राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी में 225 शोधकर्ताओं ने लिया भाग

राजगढ़ ।। मुख्य अतिथि सांसद श्री रोडमल नागर ने कहा में से अपना तू का भाव नई शिक्षा नीति की प्रथम विशेषता है। चीजों के प्रति व्यवहारिक प्रयोगात्मक ज्ञान की नितांत आवश्यकता है। गुड़ के मिठास से अनुभव की महक झलकती है। इसी तरह से शिक्षा ग्रहण करने के पश्चात जीवन में या अनुभव हुआ है, इसका मूल्य ज्यादा है बजाएं शैक्षणिक बड़ी-बड़ी डिग्रियों से कार्यक्रम में विधायक श्री बापू सिंह तंवर ने कहा कि महाविद्यालय द्वारा ऐतिहासिक पहल की गई है प्रशंसनीय है हम अभिनंदन करते हैं शिक्षा का शिखर बड़े शहरों से गांव की ओर विकास की गंगा बहे इस विचारधारा का पोषण करती है नई शिक्षा नीति। अग्रणी महाविद्यालय परिसर में संगोष्ठी कार्यक्रम का शुभारंभ सांसद श्री रोडमल नागर विधायक श्री बापू सिंह तंवर, जनभागीदारी, श्री विशाल मीणा, कॉलेज प्राचार्य श्री आर.के. शर्मा संगोष्ठी संयोजक प्रोफेसर श्री मंगलेश सोलंकी, श्री एम.एल. गुप्ता, श्री सुभाष दांगी, सुश्री आभा आनंद, श्री रामगोपाल दांगी, श्री मनीष जोशी, श्री के.पी. पंवार, श्री एन.पी. संजोदिया, सुश्री आराधना यादव, श्री जे.एस. भाटी सहित छात्र-छात्राएं मौजूद थे।

राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी का विषय ग्रामीण महाविद्यालय में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 चुनौतियां एवं समाधान विषय पर संगोष्ठी में 225 प्राध्यापक व सहायक प्राध्यापक 24 लोगों ने शोध पत्र प्रस्तुत किया। महाविद्यालय की स्थापना वर्ष 1958 के बाद से पहली बार इस तरह का आयोजन जिला मुख्यालय के लिए महाविद्यालय में आयोजित किया गया। संगोष्ठी में वक्ता के रूप में श्री नांदेड़, प्रोफेसर डॉ राजेश सुभाष से विशिष्ट वक्ता के रूप में प्रोफेसर श्री आशीष कुमार, श्री विद्याशंकर विभूति संगोष्ठी वक्ता रहे।

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