भोजपुर को फाइलेरिया मुक्त बनाने के लिए सभी करें दवाओं का सेवन : जिला पदाधिकारी

- जिला पदाधिकारी ने फाइलेरिया रोधी दवाओं का सेवन कर किया एमडीए-2024 का शुभारंभ

- सहजानंद ब्रह्मर्षि कॉलेज (आरा) में कार्यक्रम का हुआ आयोजन, शामिल हुई बीएमजीएफ की टीम

- घर-घर जाकर आशा कार्यकर्ताएं लाभुकों को खिलाएंगी फाइलेरिया रोधी दवाएं

आरा, 10 अगस्त | फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के तहत जिले में सर्वजन दवा सेवन कार्यक्रम का आगाज हो गया है। जिला मुख्यालय स्थित सहजानंद ब्रह्मर्षि (एसबी) कॉलेज, आरा में जिला पदाधिकारी राज कुमार ने फाइलेरिया रोधी दवाओं का सेवन कर कार्यक्रम की शुरुआत की। इस क्रम में एसबी कॉलेज में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। जिसमें स्थानीय प्रशासनिक और स्वास्थ्य अधिकारियों के साथ बिल और मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन (बीएमजीएफ) की टीम ने भी हिस्सा लिया। कार्यक्रम का उद्घाटन जिला पदाधिकारी, अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी के साथ बीएमजीएफ के अधिकारियों ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया। इस दौरान जिला पदाधिकारी ने फाइलेरिया रोधी दवाओं का सेवन कर छात्र-छात्राओं व एनसीसी के कैडेट्स को संबोधित करते हुए बताया कि फाइलेरिया एक लाइलाज बीमारी है, जिससे बचने का एकमात्र उपाय फाइलेरिया रोधी दवाओं का सेवन ही है। ये दवाएं पूरी तरह से सुरक्षित हैं। जिसका कोई भी साइड इफेक्ट नहीं हैं। इसलिए हम सभी को यदि भोजपुर को फाइलेरिया मुक्त बनाना है तो इन दवाओं का सेवन करना अनिवार्य है। उन्होंने जिले के सभी लोगों से इस अभियान को सफल बनाने की अपील की।

1455 गांवों व वार्डों में चलेगा अभियान:

इस दौरान अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी सह जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. केएन सिन्हा ने बताया कि फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के तहत जिले में शुरू हुए एमडीए राउंड के तहत इस बार 2760073 लोगों को लक्षित किया गया है। इसके लिए 1455 गांवों व वार्डों में आशा कार्यकर्ताओं के अलावा ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन की टीम घर घर जाकर लोगों को फाइलेरिया रोधी दवाओं का सेवन कराएंगी। उन्होंने बताया कि प्रतापराव जाधव, आयुष मंत्रालय एवं स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) ने कहा है कि "मच्छरों के काटने से बचने और फाइलेरिया रोधी दवाओं का सेवन करने जैसे निवारक उपाय लिम्फैटिक फाइलेरियासिस के संचरण को रोकने के लिए महत्वपूर्ण हैं, जो भारत में 20 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की आबादी को प्रभावित करता है। यह बीमारी न केवल स्वास्थ्य और कल्याण को प्रभावित करती है, बल्कि लिम्फेडेमा के कारण आजीवन विकलांगता का कारण भी बनती है, जो परिवारों को गहराई से प्रभावित करती है। आगामी सर्वजन दवा सेवन दौर में सफलता सुनिश्चित करने के लिए यह आवश्यक है कि आवश्यक है कि 90 प्रतिशत योग्य आबादी इन दवाओं का सेवन करें।”

बच्चों का उत्साह देख हो रही है खुशी :

वहीं, कार्यक्रम में शामिल बीएमजीएफ की डॉ. लेस्सी ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि फाइलेरिया को लेकर कॉलेज के छात्र-छात्राओं और एनसीसी कैडेट्स के बच्चों में उत्साह देख वो काफी खुश हैं। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार से युवा इस अभियान में शामिल हो रहे हैं, उसे देखकर यह निश्चित तौर पर अंदाजा लगाया जा सकता है कि 2027 तक फाइलेरिया को जड़ से मिटाया जा सकता है। इसके लिए शहरों के साथ साथ ग्रामीण इलाकों में लोगों को जागरूक करने पर अधिक फोकस करना होगा। उन्होंने बताया कि पिछले वर्ष बिहार में एमडीए राउंड के सफल संचालन में फ्रंटलाइन वर्कर की भूमिका अत्यंत सराहनीय रही है। उन्होंने कहा कि इस दिशा में ग्रामीण क्षेत्रों में जिस तरह से बेहतरीन कार्य हुआ है, वैसा ही प्रयास शहरी क्षेत्रों में भी करने की जरूरत है। कार्यक्रम के बाद सभी ने दवाओं का सेवन कर सेल्फी प्वाइंट पर फोटो भी ली।

कार्यक्रम में बीएमजीएफ की डॉ. जयंती, डॉ. अमोल पाटील, जिला पंचायती राज पदाधिकारी रवि रंजन, डीपीएम रवि रंजन कुमार, वीबीडीएसओ अजीत कुमार पटेल, पीसीआई के राष्ट्रीय निदेशक रणपाल सिंह, एसपीएम डॉ. पंखुड़ी मिश्रा, एएसपीएम अम्रेश कुमार, जीएचएस डॉ. अरुण घोष, विश्व स्वास्थ्य संगठन के राज्य समन्वयक डॉ. राजेश पांडेय, जोनल कोऑर्डिनेटर डॉ. अरुण कुमार, पिरामल स्वास्थ्य के डीएमसी सोमनाथ ओझा व अंशु कुमार, एसबी कॉलेज के प्राचार्या पुनम कुमारी व कॉलेज के छात्र-छात्राएं मौजूद रहे।

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