कई वर्षों बाद महाशिवरात्रि पर बना महासंयोग

सर्वार्थसिद्धि योग में होगा व्रत का शुभारंभ

इस साल महाशिवरात्रि 4 मार्च 2019 को सांय 4 बजकर 28 मिनट से आरंभ होगा। 

महाशिवरात्रि  4 मार्च

निशिथ काल पूजा- 24:07 से 24:57

पारण का समय- 06:46 से 15:26 (5 मार्च)

चतुर्दशी तिथि आरंभ- 16:28 (4 मार्च)

चतुर्दशी तिथि समाप्त- 19:07 (5 मार्च)

इस दिन शिव भक्तों के लिए खास बात यह है कि इस दिन सोमवार है जो कि भगवान शिव का ही दिन माना जाता है। इसके अलावा महाशिवरात्रि का व्रत नक्षत्र के हिसाब से मंगलवार 5 मार्च 2019 को रखा जाएगा। इस बार महाशिवरात्रि पर अद्भुत संयोग बन रहा है। लेकिन शिवरात्रि की महिमा 

4 मार्च 2019 को ही है खास बात है कि महाशिवरात्रि यानी की सोमवार का दिन होने के कारण ऐसा योग सात साल बाद महासंयोग बन रहा हैं, इस दिन के व्रत एवं पूजन का शुभारंभ सर्वार्थसिद्धि योग में होने जा रहा जो अत्यंत ही शुभ लाभकारी माना जाता हैं । इस दिन उपवास के रखकर भगवान महादेव का विधि विधान से पूजन करने पर भोलेबाबा सभी तरह की कामनाएं पूरी कर देते हैं । 

इस बार महाशिवरात्रि सोमवार को पड़ रहा है। सोमवार का दिन भगवान शिव और उनकी जटाओं में विराजमान चंद्रमा से जुड़ा हुआ है। इस वजह से महाशिवरात्रि का महत्व काफी बढ़ जाता है।

इस साल महाशिवरात्रि के मौके पर नक्षत्रों में श्रेष्ठ श्रवण नक्षत्र का संयोग बना है। इस नक्षत्र में शिव शंकर की पूजा करना काफी शुभ और फलदायी माना जाता है।

इतना ही नहीं, इस बार शिवरात्रि पर शिव योग बनने वाला है। शिव योग भोलेनाथ की पूजा के लिए बेहद उत्तम माना जाता है।

इन सबके अलावा चौथा संयोग भी बना है। इस बार महाशिवरात्रि के मौके पर सर्वार्थ सिद्धि योग बना है जो हर तरह के शुभ कर्मों को कामयाब बनाने वाला होता है।

शिवरात्रि साल मे 12/13 बार आने वाला मासिक त्यौहार है, जो पूर्णिमा से एक दिन पहिले चतुर्दशी  के दिन आता है। शिवरात्रियों में से दो सबसे अधिक प्रसिद्ध हैं, फाल्गुन चतुर्दशी महा शिवरात्रि के नाम से प्रसिद्ध है और दूसरी सावन शिवरात्रि के नाम से जानी जाती है। यह त्यौहार भगवान शिव-पार्वती को समर्पित है, इस दिन भक्तभगवान शिव के प्रतीक शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाते हैं।महाशिवरात्रि और सोमवार दोनों एक दिन होना शिवभक्तों के लिए बहुत ही शुभ है। विवाह योग्य युवक - युवतियां विवाह योग के लिये शिवजी का अभिषेक करते हैं.

महाशिवरात्रि, भगवान शिव की पार्वती देवी से शादी का दिन है, इसलिए भक्तगण महा शिवरात्रि को गौरी-शंकर की शादी की सालगिरह के रूप में मानते हैं। इस दिन ब्रत में, कुछ भक्तों को बिना पानी के ब्रत रहिते देखा गया है। आज के दिन भक्त शिवलिंग को दूध, दही, शहद, गुलाब जल, आदि के साथ हर तीन घंटे के अंतराल मे सारी रात पूजा करते हैं।

आज का दिन दो महान प्राकृतिक शक्तियों, रजस एवं तमस के एक साथ आने का दिन है। शिवरात्रि व्रत इन दोनों शक्तियों का सही नियंत्रण है। वासना, क्रोध, और ईर्ष्या जैसे बुराइयों को नियंत्रण कर सकते हैं। हर तीन घंटे शिवलिंग की पूजा के एक दौर आयोजित किया जाता है। सदगुरु के अनुसार, इस रात को ग्रहों की स्थिति कुछ ऐसी होती है कि मानव तंत्र में ऊर्जा का प्रवाह प्राकृतिक रूप से ऊपर की ओर होता है। अतः योगी साधक भक्त शरीर को सीधी स्थिति में रखते हैं, और सारी रात सोते नहीं हैं।

पृथ्वी की रचना पूरी होने के बाद, पार्वती जी ने भगवान शिव से पूछा कि भक्तों के कौनसे अनुष्ठानों से आपको सबसे ज़्यादा प्रशन्नता होती है। भगवान ने कहा है कि, फाल्गुन के महीने के दौरान शुक्लपक्ष की 14वीं रात मेरा पसंदीदा दिन है।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कैसे करें महाशिवरात्रि के दिन रुद्राभिषेक

पं. अतुल शास्त्री बताते हैं की नव ग्रहों के पीड़ा के निवारणार्थ निम्न द्रव्य विहित है। यदि जन्म कुण्डली में सूर्य से सम्बन्धित कष्ट या रोग हो तो श्वेतार्क के पत्तो को पीस कर गंगाजल में मिलाकर रुद्राभिषेक करें। चन्द्रमा से सम्बन्धित कष्ट या रोग हो तो काले तिल को पीस कर गंगाजल में मिलाकर, मंगल से सम्बन्धित कष्ट या रोग हो तो अमृता के रस को गंगाजल में मिलाकर,बुध जनित रोग या कष्ट हो तो विधारा के रस से, गुरु जन्य कष्ट या रोग हो तो हल्दी मिश्रित गोदुग्ध से, शुक्र से सम्बन्धित रोग एवं कष्ट हो तो गोदुग्ध के छाछ से, शनि से सम्बन्धित रोग या कष्ट होने पर शमी के पत्ते को पीस कर गंगाजल में मिलाकर,राहु जनित कष्ट व पीड़ा होने पर दूर्वा मिश्रित गंगा जल से, केतु जनित कष्ट या रोग होने पर कुश की जड़ को पीसकर गंगाजल में मिश्रित करके रुद्राभिषेक करने पर कष्टों का निवारण होता है व समस्त ग्रह जनित रोग का समन होता है।

इन बातों का रखें ध्‍यान

शिव मन्दिर में व्रती को चाहिए कि वह विभिन्न द्रव्यों से अभिषेक कर दूसरे दिन सूर्योदय के पश्चात काले तिल,त्रिमधु युक्त पायस,व नवग्रह समिधा से हवन कर एक सन्यासी को भोजन कराकर स्वयं पारणा करें | शिवलिंग पर चढाई गयी कोई भी वस्तु जनसामान्य के लिए ग्राह्य नहीं है | अपितु अलग से मिष्ठान फल आदि का भोग लगाकर उसे इष्ट मित्रों में वितरण कर स्वयं भी ग्रहण करना चाहिए .

महाशिवरात्रि का व्रत रखने के फायदे

शिवरात्रि का व्रत बहुत ही फलदायी माना जाता है, ऐसा कहा जाता है की इस दिन पूरे भक्ति भाव से व्रत रखने व् पूजा पाठ करने से सभी इच्छाएं पूरी होती है। तो लीजिये अब विस्तार से जानते हैं की शिवरात्रि का व्रत रखने से कौन कौन से फायदे मिलते हैं।

जो महिलाएं अपने पति की लम्बी उम्र चाहती है उनके लिए यह व्रत बहुत ही फलदाई होता है।

मनचाहा वर मिलता है।

रुके हुए काम सफल होते हैं।

धन यश की प्राप्ति होती है।

शत्रुओं का नाश होता है।

इसके अलावा किसी भी मनोकामना को लेकर यदि आप शिवरात्रि का व्रत करते हैं तो आपके मन की सभी इच्छाओं को पूरा होने में मदद मिलती है।

शिवरात्रि का व्रत करते हुए इन बातों का ध्यान रखें

इस दिन किसी भी तरह के नशे का सेवन नहीं करना चाहिए।

सुबह समय से उठकर भोलेबाबा का ध्यान करना चाहिए।

दिन में समय चाय या फलाहार का सेवन करना चाहिए।

शाम के समय भोजन बनाते समय सेंधा नमक का इस्तेमाल करते हुए एक समय भोजन करना चाहिए।

शिवरात्रि के व्रत पर जल को हमेशा लोटे में डालकर अर्पित करना चाहिए, कभी भी शंख में डालकर जल नहीं चढ़ाना चाहिए।

इस दिन दान पुण्य करने से भी बहुत फायदा मिलता है।

आप चाहे तो मीठे का सेवन करके ही इस व्रत को भी रख सकते हैं।

तो यह हैं शिवरात्रि व्रत करने की पूजा विधि व् उससे मिलने वाले लाभ, यदि आप भी भोलेबाबा की कृपा को पाना चाहते हैं, तो आप भी इस दिन व्रत रख सकते हैं। या फिर शिवलिंग पर जल चढ़ाकर भी अपने मन की इच्छा पूरी करने के लिए प्रार्थना कर सकते है।

भगवान भोलेनाथ को सभी तरह के सुगंधित फूल पंसद हैं. इन्‍हें चमेली, सफेद कमल, शमी, खस, गूलर, पलाश, केसर खास तौर पर पसंद हैं.


ज्योतिष सेवा केंद्र मुंबई

संस्थापक पंडित अतुल शास्त्री सम्पर्क क्रमांक 09594318403/9820819501

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