कुष्ठ व फाइलेरिया का समय से इलाज शुरू हो सके इसके लिए प्रारंभिक लक्षणों की पहचान जरूरी

बक्सर ।। जिले में गंभीर बीमारियों को लेकर लोगों समय समय पर जागरूक किया जाता रहा है। ताकि, लोग अपने परिवार और आसपास में गंभीर बीमारियों के लक्षण पहचान कर समय पर इलाज शुरू करा सकें। इस क्रम में शनिवार को पांडेय पट्टी हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर में गंभीर बीमारियों कुष्ठ और फाइलेरिया को लेकर संगोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमें संगोष्ठी में डिस्ट्रिक्ट वेक्टर बॉर्न डिजीज कंट्रोलर कंसल्टेंट राजीव रंजन, सीएचओ श्वेता सिंह व पारा मेडिकल वर्कर नागेश दत्त पांडेय ने लोगों कुष्ठ और फाइलेरिया के संबंध में लक्षणों की पहचान, इलाज और बचाव की विस्तृत जानकारी दी। साथ ही, मरीजों के बीच में दवाओं का भी वितरण किया गया। संगोष्ठी में बुनियादी स्वास्थ्य निरीक्षक उदय कुमार, आशा फैसिलिटेटर अर्चना श्रीवास्तव, आशा कार्यकर्ता नीतू देवी, शकुंतला देवी, रिंकू देवी, इशरत खातून प्रमिला देवी, तारामुनी देवी, मालती देवी व स्थानीय ग्रामीण शामिल रहें।


समय पर इलाज नहीं होने से लोग विकलांग हो जाते हैं :

डिस्ट्रिक्ट वेक्टर बॉर्न डिजीज कंट्रोलर कंसल्टेंट राजीव रंजन ने बताया, फाइलेरिया ऐसी बीमारी है जिसका समय पर इलाज नहीं होने से लोग विकलांग हो जाते हैं। शुरुआत में पैर, हांथ आदि में सूजन होता है। जिसको कई लोग टालने लगते हैं, वही आगे जाकर गंभीर रूप ले लेती है। यदि समय पर इलाज हो जाए फाइलेरिया को बढ़ने से रोका जा सकता है और नियमित दवाओं के सेवन से इसे खत्म भी किया जा सकता है। एक बार फाइलेरिया गंभीर रूप ले ले, तब उसे कम किया जा सकता है। लेकिन पूरी तरह खत्म नहीं किया जा सकेगा। फाइलेरिया के ग्रेड एक, दो और तीन के मरीजों का इलाज होने से उसे जड़ से खत्म किया जा सकता है। इसलिए फाइलेरिया के प्रारंभिक लक्षणों की पहचान जरूरी है। ताकि, समय पर इसका इलाज शुरू हो सके। इसमें आशा कार्यकर्ताओं की भूमिका अहम है।


समय पर कुष्ठ का इलाज नहीं शुरू होने पर गंभीर हो सकती है स्थिति :

पारा मेडिकल वर्कर नागेश दत्त पांडेय ने बताया, कुष्ठ एक संक्रामक बीमारी है। जो छूने या हाथ मिलाने, साथ में उठने-बैठने या कुछ समय के लिए साथ रहने से नहीं फैलती। हालांकि, यह संभव है कि लेप्रोसी पीड़ित व्यक्ति के साथ लंबे समय तक रहने से परिवार के सदस्य इसकी चपेट में आ सकते हैं। लेकिन, नियमित रूप से इसका चेकअप और बचाव करने से इससे बचा जा सकता है। उन्होंने बताया, लेप्रोसी पीड़ित व्यक्ति के खांसने या छींकने पर उसके श्वसन तंत्र से निकलने वाले पानी की बूंदों में लेप्रे बैक्टीरिया होते हैं। ये बैक्टीरिया हवा के माध्यम से दूसरे व्यक्ति के शरीर में पहुंच जाते हैं। स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में पहुंच कर इन बैक्टीरिया को पनपने में करीब 4-5 साल लग जाते हैं। प्राइमरी स्टेज पर लेप्रोसी के लक्षणों की अनदेखी करने से व्यक्ति अपंगता का शिकार हो सकता हैं।


चलाया जायेगा खोजी अभियान :

सीएचओ श्वेता सिंह ने कहा, पांडेयपट्टी हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर अंतर्गत जितने भी पंचायत हैं, वहां फाइलेरिया और कुष्ठ रोगियों की पहचान करने के लिए खोजी अभियान चलाया जायेगा। इसके लिए सभी आशा कार्यकर्ता अपने अपने इलाके में घर घर जाकर लोगों की जांच करेंगी और लक्षणों की पहचान करेंगी। जिसके बाद संदिग्ध मरीजों की सूची तैयार करेंगी। ताकि, लोगों में प्रारंभिक लक्षणों की पहचान कर उनका इलाज कराया जा सके। उन्होंने बताया कि अब हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर में फाइलेरिया की दवा उपलब्ध है। जिसका वितरण शुरू हो चुका है। जिन मरीजों को दवा लेनी हो वो हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर में आकर दवा ले सकते हैं।

रिपोर्टर

संबंधित पोस्ट