
जीवन में सदा सुखी रहना है तो पूण्य कर्मों की कमाई करें - ब्रह्माकुमारी सुरेखा दीदी
- राजेंद्र यादव, ब्यूरो चीफ, मध्यप्रदेश
- Jun 12, 2024
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तलेन । प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय तलेन के तत्वाधान में *सप्त दिवसीय श्रीमद् भगवत गीता प्रवचन* के छठवे दिन में कार्यक्रम का शुभारंभ भगवान शिव भोलेनाथ की पूजा अर्चना तथा दीप प्रज्ज्वलित नायब तहसीलदार प्रयांक श्रीवास्तव एवं बहन श्रीमती श्रीवास्तव , गायत्री परिवार से मनमोहन यादव, पवन महेश्वरी , ओमप्रकाश माथुर , घनश्याम पवार , दिनेश श्रीवार तथा ब्रह्माकुमारी लक्ष्मी दीदी के द्वारा किया गया।
प्रवचन देते हुए योग शक्ति सुरेखा दीदी ने कहा कि आत्मा शरीर को जन्म जन्मांतर बदलते ही आती है, लेकिन वह किए हुए कर्मों से मुक्त नहीं हो सकती है।जीवन में संस्कार रूपी चाबी आत्मा अपने साथ लेकर जाती है, जिसके आधार पर वह अपने कार्य व्यवहार में आती है। इस सृष्टि मंच पर आत्मा परमधाम से अपना अपना पाठ बजाने व खेल खेलने के लिए आई है।आत्मा की प्रधानता तब थी जबकि इस धरा पर सतयुगी स्वर्णिम संसार था। जहां श्री लक्ष्मी और श्री नारायण का राज्य था, एक धर्म,एक राज्य, एकमत तथा धार्मिक और राजनीतिक सत्ता सब एक के हाथों में थीं
आपने कहा कि जीवन में सदा खुश रहना है तो पुण्य कर्मों की कमाई करें।जीवन में यदि खुशी बांटने की कला सीख लें तो आपके जीवन में खुशियां बढ़ती जाएंगी। सुख देने से ही सुख की प्राप्ति होती है और यह भी धारणा है कि दूसरों को दुख देने वाला इंसान दुखी होकर मरता है।सत्कर्म करने का आधार है श्रेष्ठ संकल्प। कर्मों से हमारे जीवन में पुण्य का खाता बढ़ता जाता है। सत कर्मों के लिए जीवन में नैतिक मूल्यों की आवश्यकता होती है। आत्मा के मूलभूत अनादि नैतिक गुण हैं जिन्हें मूल्य का कहा जाता है। ज्ञान, सुख, आनंद, प्रेम, शक्ति, शांति, पवित्रता इन गुणों को जीवन में धारण करके सत्कर्म किए जा सकते हैं। श्रेष्ठ संकल्पों के लिए सत ज्ञान, ईश्वरीय ज्ञान होना चाहिए। ज्ञान का प्रयोग हम विकारों के नाश या पवित्रता की प्राप्ति के लिए करना है। सत्कर्म हम किसी का सहयोग करके भी कर सकते हैं। छोटा सा सत्कर्म भी मनुष्य को बड़ा फायदा पहुंचाता है। सत कर्मों के द्वारा हम अपने जीवन में पुण्य का खाता जमा कर सकते हैं। इस अवसर पर नायब तहसीलदार नगर के गणमान्य लोग उपस्थित रहे। योग शक्ति सुरेखा दीदी ने सभी भक्तजनों को परमात्म ज्ञान की अनुभूति कराते हुए सभी की झोली ज्ञान रत्नों से भरपुर की तथा श्रद्धालुओं ने परम आनंद लेकर परमात्मा अनुभूति की। अंत में लक्ष्मी दीदी के द्वारा सभी मेहमानों को ईश्वरीय सौगात भेंट कि गई ।।
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