
भिवंडी मनपा का फायर बिग्रेड खुद "इमरजेंसी" में,पूरा सिस्टम फेल !
- महेंद्र कुमार (गुडडू), ब्यूरो चीफ भिवंडी
- Jul 24, 2025
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भिवंडी में 50 हजार से अधिक गोदाम व वेयर हाउस,पर दमकल कर्मी 49
वाहन हैं, आग भी है -----पर फायर फाइटर कहां ? दमकल विभाग में 111 पद खाली!
भिवंडी। भिवंडी महानगरपालिका का अग्निशमन विभाग इन दिनों भीषण कर्मचारियों की कमी से जूझ रहा है। कुल 160 स्वीकृत पदों में से 111 पद रिक्त हैं और मात्र 49 कर्मचारियों के कंधों पर पूरे भिवंडी शहर व ग्रामीण इलाकों की आगजनी घटनाओं पर नियंत्रण की जिम्मेदारी है। स्थिति इतनी गंभीर है कि विभाग में मुख्य अग्निशमन अधिकारी और उप-मुख्य अग्निशमन अधिकारी के पद भी खाली पड़े हैं, जिससे पूरी जिम्मेदारी प्रभारी अधिकारियों को निभानी पड़ रही है। करीब 15 लाख की आबादी और 50 हजार से अधिक गोदामों वाले भिवंडी क्षेत्र में केवल 49 कर्मचारियों पर अग्निशमन का काम चल रहा है।फायरमैन के स्वीकृत 100 पदों में से केवल 46 भरे गए हैं, जबकि 54 पद खाली हैं। लीडिंग फायरमैन के 15 में से 14 पद ही भरे गए हैं। चालक-परिचालक के 31 पदों में से महज 1 पद ही भरा हुआ है। सब स्टेशन ऑफिसर के 12 पदों में से 11 पर ही नियुक्ति हुई है। ऐसे में फायर ब्रिगेड के पास जितने भी आधुनिक संसाधन और वाहन मौजूद हैं, उन्हें चलाने वाला स्टाफ ही नहीं है। विभाग के पास फिलहाल 8 दमकल गाड़ियां, 5 फोम टेंडर, 5 जल ब्राउज़र, 7 मिनी फायर इंजन, 2 बचाव वैन, 1 फायर जीप और 3 फायर बाइक सहित कुल 32 वाहन मौजूद हैं। लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि इन तीनों फायर बाइकों का उपयोग पिछले एक वर्ष से नहीं हुआ है और वे ऐसे ही धूल फांक रही हैं। पिछले तीन वर्षों में भिवंडी शहर और ग्रामीण क्षेत्रों में कुल 745 आगजनी की घटनाएं हुई हैं, जिनमें शहर में 440 और ग्रामीण क्षेत्रों में 305 घटनाएं शामिल हैं। इसी अवधि में शहर में 474 और ग्रामीण इलाकों में 107 बार अग्निशमन और बचाव कार्य किए गए। शहर के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्रों में गोदामों में आग लगने की घटनाओं पर नियंत्रण पाना फायर ब्रिगेड के लिए किसी अग्निपरीक्षा से कम नहीं है। खासकर जब इन क्षेत्रों में ट्रैफिक जाम, संकरी और खराब सड़कें, और पानी की कमी जैसी गंभीर समस्याएं भी मौजूद हैं। कई बार भिवंडी से सटे ठाणे, कल्याण, उल्हासनगर जैसे इलाकों से दमकल बुलवानी पड़ती है। भिवंडी के ग्रामीण क्षेत्र में करीब 50 हजार गोदाम हैं, जिनमें राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय कंपनियों का माल संग्रहित रहता है। इस क्षेत्र में लाखों लोग रोजाना रोजगार के लिए आते हैं, लेकिन इन गोदामों की अग्नि सुरक्षा रामभरोसे है। 2009 से इस क्षेत्र के विकास की जिम्मेदारी एमएमआरडीए के पास है,लेकिन 15 वर्षों में करोड़ों रुपये विकास शुल्क वसूलने के बावजूद इस क्षेत्र में फायर स्टेशन की कोई व्यवस्था नहीं की गई। वर्ष 2021 में तत्कालीन सांसद कपिल पाटिल द्वारा पत्राचार के बाद एमएमआरडीए ने फायर स्टेशन निर्माण को सैद्धांतिक मंजूरी दी थी और कहा गया था कि अधिकारियों व कर्मचारियों की नियुक्ति प्रक्रिया शुरू है। लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। भिवंडी मनपा अग्निशमन विभाग के उपायुक्त विक्रम दराडे का कहना है कि पिछले कुछ वर्षों में अत्याधुनिक अग्निशमन उपकरण और वाहन शामिल किए गए हैं, लेकिन इन्हें चलाने के लिए पर्याप्त कर्मचारी नहीं हैं। फिलहाल जो 49 कर्मचारी हैं, उन्हीं के सहारे तीन शिफ्ट में ड्यूटी लगाकर पूरे विभाग को चलाया जा रहा है। कर्मचारियों पर काम का भारी बोझ है। हालांकि भर्ती प्रक्रिया शुरू हो चुकी है और अगले चार से पांच माह में नई नियुक्तियों की संभावना है। फायर ब्रिगेड की यह स्थिति केवल प्रशासनिक लापरवाही का परिणाम नहीं, बल्कि लाखों नागरिकों की सुरक्षा से जुड़ा गंभीर मसला है, जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
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