ग्रामीण इलाकों की महिलाओं के लिए वरदान साबित हो रहा प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान

बक्सर ।। जिले में शहरी और ग्रामीण इलाकों में मातृ मृत्यु दर को कम करने के लिए स्वास्थ्य विभाग तत्पर है । इसके लिए जिले में प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान भी संचालित है। जिसके तहत सभी सरकारी अस्पतालों के साथ-साथ सामुदायिक और प्राथमिक स्वास्थ्य संस्थानों में हर महीने की 9 तारीख को आरोग्य दिवस का आयोजन किया जाता है। इस दौरान जांच को आई गर्भवती महिलाओं की हाई रिस्क प्रेग्नेंसी (एचआरपी), एचबी प्रतिशत, एचआईवी, सिम्फिल्स, ब्लड प्रेशर, डायबिटीज आदि का परीक्षण किया जाता है। इस अभियान का लाभ शहरी के साथ साथ ग्रामीण इलाकों की गर्भवती महिलाओं को भी बखूबी मिल रहा है। जो उनके लिए वरदान साबित हो रहा है।

महिलाओं के लिए प्रसव पूर्व जांच बहुत जरूरी :

सदर प्रखंड के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. सुधीर कुमार ने बताया, गर्भवती महिलाओं के लिए प्रसव पूर्व जांच बहुत जरूरी होता है। जिसका लाभ हर गर्भवती महिला को उठाना चाहिए। जांच के माध्यम से पता लगाया जाता है कि किसी गर्भवती महिला में हाई रिस्क प्रेग्नेंसी या सीवियर एनीमिक का केस तो नहीं है। यदि एनीमिक लेवल 7 या उससे कम होता है तो उसे सीवियर एनीमिक केस में रखा जाता है। उन्होंने मैटरनल और चाइल्ड डेथ रेट को कम से कमतर करने को ले सही प्रसव पूर्व जांच को सबसे महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने बताया कि जांच के जरिये गर्भावस्था की गंभीर जटिलताओं को समय रहते दूर करते हुए माता और शिशु की  प्राणों की रक्षा की जा सकती है।

यहां होती नियमित रूप से जांच :

प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व योजना के तहत माह की 9वीं तारीख को जांच के लिए शिविर का आयोजन किया जाता है। इसके लिए इच्छुक गर्भवती महिलाएं अपने नजदीकी हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर, पीएचसी व स्वास्थ्य केंद्रों पर प्रसव पूर्व जांच करा सकती हैं। इसके अलावा आंगनबाड़ी केंद्रों पर भी आरोग्य दिवस का आयोजन किया जाता है। जहां पर हर सप्ताह बुधवार, गुरुवार और शुक्रवार को गर्भवती महिलाओं की जांच के साथ माताओं व शिशुओं का टीकाकरण भी किया जाता है।

शिशु-मृत्यु दर पर भी लगेगा विराम :

'सरकार द्वारा प्रत्येक महीने गर्भवती महिलाओं की स्वास्थ्य जांच के लिए की गई यह व्यवस्था शिशु-मृत्यु दर में कमी लाने का बेहतर व्यवस्था हैं। सरकार द्वारा की गई यह व्यवस्था मातृ और शिशु मृत्यु दर को कम करने की दिशा में अच्छी पहल है। इससे ना सिर्फ सुरक्षित प्रसव होगा, बल्कि शिशु-मृत्यु दर पर विराम भी लगेगा। इसके साथ ही जच्चा-बच्चा दोनों को अनावश्यक परेशानियां का सामना नहीं करना पड़ेगा। इसलिए महिलाओं से अपील है कि सुरक्षा के दृष्टिकोण से संस्थागत प्रसव को लेकर किसी प्रकार की हिचकिचाहट में न रहें और वे संस्थागत प्रसव को प्राथमिकता दें।' - डॉ. अनिल भट्ट, अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी, बक्सर

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