्रामा है ""सरकार हाजिर हो ""

 भारत देश का इतिहास दुनिया में सबसे पुराना है। कई युग आए और कई युग बदले ,पर इस दुनिया में अगर कोई व्यक्ति नहीं बदला तो वह है नारी  हर युग में नारी का एक अलग ही महत्व रहा है। चाहे रामायण काल हो या महाभारत का समय। नारी हमेशा नर पर भारी ही पड़ी है। अगर सीता ने रावण का अपमान नहीं किया होता तो राम तथा रावण का युद्ध नहीं हुआ होता और द्रोपदी ने दुर्योधन का अपमान करते हुए ये नहीं कहा होता कि अंधे के बच्चे अंधे ही होते हैं तो महाभारत घटा ही नहीं होता। हर युग में नारी को लेकर विवाद और चर्चे जरूर होते हैं, चाहे महाभारत हो या आज का भारत। झगड़े की वजह सर्फ नारी ही रही हैं। आज भी भारत जैसे प्रगतिशील देश में नारी ही चौतरफा खबरों में छाई हुई है।                   

इसी विषय को लेकर लेखक- निर्देशक पंडित व्यास ने अपनी जल्द ही रिलीज होने वाली फिल्म का निर्माण किया है। नाम है "सरकार हाजिर हो "। एम एम गुप्ता प्रस्तुत "सरकार हाज़िर हो"  दो सच्ची व क्रूर घटना पर आधारित है। जिसमें एक बहन अपने भाई (वह दोनों कैसे भाई बहिन हैं,इसे फ़िल्म देखकर ही समझा जा सकता है) के साथ शादी करना चाहती हैं। उसका यह भी कहना है कि वो उसके बच्चे की माँ बनने वाली है। दुनियावालों का वास्ता देकर  माँ अपनी बेटी को ऐसा करने से बहुत रोकती है पर बेटी अपनी जिद पर अड़ जाती है। बेटी भी माँ के लगातार पति बदलने से दुखी है।और बात बेटी की हत्या तक जा पहुँचती है।  बाद में पुलिस इंकवायरी में माता पिता  दोनों अपनी ही बेटी की हत्या के आरोप में गिरफ्तार भी कर लिए जाते हैं। जब ये केस कोर्ट मे शुरू होता है वहां एक अलग ही स्टोरी जन्म लेती है। होता यह है कि कोर्ट में इन दोनों का केस लड़ने के लिए जो वकील अनुबंधित किये गए हैं,  वो लॉ की पढ़ाई के समय के साथी हैं। पब्लिक प्रोसिक्यूटर के साथ बरसो पहले एक दूसरे से प्यार करने के बावजूद डिफेंस लॉयर शादी नहीं कर पाई। वह वर्तमान में विधवा है और सरकारी वकील कुँआरा होते हुए भी उससे शादी करने के सपने संजोए है।यहाँ एक जबरदस्त ड्रामा व एक सामाजिक संदेश से दर्शकों को रूबरू होना पड़ता है।जो इस फ़िल्म का सर्वाधिक महत्वपूर्ण पक्ष है। ऐसा होने के बावजूद दोनों वकीलों की कोर्ट में गर्मागर्म बहस दर्शकों को झकझोरने के साथ ही मजा भी देती है। पंडित व्यास प्रॉडक्शन्स कृत "सरकार हाजिर हो"  के लेखक निर्माता निर्देशक पंडित व्यास का कहना है कि अदालत के रोमांचक  ड्रामे हमेशा दर्शक पसंद करते हैं। उनकी गर्मागर्म उन्हें खूब भाती है। मिसाल के तौर पर ""कानून"","" ये रास्ते है प्यार के"", "एत्तेफाक","इंसाफ का तराजू", "दामिनी", "वक्त"  तथा और भी कई फिल्में।"सरकार..." 13 जुलाई को समस्त भारत में भव्य पैमाने पर रिलीज होने जा रही है। इस फिल्म में मनोज मल्होत्रा, करिश्मा कंवर, अमित कुमार, आरती जोशी अनुपमा शर्मा, पृथ्वी जुत्सी, शशि रंजन, पूजा दीक्षित और हेमंत शर्मा ने प्रमुख भूमिका निभाई है।छायाकार हीरा सरोज, कार्यकारी निर्माता हरीश व्यास व ध्वनि मिश्रण शानू शेठ का है। वहीं पंडित व्यास के गीतों को संगीत से संवारा है एन के नंदन ने।

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