लोकप्रिय बना खूँटातोङ अटपटा नाम, तारीफें बटोर रहा इनका लेखन

कल्याण ।। मुंबई से सटे इसके उपनगरीय क्षेत्र के पूर्वी भाग के कैलासनगर में रहनेवाले आर बी सिंह, (खूँटातोङ) अपनी लेखन विधा से तहलका मचा दिए है। 

बतां दें कि अभी तक हिन्दी एवं भोजपुरी भाषाओ की तकरीबन सैकङो कविताओं की रचनाओ के साथ साथ दर्जनो से भी अधिक संगीत की लेखन शैली के कारण खासकर उतरभारतीयो बहुल समाज के बीच बहुत ही यह नाम पाॅपुलर बन चुका है। 

बतातें चलें कि अभीतक साहित्यिक क्षेत्रों में सैकङो बार ठाणे, मुंबई या कल्याण तथा वसई रोड आदि के तरफ होनेवाले काव्य गोष्ठी अथवा कवि सम्मेलनो के मंचो पर अपनी सेवाँए दें चुकें है जिनकी अंतिम पंक्तियों की लाईनो में खूँटातोङ, नाम का जुङाव ही इनके स्वलेखन रचनाओं को इंगित करा देता है। 

ज्ञातव्य हो कि पिछलें वर्ष के गणेशोत्सव पूजन के ध्यानार्थ इनके कलम से लिखा गया गणपत्ति वंदन 'हे गणराजा, हे विघ्नेश! जय जय जय तेरी जय हो गणेश!! को काफी तारीफें मिलती ही रहती है कि फिर इस नये वर्ष में होली के त्योहार के मद्देनजर इनकी कलम से लिखी गयी लोकगीत पूर्वी धुन पर आधारित 'टिस मारे फगुनी बयरिया, मनवा देला झकझोर! याद आवें सईंयां के सूरतिया, कब जुङईहें हियरवा मोर!! ने भी मुंबई तथा बिहार, उत्तर प्रदेश एवं झारखंड आदि क्षेत्रो में  बसें भोजपुरी समाज के रसिको में काफी धमाल मचा रहा है।

रिपोर्टर

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