मलेरिया के गंभीर मामले में रोगी कोमा में भी जा सकता है : एमओ

 - मलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के तहत नावानगर सीएचसी में आशा कार्यकर्ताओं को किया गया प्रशिक्षित

- मलेरिया के प्रति लोगों को जागरूक करने का दिया गया निर्देश

बक्सर ।। मच्छरजनित रोगों से बचाने के लिए विभाग प्रयासरत है। इस क्रम में सभी प्रखंडों में मलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के गुणवत्तापूर्ण संचालन के लिए आशा कार्यकर्ताओं को दक्ष किया जा रहा है। ताकि, लोगों में मलेरिया को लेकर जागरूकता पैदा की जा सके और मलेरिया उन्मूलन की दिशा में बेहतर कार्य किया जा सके। प्रशिक्षण के दौरान चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. बीपी सिंह ने कहा कि मलेरिया एक ऐसा रोग है, जिसमें रोगी को सर्दी, सिरदर्द के साथ बार-बार बुखार आना है। इसमें बुखार में उतार- चढ़ाव के क्रम में दोबारा आ जाता है। मलेरिया के गंभीर मामले में रोगी कोमा में भी जा सकता है और मृत्यु तक हो जाती है। मलेरिया को लेकर लोगों का जागरूक होना आवश्यक है। 

चलाया जाएगा जागरूकता अभियान :

एमओ डॉ. सिंह ने कहा कि पूर्व की तुलना में मलेरिया के मामले लगातार कम हो रहे हैं। इसको लेकर प्रखंड स्तर से लेकर पंचायत स्तर के उपस्वास्थ्य केंद्रों पर कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा। जिसमें मलेरिया से बचाव को लेकर जागरूकता अभियान भी चलाया जाएगा। जिसके लिए पूर्व में भी आशा कार्यकर्ताओं को मलेरिया जांच की प्रक्रिया से अवगत कराया जा चुका है। जिसकी निगरानी करना संबंधित क्षेत्र की आशा फैसिलिटेटर की जिम्मेदारी है। आशा कार्यकर्ता संदिग्ध मरीजों को आरडीटी किट से जांच करेंगी। प्रति जांच नेगेटिव होने पर 15 रुपए जबकि मरीज को पॉजिटिव आने पर 75 रुपए भुगतान किए जाएंगे।

बच्चों में मलेरिया का खतरा अधिक :

वीबीडीएस उपेंद्र पांडेय ने बताया कि जिन लोगों को मलेरिया होता है उन्हें आमतौर पर तेज बुखार और कंपकंपी के साथ बुखार आता है। मलेरिया का समय पर इलाज होना जरूरी है। मलेरिया प्लाज्मोडियम परजीवी की वजह से होता है और परजीवी संक्रमित मादा एनाफिलीज मच्छरों के काटने से लोगों में विशेष रूप से फैलता। बच्चों में मलेरिया का खतरा अधिक रहता है। इसमें पांच वर्ष के कम आयुवर्ग के बच्चों, गर्भवती माताएं, एचआईी एड्स के रोग के साथ गैर प्रति रक्षा प्रवासी, एक जगह से दूसरी जगह जाने वाले लोग और यात्री में शामिल हो सकते हैं। इसलिए आशा कार्यकर्ताएं अपने अपने क्षेत्र में लोगों को साफ-सफाई के संबंध में भी जागरूक करने पर जोर दें। वहीं, मलेरिया के लक्षण वाले मरीज मिले तो संबंधित व्यक्ति को नजदीक के सरकारी अस्पताल में पहुंचाने में सहयोग करें।

पानी न जमा होने दें लोग :

वीडीसीओ संत कुमार दास ने आशा कार्यकर्ताओं को बताया कि मलेरिया से बचाव के लिए लोगों को कुछ बातों का ध्यान रखना होगा। मच्छरों को पनपने से रोकने के लिए घर एवं घर के आस-पास बने गड्ढों, नालियों बेकार पड़े खाली डब्बों, पानी की टंकियों, गमलों, टायर-ट्यूब में पानी एकत्रित न होने दें। जमे हुए पानी में मिट्टी तेल की कुछ बूंदें अवश्य डालें। सोते समय मच्छरदानी अथवा मच्छर भगानेवाली क्रीम या अगरबत्ती का प्रयोग करें। मच्छर के घर में प्रवेश को रोकने के लिये खिड़कियों पर जाली का प्रयोग सहित अन्य उपाय किये जा सकते हैं। साथ ही, मलेरिया से बचाव हेतु डीडीटी या एसपी छिड़काव में छिड़काव कर्मियों को सहयोग प्रदान करें।

प्रशिक्षण में बीसीएम तस्लीम, आईडीएसपी के प्रतिनिधि शशि रंजन, आशा फैसिलिटेटर और आशा कार्यकर्ताएं शामिल रही।

रिपोर्टर

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