अपना दर्द दरकिनार कर लोगों को जागरूक करने में जुटी हैं 17 साल से हाथीपांव से पीड़ित सुनीला

- लंबे समय से फाइलेरिया से ग्रसित होने के साथ एक साल पहले कालाजार की भी चपेट में थी आईं

- पेशेंट सपोर्ट ग्रुप से जुड़कर अपनी आपबीती सुना लोगों को देती हैं संदेश

- पति के देहांत के बाद भी परिवार को रखा एकजुट ,किया पालन पोषण

छपरा ।। किसी भी गंभीर बीमारी से लंबे समय से ग्रसित रहने पर इंसान अपनी क्षमता खो बैठता है। न केवल अपनी पहचान वरण गंभीर बीमारी के कारण वो कई परेशानियों से जूझता है। जिसमें मानसिक परेशानी सबसे ज्यादा होती है । जिससे मरीज का हौसला तो टूटता ही है, साथ ही उसका मनोबल भी पूरी तरह से बिखर जाता। लेकिन कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो अपनी इन परेशानियों से न केवल खुद को मजबूत बनाते बल्कि दूसरे लोगों को भी सचेत और जागरूक करते हैं। ताकि, जिन परेशानियों और मजबूरियों से वो गुजर चुके हैं, दूसरे लोगों को ऐसी परिस्थितियों से न गुजरना पड़े। हम बात कर रहे हैं, सारण जिले के गड़खा प्रखंड स्थित नारायणपुर नाम के एक छोटे से गांव की महिला सुनीला देवी की। जो पिछले 17 साल से फाइलेरिया के हाथीपांव से ग्रसित हैं। लेकिन, अब नारायणपुर के फाइलेरिया से ग्रसित मरीजों के समूह (पेशेंट सपोर्ट ग्रुप) से जुड़कर लोगों को जागरूक करने में जुटी हुई हैं।

2006 में हाथीपांव से हुई ग्रसित, दो साल बाद पति की हुई मृत्यु :

सुनीला देवी ने बताया कि शुरुआती दिनों में वो इस बीमारी के लक्षणों से अनभिज्ञ थीं। जानकारी के अभाव में वो हाथीपांव के लक्षणों की  अनदेखी  करती रही । जिसके कारण 2006 में हाथीपांव का संक्रमण उनके पैर में फैल गया। दो साल तक वो इलाज के लिए इधर उधर भटकी लेकिन कोई जुगत नहीं लगी। इस बीच 2008 में उनके पति गोपाल राय  का देहांत हो गया। अब परिवार की तकलीफों के आगे उन्होंने अपनी तकलीफ को दरकिनार कर अपना पूरा ध्यान उनको एकजुट रखने और उनके पालन पोषण में लगा दिया। समय बीता लेकिन धीरे-धीरे उनके पैरों की परेशानी बढ़ती गई। इस बीच कोरोनाकाल से पहले आशा के माध्यम से उनका इलाज शुरू हुआ। जिससे उन्हें काफी राहत मिली। लेकिन, 2021 में वो कालाजार की चपेट में भी आ गईं। जिसका इलाज स्वास्थ्य विभाग के द्वारा कराया गया। फिलहाल कालाजार से तो वो उबर गईं, लेकिन हाथीपांव का दंश अब भी झेल रही हैं।

बदलाव और जागरूकता की एक किरण तो जरूर आएगी :

सुनीला देवी ने बताया, पति की मौत और हाथीपांव के कारण कई बार उनका हौसला टूट जाता। लेकिन, बच्चों का चेहरा देख वो अपनी परिस्थितियों से लड़ने को फिर से तैयार हो जाती। कई बार स्वास्थ्य लोगों को चलते-फिरते या दौड़ते देखती तो उन्हें काफी ग्लानि  होती। इसलिए लिए वो पेशेंट सपोर्ट ग्रुप से जुड़कर अब दूसरे लोगों को जागरूक करने में जुट गईं। उनका कहना है कि जीवन में जिन परेशानियों से वो लड़ती रही, अब कोई दूसरा उनका सामना न करे। उन्होंने कहा कि पेशेंट सपोर्ट ग्रुप भले हीं  हाथीपांव या फाइलेरिया व  अन्य बीमारियों को ठीक नहीं कर सकता। लेकिन जहां दर्जनभर फाइलेरिया के मरीज के साथ खड़े होकर लोगों को जागरूक करेंगे, तो बदलाव और जागरूकता की एक किरण तो जरूरी आएगी। जिससे लोगों में इस बीमारी से बचाव की जानकारी और जिज्ञासा बढ़ेगी।

रिपोर्टर

संबंधित पोस्ट