भ्रष्ट व्यवस्था से आहत प्रख्यात जनकवि जमुना प्रसाद उपाध्याय ने कहा, कर लूंगा आत्मदाह

अयोध्या ।। 'धान से गेंहू से जब गोदाम सारे भर गए, पूछते हो पेड़ को इन पत्तियों ने क्या दिया' ..... उक्त पंक्तियाँ किसी और की नहीं प्रख्यात जनकवि जमुना प्रसाद उपाध्याय जी की हैं, जो आज खुद व्यवस्था की मार का शिकार हैं। बुजुर्ग जनकवि मानसिक रूप से इतने प्रताड़ित हो गए हैं कि कहते हैं न्याय नहीं मिला तो वह आत्महत्या कर लेगें। जनप्रतिनिधियों से लेकर अफसरों तक इंसाफ की गुहार लगा चुके श्री उपाध्याय को न्याय तो दूर धमकी अलग से मिल रही है। मामला उनके निजी बाग पर पंचायत भवन के नाम पर हो रहे अवैध कब्जे से जुड़ा है। जाने-माने कवि शायर श्री उपाध्याय वर्तमान व्यवस्था से इतने व्यथित हैं कि बुधवार को अपनी पीड़ा जाहिर करते हुए रो पड़े। बोले – यहां न्याय मांगना भी अपराध है क्या? उन्होंने कहा कि लेखपाल धमकी दे रहा है कि तुम ऐसे नहीं मानोगे, फोर्स लेकर आऊंगा तब देखना।उन्होंने बताया कि अयोध्या सांसद और बीकापुर विधायक के कहने के बावजूद तहसील प्रशासन हमारी मुस्तरका बाग में पंचायत भवन बनवाने के लिए गढ्ढे बना दिए गए हैं। जबकि बाग के बाग 24 एयर ज़मीन ग्राम समाज की है। उन्होंने कहा कि इसके बाद भी उनके बाग की 85 एयर जमीन पर कब्जा किया जा रहा है। जन कवि ने बताया कि 24 एयर जमीन पर उनका न तो हमारा कोई पेड़ है और न ही निर्माण। प्रधान और लेखपाल की साजिश से नाप जोख हमारी बाग में कर दिए हैं।यहां तक कि कब्जा करने के लिए गड्डे तक खुदवा दिए गए हैं। उन्होंने बताया उप जिलाधिकारी ने तीन लेखपालों की टीम गठित करके नापने का आदेश पारित किया है। उन्होंने बताया कि बुधवार को लेखपाल ने सूचना दी कि भूमि नापने के लिए आयेगें लेकिन दिन भर प्रतीक्षा के बाद भी नहीं आए। वे सुबह से ही परिवार के लोगों के साथ बाग में इंतजार करते रहे।श्री उपाध्याय ने बताया कि जब उन्होंने लेखपाल को फोन किया तो उसने कहा अब मैं फोर्स लेकर आऊंगा और नींव भरवाऊंगा। व्यवस्था के दंश से आहत श्री उपाध्याय ने कहा कि ‘ मैं मानसिक रूप से थक गया हूं, हमारा लेखन प्रभावित हो रहा है। यदि समस्या का समाधान नहीं हुआ और हमारे ऊपर प्रेशर बनाकर जमीन कब्जा की गई तो आत्मदाह कर लूंगा उन्होंने कहा कि इसकी पूरी जिम्मेदारी प्रधान लेखपाल और तहसील प्रशासन की होगी। इस संबंध में एसडीएम बीकापुर से लगातार मोबाइल पर संपर्क का प्रयास किया जाता रहा लेकिन लगातार स्वीच आफ रहा। व्यवस्था को लेकर जाने-माने कवि की जब यह स्थिति है तो सामान्य जन के लिए सहज समझा जा सकता है।

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