घोर अनियमितताओं के घेरे में पचोर तहसील

जहां नियमो को ताक में रखकर हो रहे सेंकडो काम

पचोर ।। राजगढ़ जिले की पचोर तहसील के बाबू आंख मूंदकर काम कर रहे है। कागजों की दृष्टि से देखें तो इसे आंख मूँदकर काम करना कह सकते है। परन्तु ऐसा है नहीं, यहां हर काम टेबल के नीचे से ही हो रहा है। इन कार्यों की कार्यप्रणाली देखकर अंधा व्यक्ति भी कह सकता है कि बिना लेन देन के इस तरह नियमो को ताक में रखकर काम हो ही नही सकते। उल्लेखनीय है कि लिपिक वर्ग की इस कार्यप्रणाली में तहसीलदार के भी हाथ होने की बात कही जा रही है क्योंकि पूर्व में भी यहां पदस्थ तहसीलदार एआर चिरामन पर ब्यावरा के एक मामले में अभियोजन स्वीकृति तक बात जा पहुंची थी एवं वारंट भी जारी हुआ था लेकिन बाद में मामला दबा दिया गया। 

न्याय के सिद्धांतों का खुला उलंघन 

पचोर तहसील के प्रकरण क्रमांक 92 - अ/6/2019 के तहत तहसीलदार पचोर ने जिस नामांतरण प्रकरण को खारिज किया। उसी रकबा, उसी आवेदक के प्रकरण को पुनः पचोर तहसील में ही प्रकरण क्रमांक 837 - अ/6/2020 में स्वीकृत कर दिया। जबकि तहसील न्यायालय में प्रकरण खारिज होने के बाद न्याय के सिद्धांत अनुसार एसडीएम न्यायालय में सुनवाई के लिए जाना चाहिए । तब एसडीएम के निर्णय अनुसार आगे की कार्रवाई की जा सकती है। 

नक्शा विहीन शहर की सत्यप्रतिलिपि उपलब्ध करवा रहे

पचोर शहर नक्शा विहीन होने की आड़ में कई सरकारी भूमि भूमाफियाओं की भेंट चढ़ गई।  जिला मुख्यालय से प्राप्त पत्र एवं वर्ष 2017 में पदस्थ तहसीलदार द्वारा न्यायालय में दर्ज बयानों के अनुसार पचोर शहर का नक्शा नही है परन्तु हाल ही में लोकसेवा केंद्र के माध्यम से सर्वे क्रमांक 880 के बटनांकन का तहसीलदार पचोर की सील लगा हुआ सत्य प्रतिलिपि नक्शा प्रदान किया गया। ऐसा कैसे संभव है। जबकि न्यायालय की ही भूमि के मामले में तत्कालीन पचोर तहसीलदार निमिषा पांडे ने कोर्ट में बयान दिया कि नक्शा ही उपलब्ध नही है। वहीं राजगढ़ एसएलआर के पत्र में साफ लिखा है कि नक्शा विहीन होने की वजह से भूअभिलेख ग्वालियर को पत्र भेजा है।  

आरटीआई कार्यकर्ता जा रहे हाईकोर्ट 

पचोर के ही एक आरटीआई कार्यकर्ता ने बताया कि गत डेढ़ वर्ष में पचोर में सेंकडो अनियमितताएं पाई गई है ।  जब पूर्व तहसीलदार ने लाड़कुंवर मामले में न्यायालय में बयान दर्ज करवाया की नक्शा विहीन होने से सीमांकन नही किया जा सकता। फिर वर्तमान में सीमांकन किस आधार पर हुए हैं। ऐसे कई प्रकरण है जिनमे न्यायिक दृष्टि से खुला उलंघन हुआ है । इन मामलो को लेकर एक आरटीआई कार्यकर्ता ने हाईकोर्ट रिट पिटीशन दायर करने की भी तैयारी की है। 

कलेक्टर को की थी शिकायत तहसील में धूल खा रही

न्याय के सिद्धांत के उलंघन के मामले की शिकायत विगत 29 जुलाई को एक शिकायत कलेक्टर राजगढ़ को मिली थी। जिसे एसडीएम को जांच के लिए दिया गया । लेकिन उक्त शिकायत अब तहसीलदार के कार्यालय में धूल खा रही है। जबकि कलेक्टर द्वारा भेजे गए पत्र में साफ लिखा है कि पचोर तहसीलदार द्वारा निजी लाभ के लिए न्यायिक प्रणाली में त्रुटि की गई है।

रिपोर्टर

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