एमडीएसआर के माध्यम से मातृ व शिशु मृत्यु दर को कम करने की तैयारी

- सुमन कार्यक्रम के तहत गर्भवती महिलाओं को मिल रही बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं 

- शिशु मृत्यु दर में कमी लाने के लिए स्वास्थ्य सेवाओं को बनाया जा रहा है गुणवत्तापूर्ण 

आरा ।। सुरक्षित एवं सुखद प्रसव के लिए संस्थागत प्रसव की सलाह सभी गर्भवती महिलाओं को दी जाती है। लेकिन कई बार संस्थागत प्रसव के दौरान बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं के आभाव में प्रसूति महिलाओं को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। कई मामलों में तो गर्भवती महिलाओं या शिशु की मृत्यु भी हो जाती है। लेकिन, अब सरकार ऐसे मामलों को लेकर काफी गंभीर है। जिसके कारण अब जिले में मेटरनल डेथ सर्विलांस एंड रिस्पांस (एमडीएसआर) कार्यक्रम को मजबूत किया जा रहा है। जिसके तहत जिले में सरकारी व निजी स्वास्थ्य संस्थान (जहां पर प्रसव कराये जाते हैं) के चिकित्सकों को एमडीएसआर का प्रशिक्षण दिया जा चुका है। वहीं, मातृ व शिशु मृत्यु दर में कमी लाने के लिए स्वास्थ्य सेवाओं को गुणवत्तापूर्ण बनाया जा रहा है। इस क्रम में सुरक्षित मातृत्व आश्वाशन कार्यक्रम (सुमन) के तहत गर्भवती महिलाओं को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध करायी जा रहीं हैं। महिलाओं का विश्वास संस्थागत प्रसव की तरफ बढ़ा है और यह राष्ट्रिय स्वास्थ्य सर्वेक्षण के आंकड़ों से स्पष्ट होता है।

प्रसव के दौरान मातृ मृत्यु की सूचना देने पर मिलेगी प्रोत्साहन राशि:

अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. केएन सिन्हा ने बताया, सुमन कार्यक्रम के तहत शत-प्रतिशत मातृ मृत्यु दर की रिपोर्टिंग का लक्ष्य निर्धारित है। इसके लिए सबसे पहले मातृ मृत्यु की सूचना देने वाले व्यक्ति को एक हजार रूपये प्रोत्साहन राशि के रूप में दी जाती है। जबकि मृत्यु के 24 घंटे के अंदर स्थानीय पीएचसी में सूचना देने पर आशा कार्यकर्ता को भी 200 रुपये की प्रोत्साहन राशि दी जाती है। साथ ही, इस संबंध में किसी प्रकार की परेशानी होने पर 104 टोल फ्री नंबर पर कॉल कर शिकायत दर्ज करायी जा सकती है। सुमन कार्यक्रम के तहत प्रसव के बाद आवश्यकतानुसार बीमार प्रसूति और शिशु को नि:शुल्क स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध करायी जाती हैं. 

संस्थागत प्रसव के आंकड़ों में हो रहा सुधार :

डॉ. केएन सिन्हा ने बताया, संस्थागत प्रसव के आंकड़ों में पूर्व की अपेक्षा काफी सुधार हो रहा है। जो सरकारी अस्पतालों पर समुदाय की बढ़ती विश्वशनीयता का सूचक है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 (2019-20) के आंकड़ों के अनुसार जिले में संस्थागत प्रसव का आंकड़ा 83.3 प्रतिशत है। उन्होंन बताया, सुमन कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य प्रसूति महिलाओं को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं सुनिश्चित करना है। मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में कमी लाने के लिए सरकार द्वारा कई कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं। किन्तु जागरूकता के आभाव में में कई बार समुदाय के लोग इसका लाभ नहीं उठा पा रहे हैं। सुमन कार्यक्रम के तहत गर्भवती महिलाओं, प्रसव के उपरांत छह महीने तक प्रसूति महिलाओं एवं उनके नवजात शिशु को नि:शुल्क गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा सुनिश्चित करना है।

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